नड्डा को खलेगी हिमाचल और बंगाल की हार...पर दिल्ली जीतने का एक और मौका !

दिल्ली से आगाज़, दिल्ली से अंत...जीत के साथ विदाई चाहेंगे नड्डा !
बंगाल में दीदी के आगे बीजेपी जीरो साबित हुई तो अपने ही होम स्टेट हिमाचल में नड्डा बीजेपी को गुटबाजी और बगावत से बचाने में फेल साबित दिखे।
ठीक पांच साल पहले साल 2020 का दिल्ली विधानसभा चुनाव बीजेपी सुप्रीमो जेपी नड्डा का पहला इम्तिहान था। तब भाजपा को करारी हार मिली थी और तमाम दावे हवा हवाई सिद्ध हुए थे। दिल्ली की 70 में से सिर्फ आठ सीटें ही बीजेपी के खाते में आई थी। अब वक्त घूमकर फिर वहीं लौट आया, फिर दिल्ली में चुनाव है और फिर बीजेपी की साख दांव पर। फर्क सिर्फ इतना है कि बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष ये जेपी नड्डा का अंतिम इम्तिहान है। ऐसे में जाहिर है नड्डा भी चाहेंगे कि जाते-जाते उनकी सियासी बैलेंस शीट में दिल्ली की जीत भी जुड़ जाएं।
बहरहाल बीजेपी ने इस बार दिल्ली में पूरा जोर लगाया है, पार्टी की माइक्रो मैनेजमेंट जमीन पर दिखी भी है। इस पर मोदी के मिडिल क्लास वाला बजट भी बीजेपी को लाभ पहुंचा सकता है। बावजूद इसके बीजेपी दिल्ली फतेह करेगी या दिल्ली अभी दूर रहेगी, ये कहना जल्दबाजी होगा।
वैसे नड्डा के पांच साल के कार्यकाल में बीजेपी ने केंद्र की सत्ता में तो वापसी की ही, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश जैसे मुश्किल माने जा रहे राज्यों में भी कमाल दिखाया। कुल मिलाकर नड्डा के कार्यकाल में बीजेपी ने बेहतर किया। पर तीन राज्य ऐसे है जहां पूरी ताकत झोंकने के बावजूद बीजेपी ने मुंह की खाई, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और नड्डा का होम स्टेट हिमाचल प्रदेश। यूँ तो फेहरिस्त में झारखंड, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे कई अन्य राज्य भी है, लेकिन जितनी ताकत भाजपा ने बंगाल और दिल्ली ने झोंकी, उतनी शायद अन्य राज्यों में नहीं। वहीँ हिमाचल तो नड्डा का गृह राज्य है, बावजूद इसके हिमाचल में भाजपा दिशाहीन दिखी है।
बंगाल में दीदी के आगे बीजेपी जीरो साबित हुई तो अपने ही होम स्टेट हिमाचल में नड्डा बीजेपी को गुटबाजी और बगावत से बचाने में फेल साबित दिखे। यहां न सिर्फ बीजेपी ने सत्ता गंवाई, बल्कि आज भी जमीन पर सहज नहीं दिखती। हिमाचल को मिशन लोटस के फेल होने के लिए भी याद किया जाता रहेगा। वहीं दिल्ली में भी केजरीवाल के आगे बीते दो चुनाव में बीजेपी का हर दांव पीटा है। ऐसे में नड्डा चाहेंगे कि बेशक हिमाचल और पश्चिम बंगाल की विफलता उनके साथ जुड़ी रहेगी, लेकिन जाते-जाते कम से कम दिल्ली ही मिल जाए।