कहानी राजन सुशांत और उनकी ‘हमारी पार्टी हिमाचल पार्टी’ की

भाजपा और कांग्रेस से छिटक कर हिमाचल में कई नेताओं ने अपने राजनीतिक दल बनाने की कोशिश की। इनमें पंडित सुखराम, महेश्वर सिंह, महेंद्र सिंह ठाकुर जैसे नाम शामिल हैं। हालांकि, इनमें से पंडित सुखराम के अलावा कोई भी अपनी पार्टी को खास ऊंचाई पर ले जाने में सफल नहीं हो पाया। इन्हीं राजनीतिक असफलताओं में एक असफल प्रयास डॉ राजन सुशांत ने भी किया था। आज हम आपको बताएंगे उस पार्टी की कहानी, जो पूरी तरह बनने से पहले ही बिखर गई।
हमारी पार्टी हिमाचल पार्टी शायद आपने ये नाम न सुना हो या शायद आप ये नाम भूल गए हों, मगर यकीन मानिए हिमाचल में इस पार्टी का गठन किया गया था। और इस पार्टी का गठन करने वाले नेता थे डॉ राजन सुशांत। एक समय भाजपा के कद्दावर नेता रहे सुशांत, 1982 में सबसे कम उम्र के विधायक बने थे और बाद में प्रेम कुमार धूमल सरकार में राजस्व मंत्री भी रहे। वर्ष 2009 में वे भाजपा से कांगड़ा संसदीय सीट से सांसद चुने गए। लेकिन अपनी बेबाकी और पार्टी विरोधी रुख के चलते उन्हें 2011 में भाजपा से निलंबित कर दिया गया। फिर राजन सुशांत ने 2014 में आम आदमी पार्टी का दामन थामा और हिमाचल प्रदेश में पार्टी के राज्य संयोजक भी बने। हालांकि 2014 का लोकसभा चुनाव वे कांगड़ा से आप के टिकट पर हार गए। वहां भी राजनीतिक ऑक्सीजन की कमी महसूस हुई, तो 25 अक्टूबर 2020 में खुद की दुकान खोल ली और नाम रखा हमारी पार्टी हिमाचल पार्टी। इस पार्टी के गठन का मकसद था हिमाचल प्रदेश में तीसरा राजनीतिक विकल्प खड़ा करना और स्थानीय मुद्दों पर आधारित राजनीति को बढ़ावा देना। स्वतंत्र लड़ाई के वादे तो और भी बहुत हुए, मगर ये वादे धरे के धरे रह गए।
2022 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले, सुशांत ने जनता से "न हमारी न तुम्हारी" कहकर अपनी ही बनाई पार्टी को दरकिनार कर दिया और 10 सितंबर 2022 को एक बार फिर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। इस बार उन्हें आप ने फतेहपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। लेकिन 2022 के चुनाव में राजन सुशांत को सिर्फ 1266 वोट मिले और वे बुरी तरह से चुनाव हार गए।