पालमपुर : CSIR-IHBT में दो दिवसीय हर्बल मीट संपन्न, 200 से अधिक विशेषज्ञों ने लिया भाग

सी.एस.आई.आर.-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर में 2 जुलाई को शुरू हुई दो दिवसीय हर्बल सैक्टर स्टेकहोल्डर मीट-2025 का आज समापन हो गया। इस कार्यक्रम में देशभर से 200 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें वैज्ञानिक, किसान, नीति निर्धारक, उद्योगपति, शोधकर्ता, चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ, एनजीओ और एफपीओ के सदस्य शामिल थे।
मीट में कुल तीन सत्र आयोजित किए गए। पहले सत्र का विषय था हर्बल खेती में चुनौतियाँ और सतत स्रोत, जिसमें डॉ. डी.आर. नाग ने उद्घाटन भाषण दिया और औषधीय संसाधनों पर प्रकाश डाला। दूसरे सत्र में हर्बल उत्पादों की गुणवत्ता नियंत्रण और वैज्ञानिक प्रमाणन पर चर्चा हुई। इसकी अध्यक्षता फार्माकोपिया कमीशन फॉर इंडियन मेडिसिन एंड होम्योपैथी, गाज़ियाबाद के निदेशक डॉ. रमन मोहन सिंह ने की और मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. सी.के. कटियार, सलाहकार (आर&डी हेल्थकेयर, इमामी लिमिटेड) ने व्याख्यान दिया। उन्होने पादप गुणवत्ता मापदंडों के मूल्यांकन पर ज़ोर दिया।
तीसरा सत्र हर्बल क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित था, जिसमें प्रमुख व्याख्यान डॉ. विजय चौधरी, प्राचार्य, राजीव गांधी आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल, पपरोला ने दिया। उन्होंने हर्बल चिकित्सा की प्रमाणिकता और सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रमुख व्याख्यानों के अतिरिक्त, विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों द्वारा 24 से अधिक प्रस्तुतियाँ दी गई "हर्बल सैक्टर के भविष्य" विषय पर एक पैनल चर्चा भी आयोजित की गई। प्रतिभागियों द्वारा उठाए गए मुद्दों और प्रश्नों के उत्तर विशेषज्ञों द्वारा दिए गए। प्रतिभागियों ने संस्थान की प्रयोगशालाओं का भ्रमण कर वहां हो रहे शोध को प्रत्यक्ष रूप से देखा और सराहा। उन्होंने इस उपयोगी और समग्र रूप से लाभकारी कार्यक्रम के आयोजन के लिए संस्थान की सराहना की।
बैठक में यह निष्कर्ष निकला कि हर्बल क्षेत्र सतत विकास का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो देश की समृद्ध जैव विविधता और पारंपरिक ज्ञान का लाभ उठाकर ग्रामीण आजीविका, स्वास्थ्य सुरक्षा और वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देता है और "विकसित भारत" को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करता है।