साढ़े पांच महीने से हिमाचल कांग्रेस बेसंगठन, लगता नहीं हरियाणा से सबक लिया है !

हरियाणा में 12 साल से नहीं है जिला और ब्लॉक अध्यक्ष
क्या हिमाचल में कांग्रेस हरियाणा की पुर्नावृति चाहती है ? वहीँ हरियाणा जहाँ सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ गजब की एंटी इंकम्बैंसी के बावजूद कांग्रेस बुरी तरह विधानसभा चुनाव हारी है। जहाँ लगातार तीन विधानसभा चुनाव पार्टी हार चुकी है और अब भी सबक लेती नहीं दिख रही। यदि ऐसा नहीं है तो हिमाचल में पार्टी हरियाणा की राह पर क्यों बढ़ती दिख रही है ? हरियाणा में लगभग 12 सालों से कांग्रेस के जिला और ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हुई है। इस बीच देश में तीन आम और राज्य में तीन असेंबली चुनाव हो गए, कई प्रदेश कई प्रदेशाध्यक्ष व प्रभारी बदल गए, लेकिन कोई भी संगठन की नियुक्तियां नहीं करवा पाया। इसकी एक बड़ी वजह मानी जाती है कि प्रदेश के वजनदार नेताओं का होना और इन नेताओं के आपसी मतभेद। इसके चलते कभी संगठन पदाधिकारियों सर्वमान्य सूची बन ही नहीं पाई। अब हिमाचल कांग्रेस कार्यकारणी के गठन में देरी तो ये ही इशारा देती है कि कांग्रेस ने हरियाणा से कोई सबक नहीं लिया है।
हिमाचल प्रदेश में 6 नवंबर से कांग्रेस संगठन भंग है। साढ़े पांच महीने में भी आलाकमान नए संगठन को हरी झंडी नहीं दे पाया है। दरअसल हिमाचल में भी कांग्रेस का मर्ज हरियाणा वाला ही है, गुटों में बंटे बड़े और वजनदार चेहरे। यहाँ भी अब तक आलाकमान फोई फैसला नहीं ले पाया। कांग्रेस के मंत्रियों सहित कई बड़े नेता सवाल उठा चुके है, आलाकमान को चेता चुके है, लेकिन अब तक नतीजा रहा है
सिफर। हैरत है कि कांग्रेस में अब भी कोई जल्दबाजी नहीं दिखती, या यूँ कहे कि शायद आलाकमान इस स्थिति के आगे बेबस है। बहरहाल कारण जो भी इस स्थिति में हिमाचल कांग्रेस का आम कार्यकर्त्ता जरूर मायूस दिख रहा है।
इस बीच दिलचस्प बात तो ये है बीते कुछ वक्त में कांग्रेस आलाकमान जिला अध्यक्षों को ताकतवर करने के संकेत देता रहा है। दिल्ली में बाकायदा राहुल गाँधी और खरगे सहित बड़े नेता जिला अध्यक्षों की वर्कशॉप ले चुके है। पर विडम्बना देखिये कि हरियाणा और हिमाचल जैसे राज्यों में जिला अध्यक्ष ही नहीं है।