अविवाहित महिलाएं भी 24 हफ्ते तक का गिरा सकेंगी गर्भ, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
अब अविवाहित महिलाएं भी 24 हफ्ते तक का गर्भ गिरा सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी रूल्स के नियम 3b का विस्तार किया है। अब तक सामान्य मामलों में 20 हफ्ते से अधिक और 24 हफ्ते से कम के गर्भ के अबॉर्शन का अधिकार विवाहित महिलाओं को ही था। कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर विवाहित महिला का गर्भ उसकी इच्छा के विरुद्ध है तो इसे बलात्कार की तरह देखते हुए उसे गर्भपात की अनुमति दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला इस साल जुलाई में पहुंचा था। 23 हफ्ते की गर्भवती अविवाहित महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उसने बताया था कि हाई कोर्ट ने यह कहते हुए गर्भपात की अनुमति देने से मना कर दिया है कि नियमों के तहत सिर्फ विवाहित महिलाओं को ही इसका अधिकार दिया गया है। कोर्ट ने कहा है कि पति की जोर-जबरदस्ती से महिला गर्भवती हुई है तो उसे यह अधिकार होना चाहिए कि वह 24 हफ्ते तक गर्भपात करवा सके। इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने लंबे समय से कानूनी बहस का मुद्दा बने वैवाहिक बलात्कार या मैरिटल रेप को गर्भपात के मामलों में मान्यता दे दी है।
गौरतलब है कि MTP रूल्स के तहत 20 हफ्ते तक के गर्भ का अबॉर्शन करवाया जा सकता है। पहले यह अनुमति 12 हफ्ते तक के गर्भ के लिए थी लेकिन 2021 में नियमों में संशोधन हुआ। 20 हफ्ते से अधिक और 24 हफ्ते से कम के गर्भ को गिराने की अनुमति बहुत चुनिंदा मामलों में ही दी गई है। MTP रूल्स के नियम 3b के तहत, इस तरह के गर्भ का अबॉर्शन तभी हो सकता है जब-महिला बलात्कार या किसी निकट संबंधी के चलते गर्भवती हुई हो, गर्भवती नाबालिग हो, महिला विवाहित हो लेकिन गर्भ के दौरान उसकी वैवाहिक स्थिति बदल गई हो यानी पति की मृत्यु हो गई हो या तलाक हो गया हो, महिला शारीरिक या मानसिक रूप से अस्वस्थ हो, गर्भ में पल रहा भ्रूण अस्वस्थ हो यानि इस बात के मेडिकल प्रमाण हों कि बच्चा या तो गर्भ में ही मर जाएगा या अगर पैदा होगा तो वह लाइलाज शारीरिक या मानसिक विकृति वाला होगा।