'कुछ कर नहीं सकते तो कुर्सी से उतर क्यों नहीं जाते' ....क्या शांता कुमार ने गलत कहा ?

कुर्सी है तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है
कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते
हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली से अशांत हुए शांता कुमार ने आज इन्हीं शब्दों में तल्ख टिप्पणी की है। इरतिज़ा निशात के इस तल्ख शेर का इस्तेमाल करते हुए शांता कुमार ने मौजूदा स्वास्थ्य व्यवस्था पर जोरदार प्रहार किया है। शांता ने अपनी सोशल मीडिया पर पोस्ट पर लिखा, 'सीमा की भी एक सीमा होती है।' उन्होंने विशेष तौर से टांडा अस्पताल का जिक्र किया है। पर स्वास्थ्य सेवाओं की बात करें तो अमूमन पुरे प्रदेश में हालत बदतर है। खुद स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल के गृह क्षेत्र में अव्यवस्था हावी है।
शांता कुमार कई मसलों पर बीजेपी से इतर सुक्खू सरकार की तारीफ़ करते रहे है। कई मुद्दों पर उन्होंने खुलकर सीएम सुक्खू की सराहना की है। अब अगर वो ही शांता कुमार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर इतनी तल्ख़ टिपण्णी कर रहे है , तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए, सरकार को भी और स्वास्थ्य मंत्री को भी। एक किस्म से शांता कुमार ने इस पोस्ट के माध्यम से न सिर्फ व्यवस्था को आईना दिखाया है, बल्कि कुर्सी छोड़ने की नसीहत तक दे डाली है। इसमें कोई संशय नहीं है कि संसाधनों की कमी बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के परिवर्तन में बाधा है। इसमें भी कोई संशय नहीं है कि पूर्व की सरकारों में भी कोई आला दर्जे की व्यवस्था नहीं रही है। किन्तु खामियाजा जनता क्यों भुगते और कब तक भुगते ? व्यवस्था को तो बदलना होगा, कुर्सी पर रहकर या कुर्सी से उतर कर।
बिजली का बिल जमा न करवाने पर कटा सोलन के क्षेत्रीय अस्पताल की क्रस्ना लैब का कनेक्शन !
- स्वास्थ्य मंत्री के गृह क्षेत्र के अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का ये है हाल
न बिजली है, न टेस्ट हो रहे है और न ही रिपोर्ट्स आ रही है.....स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का ये हाल है स्वास्थ्य मंत्री के अपने गृह क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल यानी क्षेत्रीय अस्पताल सोलन में। एक या दो दिन से नहीं बल्कि पूरे पांच दिनों से यहाँ पर आने वाले मरीजों को टेस्ट करवाने के लिए प्राइवेट लैब में जाना पड़ रहा है। कारण ये है कि क्रस्ना लैब ने फरवरी महीने का बिजली का बिल जमा नहीं करवाया, जिसके बाद बिजली बोर्ड ने इनका बिजली कनेक्शन काट दिया है। क्रस्ना लैब को लगभग एक लाख रुपए बिजली का बिल हो गया है। अब सवाल यह है कि जब क्रस्ना लैब ने बिल नहीं दिया, तो अस्पताल में आने वाले मरीज इसका खामियाजा क्यों भुगतें ? सवाल तो यह भी है कि इतने दिनों से स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले के अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहाल पड़ी हैं, तो क्या उन्हें इसकी कोई खबर नहीं ?
क्षेत्रीय अस्पताल सोलन के MS राकेश पवार ने कहा है कि हमने इसकी जानकारी मंत्री जी तक पंहुचा दी है। क्रस्ना लैब से बातचीत तो हो रही है लेकिन बीते दिनों से सिर्फ बिल जमा करने के वादे किये जा रहे है। यानी सीधा कहे तो उन्होंने भी इस लाचारी ही बताया है।