अब तक 13 को कमान , कांगड़ा से सिर्फ शांता कुमार !

45 साल के इतिहास में बीजेपी ने मंडी , हमीरपुर और शिमला से बनाया चार -चार नेताओं को अध्यक्ष
35 साल से अध्यक्ष पद की कुर्सी कांगड़ा से दूर है
अपने करीब 45 साल के इतिहास में बीजेपी ने हिमाचल प्रदेश में अब तक 13 नेताओं को संगठन की कमान सौपी है। कोई एक बार प्रदेश अध्यक्ष बना, कोई दो बार तो कोई तीन बार। इन 13 चेहरों में से चार -चार मंडी , हमीरपुर और शिमला संसदीय हलके से है, लेकिन कांगड़ा से केवल शांता कुमार ही अब तक प्रदेश संगठन के मुखिया बन पाए है। यानी भाजपा ने अपने संगठन में कांगड़ा-चम्बा हलके को वो तवज्जो नहीं दी , जो अन्य तीन संसदीय हलकों को मिलती आई है। आंकड़े तो ये ही इशारा करते है। ये ही कारण है कि अब जब फिर भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलना है तो कांगड़ा उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है।
इन 45 सालों में हमीरपुर के पास लगभग 20 साल तक अध्यक्ष पद रहा, शिमला के पास लगभग 11 वर्ष, मंडी के पास लगभग 10 वर्ष और कांगड़ा के हिस्से आये सिर्फ साल चार। 35 साल से अध्यक्ष पद की कुर्सी कांगड़ा से दूर है। हर बार अटकलों में कांगड़ा के नेताओं का जिक्र तो होता है, लेकिन आलाकमान की मेहरबानी नहीं होती। 2020 में तो पार्टी के एक राष्ट्रीय महसचिव ने इंदु गोस्वामी को बधाई तक दे डाली थी, फिर वो बधाई और उम्मीदें, दोनों डिलीट कर दिए गए।
बहरहाल इस मर्तबा फिर कांगड़ा से कई नेता दौड़ में है। इनमें ज्यादा चर्चा विपिन सिंह परमार, राजीव भारद्वाज, इंदु गोस्वामी और बिक्रम ठाकुर के नाम की है। यानी मौटे तौर कांगड़ा से दो सांसद और विधायक दौड़ में है। अब ये दौड़ कुर्सी तक पहुँचती है या नहीं, ये देखना रोचक होगा।
सत्ती दस साल, सबसे छोटा कार्यकाल बिंदल के नाम
1980 में भाजपा के गठन के बाद पहले प्रदेश अध्यक्ष बने ठाकुर गंगाराम जो मंडी से ताल्लुख रखते थे। वे 1984 तक अध्यक्ष रहे। इसके बाद शिमला संसदीय हलके के अर्की से सम्बन्ध रखने वाले नगीन चंद पाल भाजपा के अध्यक्ष बने, और 1986 तक पद पर रहे।
1986 में शांता कुमार हिमाचल भाजपा के अध्यक्ष बने और 1990 का विधानसभा चुनाव भी उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा गया। शांता कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद कुल्लू के महेश्वर सिंह प्रदेश अध्यक्ष बने और 1993 तक इस पद पर रहे। पर 1993 में भाजपा की शर्मनाक हार के बाद महेश्वर की विदाई हो गई और एंट्री हुई प्रो प्रेम कुमार धूमल की। उनके नेतृत्व में ही भाजपा ने 1998 के विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाई और धूमल सीएम बने। फिर सुरेश चंदेल दो साल तक प्रदेश अध्यक्ष रहे और साल 2000 से लेकर 2003 तक जयकिशन शर्मा ने प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला। धूमल, सुरेश चंदेल और जयकिशन शर्मा, तीनों ही हमीरपुर संसदीय हलके से थे।
साल 2003 में सुरेश भारद्वाज भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने और 2007 तक इस पद पर रहे। भारद्वाज के बाद दो साल एक लिए जयराम ठाकुर और फिर 2009 से 2010 खीमीराम शर्मा ने पार्टी की कमान संभाली। 2010 में भाजपा अध्यक्ष पद पर सतपाल सिंह सत्ती की ताजपोशी हुई और वे दस साल लगातार अध्यक्ष रहे। सबसे अधिक वक्त तक अध्यक्ष रहने का रिकॉर्ड अब भी सत्ती के नाम है।
सत्ती की विदाई के बाद डॉ राजीव बिंदल की ताजपोशी हुई लेकिन कोरोना काल में घोटाले के आरोप के बाद बिंदल को महज 186 दिन बाद ही नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना पड़ा। ये हिमाचल में किसी भी भाजपा अध्यक्ष का सबसे छोटा कार्यकाल है। बिंदल के बाद सुरेश कश्यप को कमान सौपी गई और अप्रैल 2023 तक कश्यप पार्टी अध्यक्ष रहे। इसके बाद बिंदल की दोबारा बतौर अध्यक्ष एंट्री हुई। अब बिंदल को पार्टी फिर मौका देती है या नहीं, ये सवाल बना हुआ है।
भाजपा के तीनों सीएम रहे है प्रदेश अध्यक्ष
हिमाचल में भाजपा के अब तक तीन मुख्यमंत्री बने है और तीनों ही नेता प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद सीएम की कुर्सी तक पहुंचे। 1986 से 1990 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे शांता कुमार 1990 में सीएम बने। हालांकि इससे पहले भी शांता सीएम रहे थे लेकिन तब भाजपा अस्तित्व में नहीं थी। इसके बाद 1993 से 1998 तक का कठिन दौर में पार्टी की कमान संभालने वाले प्रो प्रेम कुमार धूमल 1998 में सीएम बने। धूमल 2007 से 2012 तक भी सीएम रहे। वहीँ जयराम ठाकुर 2007 से 2009 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे। 2017 में जब पार्टी सत्ता में लौटी तो जयराम को सीएम बनाया गया।