बात साफ है, अभी भी फेस जयराम है

पक्ष -विपक्ष की तीखी नोक झोंक, बयानबाज़ी और विपक्ष के लगातार हमलों के बीच हिमाचल प्रदेश की 14वीं विधानसभा का पहला बजट सत्र अपेक्षाओं के अनुकूल खूब हंगामेदार रहा। विपक्ष में बैठी भाजपा पूरे सत्र में आक्रमक दिखी और ठीक उसी तरह वॉकआउट को अपने विरोध का तरीका बनाया जैसा विपक्ष में रहते कांग्रेस करती थी। सदन में सत्ता पक्ष को घेरने की कोई कसर नहीं छोड़ी गई। नई सरकार को हिमाचल के विकास पर लगा ग्रहण तक कह दिया गया। पूरे सत्र के दौरान भाजपा दो बार काम रोको प्रस्ताव लाई और वॉकआउट को अपना हथियार बनाया। नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा ने सदन में एक मजबूत विपक्ष के तौर पर दमदार मौजूदगी दर्ज करवाई।
दिलचस्प बात ये है कि बतौर मुख्यमंत्री मिस्टर कूल इमेज बनाये रखने वाले जयराम ठाकुर ने विपक्ष में आते ही तेवर के जेवर पहन लिए है। जयराम हर छोटे बड़े मुद्दे पर लगातार सुक्खू सरकार को घेर रहे है। कभी अपने बयानों से तो कभी सदन में अपने तेवरों से, जयराम ठाकुर ने एक किस्म से स्पष्ट सन्देश दिया है कि वे ही विपक्ष का चेहरा है, फिलवक्त वे ही हिमाचल में भाजपा का चेहरा है। विपक्ष में आते ही जयराम ठाकुर का सियासी रंग बदले बदले से है। जयराम अब तल्ख़ भी है और ताव में भी दिख रहे है। जयराम के निशाने पर बेशक हिमाचल सरकार हो लेकिन सियासी चश्मे से देखे तो सन्देश भाजपा के भीतर उनके विरोधियों के लिए भी स्पष्ट है, बात साफ़ है कि अभी तो फेस जयराम है।
अलबत्ता जयराम के बदले तेवरों ने भाजपा में ऊर्जा का संचार किया है लेकिन पार्टी अब भी सहज नहीं दिख रही। कारण साफ़ है और वो है हिमाचल में भाजपा का लचर दिख रहा संगठन। दरअसल जल्द शिमला नगर निगम का इम्तिहान है और अगले साल आम चुनाव, पर माहिर मानते है कि भाजपा के संगठन में वो धार नहीं दिख रही जिसके लिए पार्टी जानी जाती है। बहरहाल संगठन के सरदार को बदलने की कयासबाजी जरूर जारी है, लेकिन बदलाव कब होगा, इस पर अब भी संशय बना हुआ है। पर इस बीच जयराम ठाकुर सत्ता से बेदखल होने के बावजूद लगातार हिमाचल भाजपा में मजबूत होते जरूर दिख रहे है। ऐसे में यदि प्रदेश भाजपा संगठन में बदलाव होते है तो क्या ये बदलाव जयराम ठाकुर के मनमुताबिक होंगे या पार्टी आलाकमान प्रदेश भाजपा में संतुलन बनाने का प्रयास करेगा, ये देखना भी रोचक होने वाला है।
विस चुनाव : जयराम के क्षेत्र में 'दमखम', बाकि जगह था 'दमकम' !
हिमाचल विधानसभा चुनाव के नतीजों पर निगाह डाले तो भाजपा 25 सीटें लेने में कामयाब रही थी। खास बात ये है कि जयराम ठाकुर के गृह ज़िले मंडी में भाजपा को दस में से नौ सीटें मिली और मंडी संसदीय क्षेत्र के लिहाज से देखे तो 17 में से 12 सीटों पर भाजपा का परचम लहराया। जबकि अन्य तीन संसदीय क्षेत्रों में भाजपा के सांसद होने के बावजूद पार्टी 51 में से सिर्फ 13 सीटें जीत पाई थी। इनमें से हमीरपुर सांसद अनुराग ठाकुर केंद्रीय मंत्री है तो शिमला सांसद सुरेश कश्यप हिमाचल भाजपा के अध्यक्ष। रोचक बात ये है कि भाजपा के तीनों राज्यसभा सांसद भी हमीरपुर और कांगड़ा संसदीय क्षेत्रों से है। इंदु गोस्वामी कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से ताल्लुख रखती है, तो सिकंदर कुमार और खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से।