पुरानी पेंशन: 16 राज्यों में सरकार, सिर्फ हिमाचल में कैसे लागू करें !
![Old Pension: Government in 16 states, how to apply only in Himachal!](https://www.firstverdict.com/resource/images/news/image20757.jpg)
इस वर्ष हिमाचल में चुनाव होने है और चुनावी वादों के इस दौर में कांग्रेस आए दिन ये ऐलान कर रही है कि सत्ता वापसी होते ही पुरानी पेंशन बहाल की जाएगी। कांग्रेस कर्मचारियों के इस मुद्दे का पूर्णतः समर्थन करती नज़र आ रही है। उधर, वार -पलटवार के इस दौर में भाजपा का पक्ष ये है कि कांग्रेस के सबसे बड़े नेता यानी वीरभद्र सिंह ही प्रदेश में नई पेंशन योजना लागू करने वाले नेता थे और आज यही कांग्रेस अपने नेता के निर्णय पर सवाल उठा उसे बदलने की कोशिश कर रही है। चुनाव है तो राजनीति होती रहेगी, मगर इस वक्त पुरानी पेंशन की बहाली प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में अधिकतम राज्यों के कर्मचारियों का सबसे बड़ा मसला है। कई बड़े संघर्ष और कई बड़े आंदोलन प्रदेश में इस मांग को लेकर कर्मचारी कर चुके है, मगर हल अब तक नहीं मिल पाया। हालांकि ये भी सत्य है कि जयराम सरकार इस मांग को पूरा करने से पूरी तरह पीछे नहीं हट रही। पुरानी पेंशन बहाली के लिए कमेटी बनाई गई है और बैठकों का दौर भी जारी है, मगर मुख्यमंत्री ये स्थिति पहले ही स्पष्ट कर चुके है कि कमेटी जो भी निर्णय लेगी उसे केंद्र भेजा जाएगा और अंत में हरी झंडी प्रधानमंत्री ही दिखाएंगे।
पर क्या जयराम सरकार पुरानी पेंशन बहाल कर सकती है, ये असल सवाल है। दरअसल इस वक्त देश के 12 राज्यों में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है, जबकि 4 राज्यों में भाजपा समर्थित सरकार है। यदि किसी एक भी राज्य में भाजपा पुरानी पेंशन बहाल करती है तो बाकि राज्यों के कर्मचारी भी चाहेंगे की उन्हें भी पुरानी पेंशन दी जाए और अंततः केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए भी पुरानी पेंशन बहाल करनी होगी। ऐसे में हकीकत ये है कि चाहकर भी जयराम सरकार के लिए ऐसा करना मुश्किल होगा।
हिमाचल में करीब सवा लाख कर्मचारी इस समय एनपीएस के दायरे में हैं और ये खुद के लिए ओल्ड पेंशन मांग रहे हैं। ये सवा लाख कर्मचारी और इनके परिवार लगातार पुरानी पेंशन की मांग कर रहे है। चुनाव के लिहाज़ से ये संख्या काफी महत्वपूर्ण है और वैसे भी हिमाचल प्रदेश में कर्मचारी फैक्टर का असर सभी जानते है। भाजपा सरकार भी इस बात से भली भांति अवगत है और इसीलिए चुनावी वर्ष में कर्मचारियों की कई लंबित मांगें पूरी भी हुई है, लेकिन पुरानी पेंशन का मसला जस का तस है।
आर्थिक स्थिति भी बाधा :
इस योजना को लागू करने के लिए एकमुश्त दो हजार करोड़ रुपये चाहिए और हर माह 500 करोड़ की जरूरत होगी। सरकार पहले भी कई बार ये स्पष्ट कर चुकी है कि फिलवक्त [प्रदेश के आर्थिक हालात ऐसे नहीं है कि पुरानी पेंशन लागू की जाए, मगर संभावनाएं फिर भी तलाशी जा रही है। हिमाचल सरकार अपने बलबूते ओल्ड पेंशन का भुगतान नहीं कर पाएगी, क्योंकि राज्य का राजकोष केंद्र सरकार से मिलने वाले रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट पर चलता है। अब देखना यह होगा कि चुनावी वर्ष में जयराम सरकार ओल्ड पेंशन के मसले को किस तरह हल करती है। सरकार के पास एक विकल्प केंद्र से सहायता लेना भी है।
कांग्रेस ने दो राज्यों में की बहाल :
कांग्रेस की बात करें तो देश में सिर्फ दो राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, राजस्थान और छत्तीसगढ़। इन दोनों ही राज्यों में कांग्रेस पुरानी पेंशन लागू कर चुकी है। ऐसे में हिमाचल में यदि सरकार बनती है तो संभवतः कांग्रेस यहाँ भी इसे लागू करे।