सोलन: नौणी विवि के छात्रों को बताया पोस्ट एंट्री क्वारंटाइन का महत्व

पौधों में क्वारंटाइन के महत्व और स्वच्छ रोपण सामग्री की अवधारणा पर जागरूकता बढ़ाने के लिए डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के स्नातक कार्यक्रम के प्रायोगिक शिक्षण प्रोग्राम के छात्रों के लिए पोस्ट एंट्री क्वारंटाइन पर एक दिवसीय जागरूकता शिविर का आयोजन बुधवार को आयोजित किया गया। शिविर का आयोजन एनएएचईपी आईडीपी के सहयोग से विश्वविद्यालय के पादप रोग विज्ञान विभाग द्वारा किया गया। विश्वविद्यालय के पुस्तकालयाध्यक्ष और आईडीपी के प्रधान अन्वेषक डॉ. केके रैना इस अवसर पर मुख्य अतिथि रहे।
प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए पादप रोग विज्ञान विभाग की प्रोफेसर और हैड डॉ. सुनीता चंदेल ने कहा कि पोस्ट एंट्री क्वारंटाइन का महत्व और अधिक बढ़ गया है क्योंकि हर साल बड़ी मात्रा में पौधों का आयात किया जा रहा है जिससे नए कीटों और वायरस के आने का खतरा हो सकता है। कार्यशाला के महत्व पर बोलते हुए डॉ. अनिल हांडा ने कहा कि पौधों के संगरोध में सबसे बड़ी चुनौती प्रवेश के बाद क्वारंटाइन है और इसलिए विश्वविद्यालय न केवल संबंधित विभागों के अधिकारियों बल्कि संकाय और विद्यार्थी के बीच भी इस विषय पर जागरूकता लाने का निरंतर प्रयास कर रहा है।
छात्रों को संबोधित करते हुए डॉ. केके रैना ने विश्वविद्यालय के ईएलपी छात्रों के बीच प्लांट क्वारंटाइन और स्वच्छ रोपण सामग्री के बारे में जागरूकता बढ़ाने की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि पोस्ट एंट्री क्वारंटाइन भविष्य में कृषि स्नातकों के लिए आकर्षक नौकरी और व्यवसाय के अवसर प्रदान कर सकता है। डॉ. रैना ने कहा कि पौधों से नई बीमारियां जैव सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करती हैं और आर्थिक नुकसान को कम करने के लिए इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए सख्त उपायों की आवश्यकता है। उन्होंने छात्रों से नए विचारों और अवधारणाओं के प्रति अनुकूलनशील बनने का आह्वान किया ताकि उन्हें सफल उद्यमों में परिवर्तित किया जा सकता है। उन्होंने आयोजकों से नेरी और थुनाग में विश्वविद्यालय के घटक कॉलेजों के छात्रों के लिए इसी तरह की कार्यशालाएं आयोजित करने का भी अनुरोध किया।