दोनों तरफ परिवारवाद, फिर हल्ला क्यों मचा है !
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प्रदेश कांग्रेस के संगठन में हुए बदलाव के बाद भाजपा को एक बार फिर परिवारवाद के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने का मौका मिल गया है। प्रतिभा सिंह की ताजपोशी के बाद से भाजपाई नेता लगातार वंशवाद के मुद्दे पर कांग्रेस पर हमला बोल रहे है। उधर कांग्रेसी भी ये याद दिलाने से नहीं चूक रहे कि जिन अनुराग ठाकुर को भाजपा का एक तबका भावी सीएम करार देने में जुटा है, वो भी उन्हीं के पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र है। बहरहाल चुनावी बेला में आरोप - प्रत्यारोप का दौर जारी है। पर हिमाचल कि सियासत पर नज़र डाले तो वंशवाद और परिवारवाद नई बात नहीं है। चाहे वीरभद्र परिवार हाे, धूमल परिवार या अन्य कई नेता, राजनीतिक विरासत संभालने के लिए उनका परिवार हमेशा तैयार दिखा है।
छ बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के निधन के बाद उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह के हाथ में अब कांग्रेस की कमान है। इससे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह के साथ उनके पुत्र विक्रमदित्य भी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इसी तरह से धूमल परिवार में भी ऐसी ही स्थिति है। 2017 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार पराजित हुए जिसके बाद धूमल परिवार की सियासी धाक कुछ कम हुई। मगर सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने विरासत की सियासत काे ज़िंदा भी रखा और सियासी रसूख भी बढ़ाया। 2019 के आम चुनाव के बाद अनुराग केंद्रीय मंत्री हो चुके है।
कांग्रेस के अन्य नेताओं की बात करें तो हिमाचल प्रदेश विधानसभा के पूर्व स्पीकर बीबीएल बुटेल पिछले चुनाव से ही रिटायर हो गए और उनके बेटे आशीष बुटेल ने माेर्चा संभाल लिया। फतेहपुर उपचुनाव में पूर्व विधायक स्व सुजान सिंह पठानिया के पुत्र भवानी पठानिया जीतकर विधानसभा पहुंचे। वहीँ जुब्बल कोटखाई से पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल के पौत्र रोहित ठाकुर तीसरी बार जीतकर विधानसभा पहुंचे। पूर्व सांसद चंद्र कुमार के बेटे एवं पूर्व सीपीएस नीरज भारती भी 2012 में विधायक बने, हालांकि उन्हें 2017 में हार मिली। सुधीर शर्मा, जगत सिंह नेगी, अजय महाजन समेत कई ऐसे नेता हैं जाे सक्रीय राजनीति कर रहे हैं और अपने बुजुर्गों की राजनैतिक विरासत को संभाले हुए है।
भाजपा में भी लिस्ट कम नहीं है। स्व कुंजलाल ठाकुर के पुत्र गाेविंद सिंह ठाकुर वर्तमान में मंत्री है। मंडी विधायक अनिल शर्मा भी पिछला चुनाव भाजपा के टिकट पर जीते थे। मंत्री महेंद्र सिंह की बेटी वंदना गुलेरिया जिला परिषद् सदस्य है और अब मंत्री के बेटे भी राजनीती में सक्रीय है। इसी तरह नरेंद्र ठाकुर भी परिवार की राजनैतिक विरासत को ही संभाल रहे है।
क्या स्टैंड पर कायम रहेगी भाजपा :
जुब्बल कोटखाई उपचुनाव में भाजपा ने पूर्व विधायक स्व नरेंद्र बरागटा के पुत्र चेतन बरागटा को टिकट नहीं दिया और इसका कारण परिवारवाद बताया गया। पर सवाल ये है कि क्या भाजपा अपने स्टैंड पर कायम रहेगी। जानकार ऐसा नहीं मानते। मुमकिन है कि जल्द भाजपा में चेतन की एंट्री भी हो और अगली बार उन्हें टिकट भी मिले। ऐसे कई नेता भी है जिन पर परिवारवाद का टैग है और जो टिकट के दावेदार है। कोई नेता पुत्र है तो कोई पूर्व सांसद का भाई।