कोर्ट के आदेश पर टिप्पणी कर ट्रोल हो गई स्वरा भास्कर, IPS अरुण बोथरा ने समझाया कानून
अक्सर विवादों में घिरने वाले एक्टर स्वरा भास्कर एक बार फिर अपने बयान की वजह से ट्रोल हो गई हैं। लोगों ने उनके कानूनी ज्ञान का मजाक उड़ाया और कहा कि निर्दोष साबित होने और उचित सबूत न होने में फर्क होता है। उन्होंने हर मामले में एक वर्ग विशेष से जोड़ने पर स्वरा भास्कर की आलोचना भी की।
दरअसल गुजरात की एक कोर्ट ने उचित सबूत न मिलने पर 122 लोगों को 20 साल बाद बरी कर दिया है। इस मामले को मुस्लिमों से जोड़ते हुए स्वरा ने सांप्रदायिक टिप्पणी की, जिसके बाद सीनियर IPS अधिकारी अरुण बोथरा ने उनके कानूनी ज्ञान पर सवाल उठाते हुए निर्दोष साबित होने और उचित सबूत न मिलने के बीच का अंतर समझाया। सीनियर IPS अधिकारी अरुण बोथरा ने ट्वीट कर कहा,'कोर्ट को इस मामले का फैसला करने में 20 साल लग गए। इसका मतलब ये नहीं कि आरोपी 20 साल जेल में ही रहे। वे सभी 20 सालों से जमानत पर बाहर थे. हमें यह भी समझने की जरूरत है कि गलत आरोप लगाने और आरोप साबित होने में अंतर होता है। दोनों को एक समान नहीं माना जा सकता'। अरुण बोथरा ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया में इस देरी को किसी भी प्रकार से न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता। लेकिन लोगों को आधा सच बताना भी उतना ही खतरनाक है।
जानकारी के मुताबिक गुजरात के सूरत में प्रतिबंधित संगठन SIMI से संबंध रखने के आरोप में 122 लोगों पर UAPA के तहत वर्ष 2001 में मुकदमा दर्ज किया गया था। करीब 20 साल की सुनवाई के बाद लोकल कोर्ट ने सभी आरोपियों को केस से बरी कर दिया। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ भरोसेमंद सबूत पेश करने में विफल रहा, इसलिए उन्हें बरी किया जाता है। बता दें कि इससे पहले भी स्वरा भास्कर अक्सर विवादों में घिरती रही हैं।
