सोलन नगर निगम : कांग्रेस की कलह में संभावना तलाशती भाजपा

"जो चाचा है वो ही भतीजा है, जो भतीजा है वो ही चाचा है "...सोलन नगर निगम की सियासत कुछ यूँ ही दिखती है। कहीं भाजपाई, कांग्रेस के साथ है तो कहीं कांग्रेसी, भाजपाइयों के साथ। बेशक नगर निगम के चुनाव पार्टी सिंबल पर हुए थे, लेकिन निगम की अंदरूनी सियासत पर पार्टी का बहुत असर दिखता नहीं है। यूँ तो नगर निगम पर कांग्रेस का कब्ज़ा है, लेकिन कांग्रेस के ही पार्षद भाजपा के साथ मिलकर अविश्वास प्रस्ताव ला चुके है। ये अलग बात है कि तब तकनीकी नासमझी के चलते उनका दांव उल्टा पड़ गया था। अब भी कांग्रेस के कुछ पार्षद अलग थलग दिख रहे है। निगम के जनरल हाउस में अमूमन हंगामा भी भाजपाइयों से ज्यादा कांग्रेसी ही करते है। उधर, मेयर और डिप्टी मेयर की राजनैतिक सेहत को कोई नुक्सान होता नहीं दिखता। दोनों जमे हुए है, डटे हुए है और इनके पास आवश्यक समर्थन भी दिखता है। हालांकि ढाई साल बाद नियम के मुताबिक मेयर बदला जाना है और ढाई साल इसी अक्टूबर में पूर्ण होंगे। ऐसे में राजनैतिक सरगर्मियां फिर तेज है।
वहीँ कांग्रेस की इस खींचतान में भाजपा संभावना तलाश रही है। अविश्वास प्रताव के वक्त भी कांग्रेस के कुछ पार्षदों के साथ जो तय हुआ था उसमें भाजपा का डिप्टी मेयर और कांग्रेस का मेयर बनना था। पर माहिर मान रहे है कि भाजपा की निगाह अब मेयर पद पर है। डॉ राजीव बिंदल के अध्यक्ष बनने के बाद निसंदेह भाजपा को किसी तिगड़म की उम्मीद जरूर होगी। अगर बिंदल किसी भी तरह ऐसा कर देते है तो ये कांग्रेस के लिए तो झटका होगा। हालांकि ऐसा मुश्किल जरूर है, पर गीले शिकवे भूलकर कांग्रेसी एकजुट नहीं हुए तो ये मुमकिन तो है ही।
सोलन नगर निगम में कुल 17 पार्षद है, 9 कांग्रेस के, 7 भाजपा के और एक निर्दलीय जीतकर आएं है। निर्दलीय पार्षद पूर्व में भाजपाई थे और उनका झुकाव भाजपा की तरफ रह सकता है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस के बीच सिर्फ एक का अंतर रह जाता है। विभाजित दिख रहे कांग्रेस के पार्षदों के बीच इस एक के अंतर को पाटना भाजपा के लिए शायद मुश्किल न हो। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि कांग्रेस के पार्षदों की राजनैतिक निष्ठा भी अलग अलग नेताओं के साथ है। जाहिर है कांग्रेस को अभी से न सिर्फ स्थिति कंट्रोल में लानी होगी, बल्कि फूंक फूंक कर कदम बढ़ाना होगा।
वहीँ इस पूरी राजनैतिक खींचतान के बीच निजी तौर पर कांग्रेस के डिप्टी मेयर राजीव कोड़ा की पकड़ जरूर मजबूत दिखती है। होली लॉज के करीबी माने जाने वाले कोड़ा की पकड़ दोनों ही तरफ के कई पार्षदों पर दिख रही है। कोड़ा की पोलिटिकल मैनेजमेंट फिलवक्त बेहतर लगती है और माहिर मान रहे है कि मौजूदा स्थिति में राजीव कोड़ा को कम नहीं आँका जा सकता। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान के लिए भी आगे का कोई निर्णय आसान नहीं होने वाला। बहरहाल सवाल ये ही है कि क्या सोलन नगर निगम में कोई अप्रत्याशित गठजोड़ देखने को मिलेगा या कांग्रेस स्थिति कंट्रोल कर लेगी।