शिमला : बाल सत्र में आए सुझावों पर गंभीरता से विचार करेगी प्रदेश सरकार : सीएम

हिमाचल प्रदेश विधानसभा शिमला में आज बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर बाल सत्र आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मुख्यातिथि के रूप में भाग लेते हुए बाल सत्र की कार्यवाही देखी तथा इसमें भाग लेने वाले सभी बच्चों को बधाई देते हुए कहा कि जीवन में सफलता के लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है और जब तक सफलता नहीं मिलती तब तक निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों के सवाल नए हिमाचल की नींव रखते हैं और उनके सवाल-जवाब देखकर इस बात का विश्वास और दृढ़ हुआ कि हिमाचल प्रदेश का भविष्य सुरक्षित है।
'बच्चों की सरकार कैसी हो' विषय पर आयोजित इस बाल सत्र में ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की गई और बच्चों ने शिक्षा के सुधार तथा लोगों की समस्याओं के बारे अनेक प्रश्न पूछे। सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बाल सत्र के दौरान स्कूलों में योगाभ्यास के लिए विशेष सत्र आयोजित करने के सुझाव पर विचार करने का आश्वासन दिया। सीएम ने कहा कि बाल सत्र के दौरान आए अन्य सुझावों पर राज्य सरकार गंभीरता से विचार करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विशेष बच्चों पर भी ध्यान दे रही है और सरकार ने प्रदेश के 6000 अनाथ बच्चों को 'चिल्ड्रन ऑफ दी स्टेटÓ के रुप में अपनाया है। उन्होंने कहा कि सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली हिमाचल के तीन अनाथ बच्चों को एडमिशन देने के लिए तैयार हो गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल सत्र में भाग लेने वाले बच्चे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें लगभग 98 वर्ष पहले बने भवन में अपने विचार व्यक्त करने का अवसर मिला है और यह भवन कई ऐतिहासिक घटनाक्रमों का गवाह रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने छात्र जीवन के दौरान 17 वर्ष की आयु में कक्षा प्रतिनिधि (क्लास रिप्रजेंटेटिव) का चुनाव लड़ा और आज उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की जनता की सेवा करने का मौका मिल रहा है। उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए राजनीति में काफी अवसर हैं।