‘आपातकाल के दौरान वैकल्पिक संचार’ के लिए शौकिया रेडियो को बढ़ावा देने की तैयारी

प्राकृतिक आपदा की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश अति संवेदनशील क्षेत्रों में शामिल है। भूकंप, बाढ़ अथवा भू-स्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान प्रभावित क्षेत्रों की संचार प्रणाली भी प्रभावित होती है, जिससे राहत एवं बचाव कार्यों में भी अनावश्यक देरी हो जाती है। इन्हीं बाधाओं से पार पाने तथा संचार प्रणाली को सुदृढ़ करने के दृष्टिगत प्रदेश सरकार द्वारा शौकिया रेडियो को बढ़ावा देने की योजना तैयार की गई है।
हिमाचल प्रदेश में दूर-दराज के ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जहां आमतौर पर मानसून, बर्फबारी या किसी भी विपरीत मौसम में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अन्य क्षेत्र से संपर्क कट जाते हैं। ऐसे कई ब्लैकआउट जोन भी राज्य में हैं, जहां संचार की सुलभ सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाती है। ऐसे क्षेत्रों में प्रभावी आपातकालीन संचार चैनल के वैकल्पिक माध्यम विकसित करने की आवश्यकता अरसे से महसूस की जाती रही है। संकट और आपदाओं के समय में, जब वायरलाइन, सेल फोन और संचार के अन्य पारंपरिक साधन विफल हो जाते हैं, तो शौकिया रेडियो का उपयोग अक्सर आपातकालीन संचार के साधन के रूप में किया जाता है।
आपदा के दौरान प्रभावित क्षेत्र की संचार प्रणाली को सबसे पहले क्षति होती है। प्राकृतिक आपदा के कारण, आपदा की तीव्रता के आधार पर संचार प्रणाली को आंशिक क्षति या फिर संपूर्ण संचार नेटवर्क से संबंधित बुनियादी ढांचा पूरी तरह प्रभावित हो सकता है। सबसे खराब स्थिति में, पूरा संचार नेटवर्क टूट सकता है। ऐसे में जिला और राज्य प्रतिक्रिया प्रणाली को जान-माल के नुकसान सहित राहत एवं बचाव कार्यों की प्रगति के बारे में जानने में समस्याएं आती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए, प्रदेश सरकार द्वारा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तहत एक योजना तैयार की गई है।