भारत-अमेरिका के बीच आज दिल्ली में ट्रेड डील पर बातचीत शुरू, 50% टैरिफ के चलते नहीं हो सकी थी बातचीत

अमेरिका के मुख्य व्यापार वार्ताकार ब्रेंडन लिंच द्विपक्षीय व्यापार पर बातचीत के लिए भारत पहुचें हैं। आज मंगलवार को भारतीय मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल के साथ ब्रेंडन लिंच की बातचीत शुरू हो गई है। लिंच के साथ अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल बीते कल सोमवार रात को भारत पहुंची थी। अमेरिका के भारत पर 50 % टैरिफ के चलते यहां के कई उद्योगों पर असर पड़ा है। सामानों की मैन्युफैक्चरिंग के साथ साथ रोजगार पर भी इसका असर हुआ है। इस बातचीत से राहत मिलने की उम्मीद की जा सकती है।
भारत-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर पांचवे दौर की बातचीत इससे पहले ही हो चुकी है। छठे दौर की वार्ता 25-29 अगस्त के बीच होनी थी, पर अमेरिका की तरफ से भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बाद छठे दौर की वार्ता को टाल दिया गया था। जानकारी के मुताबिक, आज की बातचीत से आने वाले दिनों में भारत-अमेरिका वार्ता के छठे दौर के लिए बेस तैयार हो सकता है ऐसा अनुमान है।
इस बातचीत में माल और सेवा क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने, बाजार पहुंच बढ़ाने, टैरिफ व गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने के साथ सप्लाई चेन एकीकरण को विस्तृत करने के लिए जरुरी नए कदमों पर चर्चा हो सकती है।
2030 तक व्यापार को 500 बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य
भारत-अमेरिका के बीच कुल व्यापार करीब 190 बिलियन डॉलर है। 2030 तक भारत तथा अमेरिका का लक्ष्य द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करना है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जुलाई 2025 में भारत का अमेरिका को निर्यात 21.64% बढ़कर 33.53 अरब डॉलर हो गया, वहीं आयात 12.33% बढ़कर 17.41 अरब डॉलर रहा।
भारत अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते अभी तक नहीं होने की वजह
अमेरिका यह चाहता है कि उसके जो डेयरी उत्पाद हैं जैसे दूध, पनीर, घी आदि को भारत में आयात करने की अनुमति मिल जाए। आपको बता दें कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और इस क्षेत्र में करोड़ों छोटे किसान लगे हैं। अगर अमेरिका को इन चीजों को आयात करने की अनुमति दे दी जाएगी तो इससे भारत के लाखों छोटे किसान बेरोजगार हो सकते हैं और उनकी रोजी रोटी भी जा सकती है। साथ ही देश की अर्थ व्यवस्था पर भी इसका असर पड़ सकता है। इसीलिए भारत सरकार को शंका है कि यदि अमेरिकी डेयरी उत्पाद भारत में आते हैं, तो वे यहां के किसानों को भारी क्षति पहुंचा सकते हैं।
इससे धार्मिक भावना भी जुड़ी हुई हैं। आपको बता दें कि अमेरिका में गायों को पोषण देने के लिए जानवरों की हड्डियों से तैयार एंजाइम को उनके खाने में दिया जाता है। इसीलिए भारत अमेरिका की ऐसी गायों के दूध को शाकाहारी दूध नहीं मानता है।