विनय और विनोद, दोनों के पीछे मजबूत सियासी विरासत

विनय कुमार और विनोद सुल्तानपुरी, दोनों अनुसूचित जाति से हैं, दोनों के पास मजबूत राजनीतिक विरासत है और दोनों ही हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे हैं। दरअसल, यह चर्चा इसलिए भी तेज हो गई है क्योंकि पार्टी नेतृत्व इस बार जातीय संतुलन साधने की कोशिश में है। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कमान अनुसूचित जाति वर्ग के किसी नेता को सौंप सकती है।
हिमाचल कांग्रेस में अनुसूचित जाति समुदाय से कई चेहरे सक्रिय हैं। विधायक सुरेश कुमार, नंदलाल और मोहनलाल ब्राकटा जैसे नेता इस वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। लेकिन चर्चा का केंद्र केवल दो नाम बने हुए हैं, विनय कुमार और विनोद सुल्तानपुरी।
इसकी सबसे बड़ी वजह है दोनों नेताओं की सियासी पृष्ठभूमि, जो उन्हें अन्य दावेदारों की तुलना में एक मजबूत स्थिति में खड़ा करती है।
विनय कुमार श्री रेणुकाजी विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक चुने गए हैं। उनकी राजनीतिक जड़ें उनके पिता डॉ. प्रेम सिंह से जुड़ी हैं, जो छह बार विधायक रह चुके हैं। वर्ष 1982, 1985, 1993, 1998, 2003 और 2007 में उन्होंने चुनाव जीते। पिता-पुत्र की इस जोड़ी ने मिलकर इसी सीट से कुल नौ बार चुनाव जीतकर इसे कांग्रेस का एक मजबूत गढ़ बना दिया है। यह आंकड़ा स्वाभाविक रूप से विनय कुमार के पक्ष में जाता है।
दूसरी ओर विनोद सुल्तानपुरी पहली बार के विधायक हैं, लेकिन राजनीति में उनकी मौजूदगी लंबे समय से बनी हुई है। उनके पिता केडी सुल्तानपुरी हिमाचल प्रदेश से छह बार सांसद रह चुके हैं। राजनीतिक विरासत के स्तर पर देखा जाए तो विनोद भी किसी तरह विनय से पीछे नहीं हैं। यही वजह है कि सुक्खू खेमा उनके नाम को मजबूती से आगे बढ़ा रहा है।
इसी बीच हाल ही में विनय कुमार की कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात हुई, जिसके बाद उनके समर्थकों में उत्साह बढ़ा है। विनय कुमार डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के करीबी माने जाते हैं। यह भी चर्चा है कि यदि आलाकमान ने अनुसूचित जाति वर्ग से किसी नेता को अध्यक्ष बनाने का मन बना लिया है, तो विनय एक ऐसा नाम हो सकते हैं जिन पर मुकेश गुट और हॉलीलॉज दोनों की सहमति बन सकती है। कांग्रेस के तीन प्रमुख गुटों में से दो उनके नाम पर एकमत हो सकते हैं।
हालांकि, माना जा रहा है कि हॉलीलॉज खेमा अभी भी मौजूदा अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को दोबारा पद दिलाने की कोशिशों में लगा है।
दूसरी ओर जानकारों का मानना है कि सुक्खू खेमा भी अभी पीछे नहीं हटा है। विनोद सुल्तानपुरी को राहुल गांधी के करीबी नेताओं में गिना जाता है। यह एक ऐसा पहलू है जो उन्हें आलाकमान की पसंद बना सकता है।
फिलहाल यह कहना जल्दबाज़ी होगा कि कांग्रेस नेतृत्व किस नाम पर अंतिम मुहर लगाएगा। लेकिन यह तय माना जा रहा है कि यदि अनुसूचित जाति कार्ड चला गया तो मुकाबला केवल विनय कुमार और विनोद सुल्तानपुरी के बीच ही रह जाएगा।
वैसे भी कांग्रेस में बड़े फैसलों को टालने की परंपरा पुरानी रही है। इसलिए अध्यक्ष पद को लेकर अंतिम फैसला आने में थोड़ा समय और लग सकता है, लेकिन मौजूदा हालात में सियासी समीकरण धीरे-धीरे स्पष्ट होते जा रहे हैं।