ये खेल है कब से जारी, बिछड़े सभी बारी बारी
- कांग्रेसी नेता भाजपा में जाकर बन रहे मुख्यमंत्री
- परिवर्तन की जगह चिंतन मंथन के दौर में ही अटकी है पार्टी
असम के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा, त्रिपुरा के नए मुख्यमंत्री मानिक साहा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, नागालैंड में नेफियू रियो, अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, ये तमाम वो नेता है जो कांग्रेस से भाजपा में गए और मुख्यमंत्री बन गए। सेवन सिस्टर कहे जाने वाले नार्थ ईस्ट के साथ राज्यों में से इस वक्त पांच में भाजपा की सरकार है और इन पांचो राज्यों में मुख्यमंत्री वो नेता है जो कांग्रेस से भाजपा में गए। कांग्रेस आलाकमान की इससे बड़ी नाकामी भला और क्या हो सकती है। हिमाचल प्रदेश जैसे कुछ राज्य अब तक अपवाद जरूर है लेकिन बाकी देश में हाल बेहाल है। बीते कुछ समय में कई बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके है, तो कई हाशिए पर है और कभी भी इनकी रवानगी का समाचार मिल सकता है। बावजूद इसके नेतृत्व परिवर्तन की जगह पार्टी में अब तक चिंतन - मंथन का दौर ही चला हुआ है।
'ये खेल है कब से जारी, बिछड़े सभी बारी बारी'. कैफ़ी आजमी के लिखे गीत के ये अल्फ़ाज़ आज कांग्रेस की स्थिति बयां करने के लिए बिलकुल उपयुक्त है। जैसा कैफ़ी साहब ने लिखा था, वैसा ही कुछ कांग्रेस के साथ घट रहा है। एक - एक कर नेता -कार्यकर्त्ता पार्टी का साथ छोड़ते जा रहे है। हालहीं में उदयपुर में तीन दिन तक नव संकल्प शिविर में कांग्रेस का चिंतन -मंथन हुआ और इसके तीसरे ही दिन गुजरात से नतीजों का पहला रुझान आ गया। हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। साल के अंत में गुजरात में विधानसभा के चुनाव होने है, इससे ठीक पहले हार्दिक का पार्टी से रुक्सत होना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। ये अचानक नहीं हुआ, कांग्रेस क्या पुरे देश को पता था कि पार्टी आलाकमान की लचर कार्यशैली से उकता चुके हार्दिक ऐसा कदम उठा सकते है। पर कांग्रेस को मानो इस बात का ही इन्तजार था, शायद हार्दिक पार्टी के लिए गैर जरूरी लग रहे होंगे। बहरहाल कारण जो भी हो हार्दिक का जाना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है।
इससे पहले कांग्रेस के नव संकल्प शिविर के दौरान ही पंजाब से पार्टी के दमदार नेता सुनील जाखड़ ने गुड बाय कह दिया था। उनके जाने के कुछ दिन पहले ही पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्वनी कुमार ने पार्टी को अलविदा कहा था। वहीँ कैप्टेन अमरिंद्र सिंह को हटाकर और नवजोत सिंह सिद्धू को संगठन की कमान थमाकर पंजाब में हार की पटकथा तो पार्टी विधानसभा चुनाव से पहले ही लिख चुकी थी। ये बेफिजूल के परिवर्तन नहीं किये गए होते तो संभवतः पार्टी पंजाब में बेहतर करती।
कई दिग्गज भाजपा में हुए है शामिल :
बीते एक दशक पर नज़र डाले तो कांग्रेस के कई दिग्गज भाजपा में शामिल हुए है। मध्यप्रदेश में युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधियां तो अपने साथ -साथ कांग्रेस की सरकार भी ले गए थे। यूपी में एक दिन के मुख्यमंत्री रहे जगदंबिका पाल 2014 में बीजेपी में शामिल हुए थे। वह लगातार दो बार से बीजेपी के टिकट पर डुमरियागंज से सांसद हैं। इसी तरह कांग्रेस की पूर्व दिग्गज नेता रीता बहुगुणा जोशी 2016 में बीजेपी में शामिल हुई थीं। उन्होंने 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ा था। पार्टी का ब्राह्मण चेहरा जितेन प्रसाद भी पिछले साल भाजपा में शामिल हो गए। हरियाणा में चौधरी बीरेंद्र सिंह 2014 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। पीएम नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में उन्हें इस्पात मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी। गुरुग्राम से सांसद राव इंद्रजीत सिंह भी 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे। इसी तरह महाराष्ट्र में कांग्रेस के दिग्गज नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल 2019 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे। पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे भी अब भाजपा में शामिल हो चुके है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा भी अब भाजपा में है। ऐसी सैकड़ों उदहारण है जहाँ कांग्रेस के अच्छे जनाधार वाले नेताओं ने भाजपा में शामिल होकर पार्टी का जनाधार बढ़ाया है।
