बेबाक विक्रमादित्य : निजी महत्वाकांक्षाओं के लिए प्रदेश को क्षेत्रवाद के नाम पर बांटने नहीं देंगे

कुछ लोग जो अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं के लिए क्षेत्रवाद फ़ैलाने की कोशिश कर रहे है और कह रहे है कि मुख्यमंत्री यहां से होना चाहिए या वहां से होना चाहिए, ये बात बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे लोग पार्टी को कमज़ोर कर रहे है। मुख्यमंत्री हिमाचल का होना चाहिए। जो नॉन परफार्मिंग लोग पार्टी में है, जो विभिन्न पदों पर बैठे हुए है उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने की ज़रूरत है। ऐसे लोग खुद तो काम करते नहीं है और दूसरों का हौंसला भी तोड़ देते है।
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के देहांत के उपरांत उनका परिवार उनकी राजनीतिक विरासत को उसी मजबूती के साथ आगे ले जाने के लिए संकल्पित दिख रहा है जिस मजबूती से वीरभद्र सिंह ने 6 दशक तक सियासत के गलियारों में अपने वजूद और रसूख का लोहा मनवाया। उनके पुत्र और शिमला विधायक विक्रमादित्य सिंह तो राजनीति में पहले से सक्रिय है ही और अब अपेक्षित है कि स्व वीरभद्र सिंह की पत्नी और मंडी की पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह भी आगामी उपचुनाव के जरिए सक्रिय राजनीती में लौटेगी। आगामी उपचुनाव, भविष्य की योजना और प्रदेश कांग्रेस की वर्तमान स्थिति जैसे कई अहम मसलों पर फर्स्ट वर्डिक्ट ने विक्रमादित्य सिंह से विशेष बातचीत की। अपने स्व. पिता के तरह ही विक्रमादित्य सिंह ने भी बेबाक अंदाज में हर मसले पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि परिवार वीरभद्र सिंह के बताएं रास्ते पर ही आगे बढ़ेगा, रियायत में भी और सियासत में भी। विक्रमादित्य ने स्पष्ट किया कि आज की लोकतान्त्रिक व्यवस्था में राजशाही की परम्पराएं सिर्फ एक औपचारिकता है, पर उनके परिवार और आमजन के बीच का परस्पर प्रेम ही उनकी ताकत है। अपने पिता की तरह ही वे भी लोगों के साथ हर सुख दुख में खड़े रहेंगे और उनके हितों की लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे। निसंदेह विक्रमादित्य अब तेवर के जेवर पहन चुके है और आने वाले समय में हर सियासी नजर उन पर रहने वाली है। पेश है विक्रमादित्य सिंह के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश ...
सवाल : पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के जाने के बाद समर्थकों और निष्ठावानों की सारी उम्मीदें अब आपसे जुड़ गई है। उनके जाने के बाद आप रियासत के राजा तो बन ही गए है पर अब सियासत के राजा बनने के लिए क्या करने वाले है?
जवाब : मेरे पिता जी अब हमारे बीच में भले ही नहीं है मगर मैं ये बिलकुल नहीं मानता कि वो हमारे साथ नहीं है। ये जीवन का कड़वा सच है, एक न एक दिन तो सभी को हमें छोड़ कर जाना है मगर उन्होंने जो काम हिमाचल की जनता के लिए किये है, जो छाप उन्होंने हिमाचल की जनता के दिलों में बनाई है, वो जनता कभी नहीं भूलेगी। हम हमेशा उनके सिद्धांतों पर आगे बढ़ेंगे। उनके जाने के बाद मेरे जीवन का एक नया अध्याय शुरू हुआ है, उनके बगैर चलना काफी कठिन होगा, बहुत सी मुसीबतें आएगी, कठिनाइयां आएगी लेकिन हम डट कर इन सब का सामना करेंगे। बाकी रियासत के राजा वाली जो बात है उस पर मैं कहना चाहूंगा कि मैं एक राज परिवार से सम्बन्ध जरूर रखता हूँ, लेकिन मैं एक पढ़ा लिखा व्यक्ति हूँ और मैं ये समझता हूँ हम एक लोकतान्त्रिक देश में रहते है। मेरे पिता जी के बाद मेरा राज्याभिषेक होना और बाकि रीति रिवाज़ ये सब हमारे परिवार की परम्पराएं है। इस सबका राजनीती से कोई लेना देना नहीं है। अपनी संस्कृति को जीवित रखने के लिए हमने इन्हें निभाया है।
सवाल : क्या वीरभद्र परिवार आगामी उपचुनाव के मैदान में उतरेगा ?
जवाब : देखिये मेरी माता जी पूर्व में 2 बार सांसद रह चुकी है, हर मोड़ पर उन्होंने खुद को साबित किया है। वे हिमाचल की एक कद्दावर महिला नेता है। हमारा परिवार कभी भी किसी चुनौती से पीछे नहीं हटा है। पार्टी ने जो भी तय किया हम कभी भी उससे पीछे नहीं हटे। कांग्रेस पार्टी को मज़बूत करने के लिए मेरे परिवार ने हर संभव प्रयास किया है। मेरे पिता जी तो हमेशा पार्टी के लिए तत्पर रहे ही, मगर मेरी माता जी ने भी हमेशा पार्टी द्वारा दी गई हर ज़िम्मेदारी का पूरी निष्ठा से निर्वहन किया है। मंडी संसदीय उपचुनाव और अर्की विधानसभा के उपचुनाव को लेकर मेरे परिवार ने अभी तक कोई व्यक्तिगत निर्णय नहीं लिया है। अभी हाईकमान भी फीडबैक ले रहा है और प्रदेश कांग्रेस भी। निश्चित तौर पर पार्टी हाईकमान का जो भी निर्देश होगा हमारा परिवार उसका निर्वहन करेगा। पार्टी को मज़बूत करने के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे इस बात का मैं विश्वास दिलाना चाहूंगा।
सवाल : हिमाचल में मानसून सत्र शुरू होने वाला है, इस बार प्रदेश के कौन से मुद्दे कांग्रेस की प्राथमिकता रहेंगे ?
जवाब : इस बार हिमाचल प्रदेश की जनता का हर मुद्दा हमारी प्राथमिकता रहेगा। हिमाचल के कर्मचारियों के जो भी मुद्दे है चाहे वो आउटसोर्स कर्मचारी है, अनुबंध कर्मचारी या कोई भी अन्य कर्मचारी है हम सभी के मुद्दों को प्राथमिकता से उठाएगे। कर्मचारियों के मुद्दे जैसे की ओपीएस की मांग को हमने हमेशा ही प्राथमिकता से उठाया है और आगे भी उठाते रहेंगे। हिमाचल प्रदेश सरकार ने पिछले साढ़े तीन साल के कार्यकाल में कर्मचारियों को आश्वासन के आलावा और कुछ भी नहीं दिया है। जो पिछली सरकार हिमाचल प्रदेश में रही उसमें वीरभद्र सिंह जी ने ऐतिहासिक निर्णय कर्मचारियों के हित में लिए थे। चाहे कॉन्ट्रैक्ट पीरियड कम करना हो या अन्य कोई मसला, कांग्रेस ने हमेशा प्रदेश के कर्मचारी वर्ग का ख्याल रखा है। इसके आलावा कई बड़े निर्णय भी उन्होंने अपने कार्यकाल में लिए थे, जो ऐतिहासिक साबित हुए। जयराम ठाकुर की सरकार तो बस प्लीज ऑल में विश्वास रखती है। जो भी अपनी मांगो को लेकर मुख्यमंत्री के पास जाता है, या सरकार के अन्य मंत्रियों के पास जाता है उन सभी को आश्वासन दिया जाता है, उन्हें भ्रमित किया जाता है लेकिन कोई भी ठोस कदम उनकी मांगो को पूरा करने के लिए नहीं उठाया जाता। सही मायनों में कहूं तो मुझे नहीं लगता कि ये सरकार कर्मचारियों के लिए कोई भी अच्छा काम करने की परिस्थिति में है। सरकार पर 60 हज़ार करोड़ से ज़्यादा का कर्ज़ा है, धक्के से ये सरकार चल रही है। डबल इंजन की ये बात करते है लेकिन इनका एक भी इंजन सही से काम नहीं करता। इनके दृष्टि पत्र में जो मुख्य वादे थे, इनके जो मुख्य एजेंडा थे, चाहे वो इन्वेस्टर मीट हो या शिव धाम हो, या एयरपोर्ट हो अब तक कुछ भी पूरा नहीं हुआ है। मुझे नहीं लगता कि कर्मचारियों के हित में ये सरकार कुछ करेगी।
सवाल : क्या आप मानते है कि सत्ता के टेकओवर के लिए कांग्रेस के संगठन का मेकओवर ज़रूरी है ?
जवाब : इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमें संगठन को मज़बूत करने के लिए बहुत काम करना होगा। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बहुत अच्छा कार्य कर रहे है। विपक्ष में होने के नाते वो हर मुद्दे को उठा रहे है, लेकिन हमें और ज़्यादा करने की ज़रूरत है। मैं समझता हूँ कि कांग्रेस पार्टी को ज़मीनी स्तर पर, बूथ स्तर पर, पंचायत स्तर पर मज़बूत करने की आवश्यकता है। उसके लिए हम सभी को एकजुट होकर काम करने की ज़रूरत है। कांग्रेस के हर छोटे बड़े नेता को काम करने की ज़रूरत है। हमें एकता के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है, कांग्रेस के ज़मीनी कार्यकर्त्ता को दोबारा एक्टिव करने की जरूरत है। आगामी उपचुनाव को हमें ज़यादा गंभीरता से लेना होगा क्योंकि इनका बहुत गहरा प्रभाव 2022 के विधानसभाव चुनाव पर पड़ेगा। इसके साथ एक बेहद महत्वपूर्ण चीज़ ये है कि जो नॉन परफार्मिंग लोग पार्टी में है, जो विभिन्न पदों पर बैठे हुए है उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने की ज़रूरत है। ऐसे लोग खुद तो काम करते नहीं है और जो भी लोग काम करते है उनका हौंसला भी इससे टूटता है। तो जीतने के लिए ऐसे लोगों को पदों से हटाया जाना चाहिए।
सवाल : कांग्रेस में फिलवक्त मुख्य चेहरे को लेकर एक जंग छिड़ी हुई है, अब वीरभद्र के जाने के बाद कांग्रेस का मुख्य चेहरा कौन होगा ?
जवाब : मुझे लगता है कि न तो मेरा इतना राजनीतिक कद है, न पद है कि मैं इस पर कोई टिक्का टिप्पणी करूँ। कांग्रेस का निष्ठावान होने के नाते मैं ये कहना चाहूंगा कि कांग्रेस के हर नेता को एकजुट होकर पार्टी के हित में काम करना होगा और अपनी निजी महत्वकांक्षाओं को पीछे रखना होगा। कुछ लोग जो अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं के लिए क्षेत्रवाद फ़ैलाने की कोशिश कर रहे है और कह रहे है कि मुख्यमंत्री यहां से होना चाहिए या वहां से होना चाहिए, ये बात बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे लोग पार्टी को कमजोर कर रहे है। मुख्यमंत्री हिमाचल का होना चाहिए। स्व वीरभद्र सिंह ने इसी सोच के साथ हिमाचल को आगे बढ़ाया है और हम इसी सोच को लेकर आगे बढ़ेंगे।