हिमाचल में बनी 57 दवाओं के सैंपल हुए फेल

हिमाचल प्रदेश के फार्मा उद्योग पर एक बार फिर सवालिया निशान लग गया है। देशभर में जांचे गए 196 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, और इनमें से 57 दवाएं हिमाचल प्रदेश में बनी हैं, जो गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरीं। यह स्थिति तब है जब हिमाचल को देश का 'फार्मा हब' कहा जाता है, खासकर बद्दी जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में कई बड़ी दवा कंपनियां हैं।सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि कई नामी दवा कंपनियों के सैंपल भी जांच में ठीक नहीं पाए गए हैं। फेल हुई दवाओं में निमोनिया से बचाव के लिए उपयोग होने वाला अल्मोक्स-500 कैप्सूल, शरीर में सोडियम और पानी की कमी को पूरा करने वाला सोडियम क्लोराइड इंजेक्शन, और अल्सर के इलाज में काम आने वाला रबेप्राजोल इंजेक्शन शामिल हैं। बच्चों को बुखार में दी जाने वाली लिक्विड पेरासिटामोल का सैंपल भी ठीक नहीं पाया गया है, जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा हो सकता है।
जांच एजेंसियों के आंकड़े
राज्य प्रयोगशाला द्वारा लिए गए 37 सैंपल और सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) द्वारा लिए गए 20 सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। बद्दी की मर्टिन एवं ब्राउन कंपनी के चार और केपटेप कंपनी के आठ सैंपल फेल हुए हैं।
राज्य प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार, देश की 60 दवाएं फेल हुईं जिनमें से 20 हिमाचल में बनी थीं। वहीं, CDSCO की जांच में देशभर में बनी 136 दवाएं फेल हुईं, और इनमें से 37 हिमाचल प्रदेश की थीं। राज्य ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर ने बताया कि जिन कंपनियों की दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, उन्हें नोटिस जारी कर उनके लाइसेंस रद्द किए जाएंगे। साथ ही, इन दवाओं के बाजार से स्टॉक को तुरंत वापस मंगाया जाएगा। विभाग स्वयं भी इन सैंपलों की दोबारा जांच करेगा।