कौन थे शास्त्रीय गायकी के उस्ताद छन्नूलाल मिश्र, जिन्होंने विश्व में दिलाई शास्त्रीय संगीत को प्रसिद्धि?
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सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक व पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित छन्नूलाल मिश्र ने आज गुरुवार को करीब 90 साल की उम्र में मिर्जापुर में अंतिम सांस ली। शाम 7 बजे के करीब बनारस में उनका अंतिम संस्कार होगा। उनकी तबीयत लंबे समय से ठीक नहीं थी। उन्हें फेफड़ों में संक्रमण, डायबिटीज व ब्लड प्रेशर की समस्या थी। वे संगीत के किराना व बनारस घराने से ताल्लुक रखते थे। काशी की धरती पर ही वे शास्त्रीय संगीत को नए मुकाम पर ले गए और यहीं से वे विश्वभर में बनारस घराने का नाम रोशन किया। PM मोदी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वे भारतीय कला-संस्कृति के समर्पित सेवक थे।
बचपन बहुत ही कठिनायों में बीता
छन्नूलाल मिश्र का जन्म 1936 को अगस्त में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर में हुआ था। उनका बचपन बहुत ही कठिनायों में बीता था। आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था। हालांकि संगीत उनके परिवार में सात पीढ़ियों से रचा-बसा था। उनके दादा एक प्रसिद्ध तबला वादक थे। संगीत के प्रति बहुत लगाव होने के चलते ही छन्नूलाल जब छह वर्ष के थे तभी से ही वे अपने पिता बद्री प्रसाद मिश्र से संगीत सीखना शुरू कर दिया था। नौ साल की उम्र में वे किराना घराने के उस्ताद अब्दुल गनी खान से खयाल सीखा। उसके बाद वे ठाकुर जयदेव सिंह से संगीत सीखा।
कर्मभूमि रही बनारस
छन्नूलाल की कर्मभूमि बनारस था और वे किराना व बनारस घराना के गायक थे। वे खयाल, ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी तथा चैती के लिए जाने जाते थे। गायकी की अद्भुत काम के लिए छन्नूलाल को वर्ष 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, वर्ष 2010 में पद्मभूषण वर्ष, वर्ष 2020 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
पंडित मिश्र की गायिकी के कायल PM नरेंद्र मोदी भी रहे हैं। 2014 में जब मोदी काशी से चुनाव लड़े, तब वे छन्नूलाल मिश्र को अपना प्रस्तावक बनाया था।