10वीं में स्कूल के सभी बच्चे फेल, स्कूल में टीचर्स भी नहीं दे पाई सरकार.... शिक्षा व्यवस्था पर उठने लगे सवाल

हिमाचल प्रदेश: सिरमौर जिले के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला चारना में इस साल 10वीं कक्षा का रिजल्ट चौंकाने वाला रहा है। यहां कुल 21 छात्र-छात्राओं में से एक भी पास नहीं हो पाया। अधिकांश विद्यार्थी गणित और विज्ञान विषयों में फेल हुए हैं। स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) ने इस खराब प्रदर्शन का सीधा आरोप शिक्षकों की कमी पर लगाया है। SMC के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह वर्मा ने बताया कि प्रिंसिपल, टीजीटी नॉन मेडिकल, पीटीआई और कंप्यूटर टीचर सहित पांच पद 2023 से खाली पड़े हैं। उन्होंने यह भी बताया कि SMC ने शिक्षा मंत्री, स्थानीय विधायक, शिक्षा निदेशक और डिप्टी डायरेक्टर से बार-बार शिक्षकों की तैनाती के लिए गुहार लगाई, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। 21 में से तीन छात्रों की कंपार्टमेंट आई है, लेकिन कोई भी पास नहीं हो सका। चारना स्कूल में केवल 10वीं ही नहीं, 12वीं कक्षा का रिजल्ट भी निराशाजनक रहा है। 16 छात्रों में से 6 फेल हो गए हैं। इस खराब नतीजे से अभिभावक खासे चिंतित हैं और कई अपने बच्चों को स्कूल से निकालने का मन बना चुके हैं। हाल ही में हुई अभिभावकों की बैठक में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठा। भूपेंद्र सिंह वर्मा ने बताया कि सरकार के उदासीन रवैये के कारण न केवल पढ़ाई का स्तर गिरा है, बल्कि स्कूल की बिल्डिंग भी जर्जर हालत में है। बरसात के दिनों में बच्चों को क्लासरूम में बैठना तक मुश्किल हो जाता है।
बता दे कि चारना ही एकमात्र ऐसा स्कूल नहीं है जहां सभी छात्र फेल हुए हैं। जनजातीय जिले लाहौल और स्पीति के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सलग्रां में भी 12वीं के तीनों छात्र फेल हो गए, जबकि यहां तीन छात्रों को पढ़ाने के लिए चार शिक्षक तैनात थे। वहीं, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के गृह गांव धार पौटा के स्कूल में भी 10वीं के 6 छात्र फेल हो गए हैं। यहां गणित का एक शिक्षक एक साल से अधिक समय से छुट्टी पर है। हालांकि, इस बार 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के ओवरऑल रिजल्ट में सुधार देखा गया है। 10वीं में 79.08% और 12वीं में 83.16% रिजल्ट रहा है, जो पिछले साल के मुकाबले बेहतर है। लेकिन चारना जैसे स्कूलों के परिणाम शिक्षा व्यवस्था में गंभीर कमियों की ओर इशारा करते हैं, जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। सवाल यह है कि क्या इन बच्चों की हार उनकी अपनी है, या उस सिस्टम की जो पहले ही मैदान छोड़ चुका था? वैसे बता दें की ये हिमाचल के सिर्फ एक स्कूल की कहानी नहीं है ऐसे और भी कई स्कूल है जो महज़ एक शिक्षक के साहरे चल रहे ह।