हिमाचल के शहरी क्षेत्रों में भवन निर्माण के लिए अब अनिवार्य होगी ज्योलॉजिकल और स्ट्रक्चरल डिजाइन रिपोर्ट

हिमाचल प्रदेश के शहरी इलाकों में भवन निर्माण के लिए अब ज्योलॉजिकल (भूगर्भीय) और संरचना डिजाइन (स्ट्रक्चर डिजाइन) की रिपोर्ट देना अनिवार्य कर दिया गया है। यह नियम शिमला, कुल्लू, धर्मशाला, ऊना, किन्नौर, मंडी, सोलन, नाहन और चंबा जैसे शहरों में लागू होगा। टीसीपी विभाग द्वारा तैयार किए जा रहे नए डेवलपमेंट प्लान में इंजीनियर और स्ट्रक्चर डिजाइन की रिपोर्ट रखना जरूरी होगा। इस योजना का मकसद हिमाचल में प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले भवन नुकसान को रोकना है।
राजेश धर्माणी, टीसीपी मंत्री ने बताया कि सरकारी भवनों में यह नियम पहले से लागू है और अब इसे शहरी निजी भवनों पर भी लागू किया जा रहा है। इसके तहत नालों से कम से कम 5 मीटर और खड्डों या नदियों से 7 मीटर की दूरी पर ही भवन निर्माण की अनुमति दी जाएगी। इससे पहले नालों से 3 मीटर तथा खड्डों और नदियों से 5 मीटर की दूरी तय होती थी।
हिमाचल में 2018 से लगातार प्राकृतिक आपदाओं का कहर जारी है, जिसके कारण कई भवन ढहे और जनहानि भी हुई है। अधिकारियों के मुताबिक ज्योलॉजिकल और स्ट्रक्चरल रिपोर्ट न होने के कारण कई भवन प्राकृतिक आपदा में असुरक्षित साबित हुए हैं। शिमला प्लानिंग एरिया में 5 मीटर चौड़ी सड़क वाले इलाकों में पांच मंजिला भवन निर्माण की अनुमति दी गई है, जबकि सड़क सुविधा न होने पर दो मंजिला भवन एवं एटिक का निर्माण ही संभव होगा। टीसीपी विभाग का मानना है कि इन नियमों के कड़ाई से पालन से भवन निर्माण अधिक सुरक्षित और मजबूती से होगा, जिससे भविष्य में आपदाओं का असर कम होगा।