काजल को कांग्रेस ने बनाया अपना नूर

नए अध्यक्ष के साथ -साथ हिमाचल प्रदेश कांग्रेस को चार कार्यकारी अध्यक्ष भी मिले है। इन चार कार्यकारी अध्यक्षों में से एक नाम है पवन काजल का, जो अब कांग्रेस का नूर है। काजल कांगड़ा सीट से विधायक है और जिला कांगड़ा में बतौर ओबीसी नेता उनका अच्छा रसूख है। खास बात ये है कि अब काजल कांगड़ा में कांग्रेस का प्राइम फेस बनते दिख रहे है। थोड़ा फ्लैशबैक में चले तो वीरभद्र सरकार के समय जिला कांगड़ा ने दो कांग्रेसी नेताओं की तूती बोलती थी, सुधीर शर्मा और स्व जीएस बाली। दोनों मंत्री थे, दोनों ब्राह्मण और दोनों भावी मुख्यमंत्री के तौर पर देखे जाते थे। पर बाली अब इस दुनिया में नहीं है और सुधीर के सियासी तारे गर्दिश में दिख रहे है। पार्टी का ही एक तबका खुलकर उनके खिलाफ मुखर है। इस बीच रफ्ता - रफ्ता पवन काजल विधायक का सियासी कद बढ़ता रहा और अब जब कांगड़ा से कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की बारी आई तो पार्टी आलाकमान ने उन्हें इस पद से नवाजा। स्वाभाविक है उनकी ये तरक्की कई नेताओं के अरमान कुचल सकती है।
पवन काजल 2012 में पहली बार विधायक बने, तब वे आजाद उम्मीदवार थे। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और वीरभद्र सिंह ने उन्हें कांग्रेस में शामिल कर लिया। 2017 में काजल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और फिर जीत गए। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया। तब भी खुद वीरभद्र सिंह ने उनके लिए प्रचार किया था। कहते है कांग्रेस में शामिल होते वक्त काजल दरअसल कांग्रेस में नहीं जुड़े थे, बल्कि वीरभद्र सिंह के साथ आये थे। अब उनका झुकाव होलीलॉज की तरफ ही रहता है या वे संतुलन बनाकर ही आगे बढ़ते है, ये देखना भी रोचक होने वाला है।
ओबीसी वोट पर निगाहें :
जिला कांगड़ा में ओबीसी वोट बैंक का अच्छा प्रभाव है। अमूमन हर सीट पर ओबीसी वोट जीत -हार का अंतर पैदा कर सकता है। काजल को मजबूत करके कांग्रेस की नज़र इसी वोट बैंक पर है। ओबीसी वर्ग की बात करें तो कांग्रेस के पास चौधरी चंद्र कुमार के रूप में भी एक मजबूत चेहरा हैं और पवन काजल भी उन नेताओं में शुमार है जिनके समर्थक हर क्षेत्र में है। ऐसे में पवन काजल को कार्यकारी अध्यक्ष बनाना कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक सिद्ध हो सकता है।
जब दिग्गज हारे तब भी जीते काजल :
2017 के विधानसभा चुनाव में जिला कांगड़ा की 15 सीटों में से सिर्फ तीन सीटें कांग्रेस ने जीती थी। खास बात ये है तब वीरभद्र कैबिनेट में मंत्री रहे जीएस बाली और सुधीर शर्मा सहित बड़े -बड़े दिग्गज धराशाई हो गए थे। पर पवन काजल ने 6 हज़ार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी। उनके अतिरिक्त सुजानपुर से स्व सुजान सिंह पठानिया और पालमपुर से आशीष बुटेल ही चुनाव जीत पाए थे।