हिमाचल में कुदरत का कहर: बादल फटने से 7 की मौत, 6 अभी भी लापता; रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

देवभूमि हिमाचल पर मानसून का कहर टूट पड़ा है। बुधवार को राज्य के पांच अलग-अलग स्थानों पर बादल फटने की घटनाओं ने विकराल रूप ले लिया, जिससे आई अचानक बाढ़ और भूस्खलन में अब तक सात लोगों की जान जा चुकी है, जबकि छह लोग अभी भी लापता हैं। धर्मशाला और कुल्लू जिले इस आपदा से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं। धर्मशाला के खनियारा में मनूणी खड्ड में बहे श्रमिकों में से एक का शव आज सुबह बरामद कर लिया गया है, लेकिन अभी भी दो श्रमिक लापता हैं। इससे पहले गुरुवार को भी यहां तीन शव मिले थे। राहत की बात यह है कि मौसम के कहर के बीच एक पहाड़ी पर फंसे युवक को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया है। लापता लोगों की तलाश के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, हिमाचल प्रदेश पुलिस और स्थानीय लोगों की टीमें कुल्लू और धर्मशाला में युद्धस्तर पर जुटी हुई हैं। एडीएम कांगड़ा शिल्पी बेक्टा ने बताया, "हमारा मुख्य लक्ष्य आज लापता श्रमिकों का पता लगाना है। मौके पर 50 सदस्यीय पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम मौजूद है, और होमगार्ड की एक टीम भी जल्द पहुंच रही है।
कुल्लू के सैंज में एक ही परिवार के तीन सदस्यों - नंद लाल (72), उनकी बेटी मूर्ति देवी (15) और बहन यान दासी (67) - का अभी तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है, जो बादल फटने से बह गए थे। इसके अलावा, तीर्थन नदी में एक और व्यक्ति के बहने की सूचना है। मंडी के धर्मपुर में जालपा मंदिर के पास ब्यास नदी से भी एक व्यक्ति का शव बरामद हुआ है। अच्छी खबर यह है कि सैंज में बादल फटने के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन से फंसे सभी सैलानियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। वहीं, खनियारा में बुधवार को बादल फटने से मनूणी खड्ड में आई बाढ़ के बीच सोकणी दा कोट में बने निजी बिजली प्रोजेक्ट में काम कर रहे नौ लोग लापता हो गए थे, जिनमें से अब तक पांच के शव मिल चुके हैं।