डेयरी उद्यमिता विकास योजना सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण

राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के जिला विकास प्रबन्धक अशोक चौहान कहा कि डेयरी उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस) का हमारे देश के सामाजिक व आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान है और यह योजना हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण घटक है। अशोक चौहान आज यहां डीईडीएस पर आयोजित जिला स्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस योजना के अंतर्गत 9 संघटकों के लिए उद्यम लगाने के लिए बैंक ऋण से सम्बद्ध तथा नाबार्ड द्वारा संचालित उपदान का लाभ उठाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि योजना के माध्यम से कृषक, स्वयं सहता समूह, कृषक उत्पादक संगठन, सहकारी समितियां, संघ तथा पंचायती राज संस्थाओं को उपदान के रूप में सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना का उद्देश्य बेरोजगारों के लिए स्वरोजगार का सृजन करना, डेयरी उत्पादन में आधारभूत संरचना का विकास करना तथा आधुनिक उपकरणों के माध्यम से वाणिज्यिक स्तर पर दुग्ध उत्पादन करना है ताकि इसके माध्यम से किसानों एवं पशुपालकों की आर्थिकी को सुदृढ़ किया जा सके। अशोक चौहान ने कहा कि योजना के अन्तर्गत सामान्य श्रेणी के उद्यमियों को 25 प्रतिशत व अनुसूचित जाति व जनजाति के उद्यमियों को 33.33 प्रतिशत का अनुदान प्रदान किया जाता है। योजना के अंतर्गत एक उद्यमी को सभी घटकों के लिए उपदान का लाभ मिलता है। किन्तु प्रत्येक घटक के लिए केवल एक ही बार लाभ प्रदान किया जाता है।
उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि डेयरी योजना को प्रभावशाली बनाने व अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया जाना चाहिए ताकि किसानों एवं पशु पालको की आय में आशातीत वृद्धि हो सके।पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक विनय शर्मा ने कहा कि विभाग के माध्यम से डेयरी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। विभाग पशु पालकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा है। जिला के अग्रणी बैंक यूको बैंक के प्रबंधक बिशन सांख्यान ने इस अवसर पर बैंकों की ओर से योजना व अन्य प्रायोजित योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए हरसंभव सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया। उन्होने कहा कि योजना को क्लस्टर मोड में प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है ताकि अधिक से अधिक लाभार्थियों को इसका फायदा मिल सके। इस अवसर पर गैर सरकारी संस्थाओं व कृषक उत्पादक संगठनों के प्रतिनिधियों की शंकाओं का भी निवारण किया गया। कार्यशाला में जिला ग्रामीण विकास अभिकरण की कार्यवाहक परियोजना अधिकारी रीता मोहिंद्रू, विभिन्न बैंकों, गैर सरकारी संस्थाओं तथा नाबार्ड द्वारा संवर्धित कृषक उत्पादक संगठनों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।