भाजपा में व्यवस्था परिवर्तन : अध्यक्ष बदले अब टीम बदलने का इंतज़ार

हिमाचल की सियासत में इन दिनों 'व्यवस्था परिवर्तन' का नारा बुलंद है। सत्ताधारी कांग्रेस के इस दावे और इरादे पर भाजपा मुखर है। किन्तु प्रदेश के साथ -साथ भाजपा में भी व्यवस्था परिवर्तन की दरकार दिख रही है। लगातार सियासी चौसर पर शह-मात खा रही भाजपा ने प्रदेश की कमान तो नए हाथों में दे दी है, लेकिन जरूरत तो पार्टी में 'टॉप टू बॉटम' बदलाव की है। जाहिर है भाजपा भी इससे वाकिफ है और अब निगाहें इसी संभावित बदलाव पर टिकी है। 2024 के लिहाज़ से भी पार्टी संगठन में सशक्त टीम का होना वक्त की जरुरत है।
2019 के लोकसभा चुनाव की ऐतिहासिक जीत के बाद भाजपा ने प्रदेश में हुए दो उपचुनाव भी जीते थे और उसके बाद तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती की जगह डॉ राजीव बिंदल को अध्यक्ष बनाया गया था। बिंदल ने आते ही नई टीम बनाई, हालांकि अहम पदों के बंटवारे में तब आकार ले रहे जयराम गुट की छाप दिखी। जबकि माना जाता है कि जमीनी संगठन काफी हद तक बिंदल के मन मुताबिक था। फिर 6 महीने में बिंदल की कुर्सी स्वास्थ्य घोटाले की भेंट चढ़ी और तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की रज़ा से सुरेश कशयप हिमाचल भाजपा के अध्यक्ष बने। कश्यप ने चार्ज लेने के बाद जमीनी संगठन में ज्यादा बदलाव नहीं किये। शायद ये ही कारण है कि संगठन के शीर्ष पर बैठे नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच खाई सी दिखती रही। इसकी तस्दीक ये बात भी करती है कि बीते विधानसभा चुनाव में हिमाचल भाजपा ने अपनी सबसे बड़ी बगावत को देखा, जब करीब एक तिहाई सीटों पर बागी खड़े हो गए। बगावत थामने में संगठन फेल हो गया। नतीजन, जिला मंडी में जयराम ठाकुर के जादू के बावजूद उनका मिशन रिपीट का सपना अधूरा रहा।
अब समय ने फिर करवट ली है और सुरेश कश्यप को हटाकर वो ही बिंदल अध्यक्ष बने है जिनकी जगह कश्यप ने ली थी। बिंदल तेजतर्रार नेता है और सियासत के माहिर खिलाड़ी। माना जा रहा था संगठन में आवश्यकतानुसार व्यापक बदलाव होगा लेकिन उनकी ताजपोशी के एक महीने में कुछ ख़ास नहीं बदला। जानकार मान रहे है कि बिंदल संगठन में फ्री हैंड चाहते है और जल्द परिवर्तन होगा और वो भी उनके मन मुताबिक। लाजमी है संतुलन के लिहाज से कुछ चेहरे एडजस्ट किये जाएँ लेकिन फ्रंट ब्रिगेड में बिंदल की ही छाप दिखेगी। बहरहाल निगाहें इसी अपेक्षित बदलाव पर टिकी है।
आग का दरिया है और डूब के जाना है...
माना जा रहा है कि मण्डल स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक आवश्यक बदलाव होंगे। हालांकि पार्टी के लिए ये बदलाव करना भी आसान नहीं है, आग का दरिया है और डूब के जाना है। दअरसल पार्टी को यहाँ कई फैक्टर्स ध्यान में रखने होंगे। गुटों के संतुलन के साथ साथ बदलाव में जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों को साधना भी बेहद जरूरी होगा। बहरहाल समर्थकों को उम्मीद ये है कि एक सशक्त संगठन के साथ भाजपा 2024 में फिर 2014 और 2019 जैसा जादू दोहराएगी।
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