सरकार आम जनता को राहत देने के पक्ष में, मजबूत के साथ सरल भी हो टीसीपी कानून : भारद्वाज
प्रदेश विधानसभा सदन में विपक्ष के विरोध और हल्ले का मूंह ताेड़ जवाब देने वाले संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज पिछले एक साल से शहराें का विकास करवाने में कृतसंकल्प हैं। हालांकि जयराम सरकार के कार्यकाल के दाे साल तक उनके पास शिक्षा विभाग का दायित्व भी था, लेकिन पिछले साल मंत्रीमंडल विस्तार में उनसे शिक्षा विभाग लेकर उन्हें शहरी विकास विभाग थमा दिया गया। ऐसे में अब उनकी प्राथमिकता प्रदेश के शहराें काे विकसित करना है। फर्स्ट वर्डिक्ट के साथ विशेष बातचीत में सुरेश भारद्वाज कहते हैं कि स्मार्ट सिटी और AMRUT मिशन शहरीकरण में आने वाले चुनाैतियाें का सामना करने में सक्षम हैं। इसके साथ-साथ सुरेश भरद्वाज के साथ अन्य मसलाें पर हुई चर्चा के विशेष अंश...
सवाल: बढ़ते शहरीकरण की चुनौतियां क्या हैं और उनके समाधान क्या हैं ?
जवाब: हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी राज्य है और शहरीकरण के चलते रहने के लिए मकान, आने - जाने के लिए संसाधन (ट्रांसपोर्ट) व अन्य मूलभूत सुविधाएं जुटाना अन्य राज्यों से मुश्किल काम हैं। स्मार्ट सिटी और अटल मिशन फॉर रेजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन मिशन ( AMRUT ) के माध्यम से इन चुनौतियों से पार पाने के प्रयास किये जा रहे हैं। शिमला शहर का कायाकल्प हो रहा है तथा दूसरी स्मार्ट सिटी धर्मशाला पर भी ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा अन्य योजनाओं के माध्यम से मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान दिया जा रहा है जिस से आने वाली चुनौतियों का सामना किया जा सके। देश में नरेंद्र मोदी और प्रदेश में जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा सरकारें इन चुनौतियों से निपटने के लिए काम कर रही है।
सवाल: पूरे प्रदेश में ही निर्माण अव्यवस्थित सा है, उसे देखते हुए गावों से शहरों में बढ़ रही पलायन गतिविधियों को कैसे व्यवस्थित करेंगे ?
जवाब: जैसे - जैसे शहरीकरण बढ़ रहा है गाँव से शहर की और पलायन बढ़ रहा हैं। सभी चाहते है शहर या शहर के नज़दीक उनकी रिहाइश हो। ऐसी परिस्थिति में अव्यवस्थित निर्माण हुआ है। अब प्रयास यह है कि भविष्य में ऐसा न हो। जिन जगहों पर शहरीकरण हो रहा है, वो प्लानिंग एरिया के अधीन लाये जाते हैं ताकि सुव्यस्थित निर्माण सुनिश्चित कराया जा सके। दूसरी बात, अब गाँवों में भी पहले से बेहतर सुविधाएं उपलब्ध है। ऐसे में असुंतलन को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है।
सवाल: बढ़ते शहरीकरण के बीच शहरी विकास विभाग का स्वरूप, शक्तियां और आम बजट में वित्तीय आवंटन क्या बढ़ेगा ?
जवाब: बढ़ते शहरीकरण के साथ-साथ विभाग की ज़िम्मेदारियाँ भी बढ़ी है। जहाँ तक स्वरूप और शक्तियों की बात है, इनको बदलने या बढ़ाने से पहने इनका सही उपयोग करना प्राथमिकता है और हम इस दिशा में काम कर रहे है। 15 वे वित्तायोग में शहरी निकायों के लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान है है। इसके अतिरिक्त स्मार्ट सिटी, AMRUT व अन्य योजनाओं में बजट का प्रावधान है। केंद्र सरकार की योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू करना प्राथमिकता रहेगी।
सवाल: आगामी बजट में आप क्या क्या प्रस्ताव लाना चाहेंगे ? अब तक क्या नयी जरूरतें महसूस हुई हैं ?
जवाब: आम जनता से, जन प्रतिनिधियों से फीडबैक लिया जा रहा है। आपके माध्यम से भी मैं अपील करता हूँ कि आम जनता अपने सुझाव दे। बजट में अभी समय है और लिए अभी चर्चा होनी है और लोकहित में कदम ज़रूर उठाये जाएंगे। जहाँ तक नयी ज़रूरतों की बात है, नए नगर निगम, नगर पंचायतों का गठन हुआ है, वहां भी लोगों को सुविधाएं मिले, योजनाएं सुचारू रूप से चले, इस पर ज़ोर होगा।
सवाल: टीसीपी कानून को किस तरह और मजबूत करेंगे ? साडा एरिया टीसीपी का क्या प्रारूप और प्रक्रिया होगी ?
जवाब: मैं समझता हूँ कानून को मज़बूत होने के साथ-साथ सरल भी होना चाहिए। यह तय है कि कानून को सख्ती से लागू किया जायेगा और यदि कोई जटिलताएं है तो उन्हें दूर किया जाएगा। मेरी प्राथमिकता एक पारदर्शी व्यवस्था बनाना है। इसके लिए तकनीक का सहारा लिया जायेगा और जनता को अपने काम लिए लिए दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़े इस पर काम होगा। जहाँ तक साडा एरिया की बात है इसके लिए सरकार नए सिरे से विचार करेगी। एक प्लानिंग क्षेत्रों के लिए एक केबिनेट सब कमेटी भी बनी है। सरकार आम जनता को राहत देने के पक्ष में है।
सवाल: शहरों में सबसे बड़ी समस्या कूड़ा कचरा प्रबंधन की है, इसका क्या समाधान होगा और इसके लिए क्या कर रहे हैं ?
जवाब: कचरा प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रदेश के 30 शहरों के 5,000 स्ट्रीट वेंडर्स को ठोस कचरा प्रबंधन के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। इसके अतिरिक्त ठोस कचरा प्रबंधन से सम्बंधित एडवोकेसी और कम्युनिकेशन रणनीति भी तैयार कर की गयी है और सभी शहरी निकायों को इसका प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए है। नई तकनीकों का सहारा लेकर व्यवस्था को चाक चौबंद किया जा रहा है और आधुनिक कचरा संवर्धन प्लांट लगाने के प्रावधान किये जाएंगे। शहरों में कूड़ा उठाने की यंत्रीकृत व्यवस्था की गई है।
काेराेना मुक्त के साथ-साथ कांग्रेस मुक्त राज्य बनेगा हिमाचल
शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज का कहां है कि पूरी दुनिया जहां काेराेना महामारी से लड़ रही है, वहीं कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दल सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश की यदि बात करें ताे कांग्रेस ने पिछले साल से सिर्फ राजनीति ही की है। ऐसे दाैर में सभी दलाें काे साथ मिलकर काम करना चाहिए। केंद्र की माेदी और प्रदेश की जयराम सरकार ने हिमाचल की जनता काे काेराेना से मुक्त करवाने के लिए पहले दिन से ही लड़ाई लड़ी। केंद्र से हर संभव सहायता मिल रही है। स्वास्थ्य उपकरण से लेकर ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, खाद्य सामग्री सहित हर क्षेत्र के लिए भरपूर सहयाेग मिल रहा है। यही नहीं, बल्कि वेक्सीनेशन में भी हिमाचल इस वक्त पूरे देश में पहले नंबर पर है। बावजूद इसके कांग्रेस वेक्सीनेशन पर भी राजनीति कर रही है। मैं साथ ही कहना चाहता हूं कि अगले साल हाेने वाले विधानसभा चुनावाें में कांग्रेस कहीं पर भी दिखाई नहीं देगी। यानी हिमाचल काेराेना मुक्त के साथ-साथ कांग्रेस मुक्त राज्य बनेगा।
तीन नगर निगम और 6 नगर पंचायतों का किया गठन
प्रदेश में नए नगर निगम बनाने की वर्षों पुरानी मांग राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के चलते पूरी होती नहीं दिख रही थी, विशेषकर सोलन और मंडी। सुरेश भारद्वाज के शहरी विकास मंत्री बनते ही इस मामला आगे बढ़ा और प्रदेश सरकार ने तीन नए नगर निगम और 6 नई नगर पंचायतों के गठन को हरी झंडी दे दी। सोलन, मंडी और पालमपुर को नगर निगम का दर्जा मिल चूका है। जबकि कंडाघाट, अंब, आनी, निरमंड, नेरवा और चिड़गांव को नगर पंचायत बनाया जा चूका है।
