हाईकोर्ट का फैसला: सरकारी सेवा में जन्म तिथि बदलाव सिर्फ लिपिकीय गलती की स्थिति में ही संभव
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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि सरकारी सेवा में रिकॉर्ड की गई जन्म तिथि में बदलाव केवल तभी किया जा सकता है जब वह लिपिकीय त्रुटि हो। न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी कर्मचारी द्वारा सरकारी सेवा में प्रवेश के समय घोषित की गई उम्र अंतिम मानी जाएगी, जब तक कि वह कर्मचारी नियुक्ति के दो वर्ष के भीतर जन्म तिथि में संशोधन के लिए आवेदन न करे।
कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार के पास इस बात का अधिकार है कि वह आवश्यक प्रमाणों के आधार पर दर्ज जन्म तिथि में बदलाव करे, लेकिन इसके लिए तय समयसीमा और प्रक्रिया का पालन आवश्यक है। आमतौर पर नियुक्ति के दौरान कर्मचारियों को यह अवसर दिया जाता है कि वे अगर जन्म तिथि में कोई त्रुटि पाते हैं, तो दो साल के भीतर विभाग के समक्ष संशोधन के लिए आवेदन करें। लेकिन इस मामले में याचिकाकर्ता ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया।
मामले का विवरण
इस केस में याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि उनके सेवा रिकॉर्ड में दर्ज जन्म तिथि सही नहीं है और यह उनके परिवार रजिस्टर के अनुसार सुधार की जानी चाहिए। उन्होंने अदालत से मांग की थी कि 2 जून 1966 के स्थान पर उनकी जन्म तिथि को 17 अगस्त 1969 दर्ज किया जाए।
याचिकाकर्ता वर्ष 1986 में शिक्षा विभाग में नियुक्त हुए थे, और वर्ष 2018 में जब उन्होंने पंचायत से जन्म प्रमाणपत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू की, तब उन्हें जन्म तिथि में असंगति का पता चला।
सरकार की ओर से दलील दी गई कि याचिकाकर्ता ने अपनी जन्म तिथि स्वयं नियुक्ति के समय विभाग को दी थी, और उसी आधार पर सेवा रिकॉर्ड तैयार किया गया था। नियुक्ति के बाद दो वर्ष की तय सीमा में उन्होंने कोई आपत्ति या संशोधन का अनुरोध नहीं किया।
इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।