हिमाचल में बढ़ रहा सुरक्षित मातृत्व का ग्राफ, संस्थागत प्रसव बढ़कर 91 प्रतिशत
राज्य सरकार द्वारा शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भावस्था, प्रसव और प्रसव के बाद महिलाओं को दी जा रही गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के फलस्वरूप संस्थागत प्रसव में कई गुना वृद्धि हुई है और हिमाचल प्रदेश की मातृ मृत्यु दर में गिरावट आई है। वर्तमान में प्रदेश में संस्थागत प्रसव बढ़कर 91 प्रतिशत हो गया है। राज्य में मातृ मृत्यु दर घटकर 55 प्रति 1,00,000 जीवित जन्म हो गई है जो परिकल्पित वैश्विक लक्ष्य से भी बेहतर है। विश्व के सभी देश वर्ष 2030 तक मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सहमति दिखाई हैं। सतत विकास लक्ष्य में ”वैश्विक मातृ मृत्यु दर को 70 प्रति 1,00,000 जीवित जन्म से कम करना, किसी भी देश की मातृ मृत्यु दर वैश्विक औसत के दोगुना से अधिक नहीं“ का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य शामिल है। गर्भावस्था, प्रसव और प्रसव उपरान्त स्वास्थ्य सेवाओं तथा उचित देखभाल सम्बन्धी जागरूकता बढ़ाने के लिए, राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस प्रति वर्ष 11 अप्रैल को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी की जयंती पर मनाया जाता है। ऐसा करने वाला भारत विश्व का पहला देश है। राज्य सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं की देखभाल के लिए कई पहल की गई हैं। सरकार ने संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम शुरू किया है। इसके तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में गर्भवती महिलाओं, सामान्य व शल्य क्रिया द्वारा प्रसव और बीमार नवजात शिशु को जन्म के एक वर्ष तक मुफ्त और कैशलेस सेवाएं प्रदान की जाती हैं। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदान की जाने वाली सुविधाओं में मुफ्त दवाएं व अन्य उपयोगी वस्तुएं, मुफ्त जांच, आवश्यकता होने पर मुफ्त रक्त और मुफ्त आहार शामिल हैं। घर से स्वास्थ्य संस्थान, दूसरे अस्पताल को रेफर किए जाने पर स्वास्थ्य संस्थानों में मध्य और स्वास्थ्य संस्थान से घर वापस जाने के लिए मुफ्त परिवहन सुविधा भी प्रदान की जाती है। सभी बीमार नवजातों और शिशुओं को सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में उपचार के लिए समान सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। मातृ स्वास्थ्य और नवजात स्वास्थ्य का आपस में गहरा सम्बन्ध हैं। यदि महिलाएं स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं की रोकथाम या उपचार के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का उपयोग करती हैं तो अधिकांश मातृ मृत्यु की रोकथाम की जा सकती है। सभी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान, प्रसव के समय और प्रसव के बाद की जाने वाली देखभाल के बारे में जागरूक होना चाहिए। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि उपचार सम्बन्धी आवश्यकताओं का ध्यान में रखते हुए सभी प्रसव कुशल स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा करवाए जाएं।
संस्थागत प्रसव पर 1100 रुपये की प्रोत्साहन राशि
संस्थागत प्रसव के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना के तहत संस्थागत प्रसव पर 1100 रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। स्वास्थ्य संस्थानों में यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रसव पूर्व जांच के दौरान गर्भवती महिलाओं के सभी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मापदंडों की जांच सहित भ्रूण के विकास की भी निगरानी की जाए। नियमित रूप से प्रसव पूर्व जांच नहीं करने से गर्भावस्था के दौरान पहले से मौजूद बीमारियों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अनीमिया आदि का पता नहीं चल पाता, जिसके परिणामस्वरूप माता और बच्चे दोनों में जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। प्रसव पूर्व जांच के दौरान गर्भवती महिलाओं को टेटनस टॉक्साइड (टी.टी.) से भी प्रतिरक्षित किया जाता है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान को प्रदेश में सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक महीने की 9 तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण व निःशुल्क प्रसव पूर्व स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है। इस दौरान सभी गर्भवती महिलाओं को निर्धारित सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में गर्भावस्था की दूसरी या तीसरी तिमाही में स्वास्थ्य संस्थान में जांच और दवाएं जैसे आयरन व कैल्शियम आदि की खुराक प्रदान किया जाती हैं।
एक्सपर्ट डाॅक्टर्स बाेले...
चिकित्सक या विशेषज्ञ द्वारा सभी गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच करके उच्च जोखिम गर्भधारण की पहचान व जांच की जाती है ताकि आवश्यक इलाज प्रदान किया जा सके। माताओं के स्वास्थ्य में पौष्टिक आहार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। गर्भावस्था में कुपोषण से अनेको जटिलताएं पैदा हो जाती हैं, जिसमें प्रसवोत्तर रक्तस्राव भी शामिल है। प्रदेश में बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त हैं, जो मातृ मृत्यु के बुनियादी कारणों में से एक है। गर्भवती महिला के लिए आयरन फोलिक एसिड सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक है। इस समस्या के समाधान स्वरूप, सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों जांच के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान लिए जाने वाले आहार के बारे में परामर्श दिया जाता है और उन्हें आयरन और कैल्शियम की खुराक मुफ्त प्रदान की जाती है।
