श्रीखंड महादेव यात्रा शुरू: भोलेनाथ के भक्तों का पहला जत्था रवाना, 18,570 फीट की कठिन चढ़ाई से गुजरेंगे श्रद्धालु

हिमाचल प्रदेश की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक, श्रीखंड महादेव यात्रा आज से औपचारिक रूप से शुरू हो गई है। बुधवार सुबह 5 बजे श्रद्धालुओं का पहला जत्था भगवान शिव के दर्शन के लिए रवाना हुआ, जो 12 जुलाई को श्रीखंड की चोटी तक पहुंचेगा। इसके बाद हर दिन 800 श्रद्धालुओं के जत्थे यात्रा पर भेजे जाएंगे।
श्रीखंड यात्रा को दुनिया की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में गिना जाता है। इस यात्रा में श्रद्धालुओं को 32 किलोमीटर का कठिन और दुर्गम ट्रैक पैदल तय करना होता है। रास्ते में चार ग्लेशियर, खड़ी चट्टानें और कई संकरे मोड़ हैं। समुद्र तल से 18,570 फीट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव की चोटी तक पहुंचने में श्रद्धालुओं को कई बार ऑक्सीजन की कमी का भी सामना करना पड़ता है, खासकर पार्वती बाग के आगे।
पंजीकरण और फिटनेस टेस्ट अनिवार्य
श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने इस बार यात्रा पर सख्ती से नियम लागू किए हैं। यात्रा से पहले ऑनलाइन पंजीकरण (शुल्क ₹250) और मेडिकल फिटनेस टेस्ट अनिवार्य किया गया है। अब तक 5,000 से अधिक श्रद्धालु ऑनलाइन पंजीकरण करवा चुके हैं।
पांच बेस कैंप, चिकित्सा सुविधा और लंगर व्यवस्था
कुल्लू प्रशासन और श्रीखंड ट्रस्ट समिति द्वारा सिंहगड़, थाचरू, कुनशा, भीम द्वार और पार्वती बाग में पांच बेस कैंप स्थापित किए गए हैं। यहां श्रद्धालुओं के ठहरने, भोजन और स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था की गई है। हर कैंप में मेडिकल स्टाफ, ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाइयां, पुलिस और रेस्क्यू टीमें तैनात की गई हैं। जगह-जगह ट्रस्ट की ओर से लंगर भी लगाए गए हैं।
धार्मिक मान्यता और पौराणिक कथा
मान्यता है कि श्रीखंड महादेव की चोटी पर स्वयं भगवान शिव का वास है। यहां 72 फीट ऊंचा एक प्राकृतिक शिवलिंग है, जिसकी परिक्रमा और पूजा करने से मनवांछित फल प्राप्त होता है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव से वरदान पाकर अहंकारी भस्मासुर जब उन्हें ही भस्म करने दौड़ा, तो भगवान शिव श्रीखंड की ओर भागे। अंततः भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में भस्मासुर को नृत्य करवा कर उसका अंत किया। यह स्थान उसी कथा से जुड़ा हुआ माना जाता है।
रास्ते में क्या-क्या देख सकते हैं?
इस रोमांचक यात्रा के दौरान श्रद्धालु थाचड़ू, भीम द्वार, नैन सरोवर, भीम बही, बराटी नाला और पार्वती बाग जैसे मनोरम और आध्यात्मिक स्थलों से गुजरते हैं। पार्वती बाग में फूलों की महक, हिमालयी जड़ी-बूटियों की खुशबू और प्राकृतिक सौंदर्य श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देता है।