कुटलैहड़ में दो पूर्व विधायक और दो तिरंगा यात्रा .....क्या लकीर खींच चुकी है !

- कुटलैहड़ भाजपा के भीतर के शीत युद्ध के ट्रेलर बराबर आ रहे सामने !
जिन देवेंद्र भुट्टों ने 2022 में अर्से बाद भाजपा का सबसे मजबूत किला माने जा रहे कुटलैहड़ को फ़तेह किया था, जो भाजपा की आँखों की किरकिरी थे, वो अब आँखों का नूर हो गए है। वहीँ जो वीरेंद्र कँवर अर्से तक पार्टी का फेस रहे, चार बार विधायक बने, मंत्री रहे, अब बदली स्थिति-परिस्तिथि में दरकिनार से दिख रहे है, या यूँ कहिये कटे -कटे से है। ये वहीँ वीरेंद्र कँवर है जिन्होंने 2017 में प्रो धूमल के चुनाव हारने पर अपनी सीट छोड़ने की पेशकश कर दी थी। जो आज भी धूमल के निष्ठावान है। तो क्या धूमल से इसी निष्ठा से कीमत उन्होंने चुकाई है, या कुटलैहड़ की इस सियासी फिल्म का क्लाइमेक्स कुछ और होगा, अभी से इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। पर कुटलैहड़ भाजपा के भीतर के शीत युद्ध के ट्रेलर जरूर बराबर सामने आ रहे है।
बुधवार को कुटलैहड़ में भाजपा की तिरंगा यात्रा थी जिसमें त्रिलोक जम्वाल भी पहुंचे थे। भाजपा के वरिष्ठ नेता हो चुके, पूर्व विधायक देवेंद्र कुमार भुट्टो की अगुवाई में इस यात्रा का आयोजन हुआ। पर पुराने वाले वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक वीरेंद्र कंवर गैर हाजिर रहे। पर अगले ही दिन वीरेंद्र कंवर की ओर से भी तिरंगा यात्रा निकाल दी गई, दो सामाजिक संगठनो के बैनर तले। दरअसल इत्तेफ़ाक़ ये है कि कुटलैहड़ में भाजपा के दो मंडल है और ये सामाजिक संगठन भी इन दोनों क्षेत्रों से है। अब देखने वाले इस तिरंगा यात्रा को सियासी यात्रा के तौर पर भी देख रहे है। हम तो ये कहेंगे "जिन की रही भावना जैसी, तिरंगा यात्रा देखी तिन तैसी"।