मुलाक़ात हुई न जाने क्या बात हुई ...नड्डा और धूमल की गुप्त मंत्रणा ने मचाई हलचल

लम्बे समय तक हिमाचल में भाजपा की राजनीति का केंद्र रहे समीरपुर में खुद भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा पहुंचे, तो सियासी हलचल मचना तो लाजमी था। ये कोई आम औपचारिक मुलाकात होती तो बात न होती, लेकिन बंद कमरे में जेपी नड्डा और प्रेम कुमार धूमल के बीच लगभग 35 मिनट गुफ्तगू हुई, तो सियासी गलियारों में चर्चा तो होनी ही थी। इस बारे में कोई अधिकारिक जानकारी तो बाहर नहीं आई, लेकिन इस मंत्रणा को को आगामी संगठनात्मक बदलावों और प्रदेश भाजपा की आगामी रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।
दरअसल, हिमाचल प्रदेश में भाजपा को लगातार शिकस्त का सामना करना पड़ रहा है। 2021 के उपचुनाव से शुरू हुआ पराजय का रथ अब तक नहीं थमा। माहिर इसका एक बड़ा कारण धूमल कैंप की उपेक्षा मानते रहे है। वहीँ, बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष जो जेपी नड्डा दिल्ली तक फ़तेह कर गए, घर में उनके प्रभाव पर भी खूब सवाल उठे है। कभी धूमल कैबिनेट में मंत्री रहे नड्डा को भी इल्म है कि हिमाचल की राजनैतिक जमीन में धूमल के प्रभाव की जड़े बेहद गहरी है।
धूमल पार्टी के सच्चे और अनुशासित सिपाही रहे है, कभी खुलकर नाराजगी नहीं जताई लेकिन उनके ख़ास माने जाने वाले कई नेता एक एक कर दरकिनार दीखते है। बलदेव शर्मा हो, रमेश चंद ध्वाला, राम लाल मार्कण्डेय या वीरेंदर कँवर; पिछले साल उपचुनाव में इन तमाम नेताओं के टिकट काटे गए। उक्त तमाम सीटें भाजपा हारी। वहीँ धूमल के गृह क्षेत्र की सीट सुजानपुर में तो उनके शागिर्द कैप्टेन रंजीत सिंह राणा कांग्रेस के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंच गए। ये फेहरिस्त लम्बी है, और अब भी ऐसी कई सीटें ही जहाँ धूमल के निष्ठावान नेता दरकिनार दीखते है और बड़ा फर्क भी डाल सकते है। माहिर मानते है की नड्डा और धूमल की मुलकात में संभव है इसे लेकर भी चर्चा हुई हो। संभव है भाजपा मध्यम मार्ग अपनाती दिखे।