जेओए 817 के पदों में कटौती करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

-दोबारा नहीं बनेगी 556 की मेरिट
हिमाचल हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जूनियर ऑफिस असिस्टेंट पोस्ट कोड 817 के अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है। इस भर्ती के कुल पदों में कोई कटौती नहीं होगी। अंकिता ठाकुर एंड अदर्स बनाम हिमाचल प्रदेश स्टाफ सिलेक्शन कमिशन के इस केस में जजमेंट रिजर्व हुई थी और वीरवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाई कोर्ट द्वारा दी गई रिलेक्सेशन को कानूनी तौर पर अस्थिर बताते हुए उसे रद्द कर दिया। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जूनियर ऑफिस असिस्टेंट पोस्ट कोड 556 के लिए दूसरे भर्ती विज्ञापन के आधार पर बनाई गई मेरिट लिस्ट को री ड्रॉ नहीं किया जाएगा और उसमें उन अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किया जाएगा, जो रिलेक्सेशन ऑर्डर के आधार पर एलिजिबल हुए थे।
उच्चतम न्यायालय ने पोस्ट कोड 817 के लिए 21 सितंबर, 2020 को जारी तीसरे विज्ञापन के आधार पर विज्ञापित सीटों को सैगरीगेट करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पहले विज्ञापन के आधार पर होने वाली नियुक्तियों को डिस्टर्ब नहीं किया जाएगा, सिर्फ इसलिए कि कुछ अभ्यर्थियों ने रिलेक्सेशन ऑर्डर के आधार पर पात्रता प्राप्त कर ली है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को यह निर्देश दिए कि वह सारे पेंडिंग आवेदनों को 2020 के रूल्स के हिसाब से डिस्पोज करे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में हिमाचल हाई कोर्ट के ऑर्डर के पैरा 33 और 34 को भी खारिज कर दिया। इस केस में हिमाचल सरकार द्वारा हाई कोर्ट में दी गई क्लेरिफिकेशन को भी सुप्रीम कोर्ट ने गलत माना। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद जेओए के तीन पोस्ट कोड को लेकर स्थिति साफ हो गई है। यह मामला पोस्ट कोड 447, पोस्ट कोड 556 और पोस्ट कोड 817 को लेकर था। 817 के मामले में हिमाचल सरकार की ओर से ही सुप्रीम कोर्ट में यह भी कह दिया गया था कि यह मामला पेपर लीक में भी उलझा है। इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने मेरिट पर ही फैसला दिया है।