एक खूबसूरत लव स्टोरी के हीरो भी थे राजीव गाँधी

राजीव और सोनिया गाँधी की प्रेम कहानी एक खूबसूरत कल्पना की तरह शुरू हुई और एक दुखद मोड़ पर इसका अंत हुआ। राजीव जब इंग्लैंड में थे तो इटली की रहने वाली युवती, सोनिया मैनो को पहली नज़र में दिल दे बैठे।
1965 में 21 साल की उम्र में राजीव गांधी पढ़ाई के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज पहुंचे। उसी साल कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के लेनॉक्स कुक स्कूल में अंग्रेजी भाषा सीखने इटली से एंटोनिया अलबिना मायनो आई थी, जो अब सोनिया गाँधी है। सोनिया और राजीव के कैंपस अलग थे लेकि कहते है सोनिया उबला खाना खाकर ऊब गई थीं, इसलिए वह यूनिवर्सिटी के रेस्टोरेंट में खाना खाती थीं। उसी रेस्टोरेंट में एक सोनिया अपनी सहेली के साथ बैठी थीं, तभी उनका एक दोस्त राजीव गांधी के साथ रेस्टोरेंट के अंदर पहुंचा। उसने सोनिया से कहा, "आज मैं आपको अपने दोस्त से मिलवाना चाहता हूं, ये भारत से आए हैं और इनका नाम राजीव है।" राजीव ने हाथ आगे हाथ बढ़ाया और सोनिया ने शर्माते हुए मिला लिया। दोनों के बीच कोई बात नहीं ही लेकिन एक खूबसूरत प्रेम कहानी शुरू हो चुकी थी। सोनिया गांधी की जीवनी 'द रेड साड़ी' में जेवियर मोरो लिखते हैं, "राजीव ने उसी दिन तय कर लिया था कि सोनिया ही आगे उनकी जीवन साथी बनेंगी। "
मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो चूका था और दोनों को जैसे ही फुर्सत मिलती, वह घूमने निकल जाते थे। सोनिया गांधी राजीव को पसंद तो करने लगी थी, लेकिन उन्हें भारत के नाम पर, यहां के रीति-रिवाज को लेकर डर लग रहा था। इस बीच सोनिया ने तय कर लिया कि अब कभी नहीं मिलना पर सोनिया न चाहते हुए भी राजीव से मिलने लगी और दोनों के बीच प्यार हो गया।
एक दिन राजीव पैदल ही सोनिया को घर छोड़ने निकल पड़े, दरसल उस दिन सोनिया अपनी साइकिल नहीं लाइ थी। दोनों साथ पैदल निकले और राजीव ने इसी सफर में सोनिया को प्रपोज कर दिया। सोनिया ने प्रपोजल को मुस्कुराते हुए स्वीकार कर लिया।
दोनों एक दूसरे को जीवन साथी के रूप में चुन चुके थे व जल्द ही अपने परिवारों को भी इसके बारे में बता दिया।
कहते है कि मां इंदिरा चाहती थी कि राजीव की शादी बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर की बेटी से हो। पर राजीव तो अपना दिल सोनिया को दे बैठे थे। राजीव के कहने पर इंदिरा, सोनिया से मिली व दोनों के फैसले का खुले मन से स्वागत किया। दोनों की शादी 1968 में हुई। राजीव से हुई इस पहली मुलाक़ात के बारे में सोनिया ने उनकी मृत्यु के बाद लिखे एक पत्र में कहा था " मैं भूल जाना चाहती हूँ उनका आखिरी चेहरा, और रेस्टोरेंट में हुई वो पहली मुलाक़ात, वो मुस्कान याद रखना चाहती हूँ।"