टिकट पार्टी तय करेगी, फिलहाल पार्टी को मजबूत करना है

विधानसभा चुनाव के लिए एक वर्ष का समय शेष है। प्रदेश में हाल ही में हुए चार उपचुनाव के बाद दोनों बड़े राजनैतिक दल अपने -अपने स्तर पर जमीन मजबूत करने में जुटे है। वहीं पच्छाद निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस में अभी से ही वाद विवाद शुरू हो गया है। या यूँ कहे "बैटल ऑफ़ पच्छाद" शुरू हो चुका है। दयाल प्यारी को कांग्रेस प्रदेश सचिव नियुक्त करने के बाद से ही गंगूराम मुसाफिर और उनके समर्थक खुल कर विरोध कर रहे हैं। वहीं इसी बीच कांग्रेस महासचिव रजनीश खिमटा और गंगू राम मुसाफिर के बीच सियासी नोकझोंक का एक वीडियो भी जमकर वायरल हुआ। इसके बाद फिर एक बार दयाल प्यारी लाइमलाइट में है। फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया ने पच्छाद क्षेत्र को लेकर नव नियुक्त कांग्रेस प्रदेश सचिव दयाल प्यारी से विशेष चर्चा की, पेश है बातचीत के कुछ अंश
सवाल- जब आप भाजपा में थी तो वहां दयाल प्यारी के नाम पर बवाल होते थे, अब कांग्रेस में हो तो यहां बवाल हो रहे है।
आखिर मसला क्या है ?
जवाब - देखिये अगर क्रन्तिकारी बनकर कुछ करना है तो बवाल निश्चित है। जो जनता से सीधा संवाद रखता हो, लोगों के सरोकार के लिए लड़ता हो, वो हमेशा लाइम लाइट में रहता है। मुझे लगता है जहाँ कोई विशेष बात होती है, बवाल भी वहीँ होता है।
सवाल - आपके सचिव बनने के बाद से गंगू राम मुसाफिर काफी आहत नज़र आ रहे है, उनको क्या कहना चाहेंगे ?
जवाब - मैं उनके बारे में कुछ नहीं कहना चाहूंगी, गंगू राम मुसाफिर जी कद्दावर नेता है। मैं उनका सम्मान करती हूँ। पार्टी में उनका अपना रुतबा है और अपना कद है। पार्टी ने मुझे जो पद दिया है, मैं उसके लिए हाई कमान का शुक्रिया अदा करती हूँ, जिन्होंने मुझ पर विश्वास जताया।
सवाल- 2022 में पच्छाद विधानसभा से कांग्रेस का प्रत्याशी कौन होगा ? साफ़ स्पष्ट बताएं आपकी व्यक्तिगत इच्छा क्या है, क्या आप दावेदार होंगी ?
जवाब- जहाँ तक दावेदारी की बात है यह तो वक़्त ही बताएगा, अभी समय काफी शेष है। सबसे पहले तो मैं पार्टी से जुडी हूँ और जिस पद पर मुझे नियुक्त किया है, मेरा पहला मकसद पार्टी को मजबूत करना है। उस वक़्त टिकट का जो भी प्रबल दावेदार होगा हम उसके साथ चलेंगे और कदम कदम पर साथ होंगे। यह निश्चित है कि 2022 में कांग्रेस पार्टी विजय होगी। फिलहाल हर बूथ को मजबूत करना ,ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ताओं को जोड़ना मेरा सबसे बड़ा उद्देश्य है।
सवाल- बीजेपी और कांग्रेस की विचारधारा में काफी अंतर है। पार्टी का एक तबका आपको स्वीकार नहीं कर रहा है। ऐसे में आगे आपकी क्या रणनीति रहने वाली है?
जवाब- आपकी बात सही कि दोनों पार्टी की विचारधारा में अंतर् है। लेकिन हर नेता व कार्यकर्ता का मकसद तो पार्टी को मजबूत करना ही होता है। मैं पहले काफी समय तक बीजेपी में रही और एक ही परिवार को समझा, लेकिन जब मैंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया तब मुझे पता चला कि मायनों में कांग्रेस ही वो पार्टी है जहाँ आप खुलकर अपने विचार रख सकते है और जनता के लिए काम कर सकते है। स्वंत्रता संग्राम से लेकर अब तक जो योगदान कांग्रेस पार्टी के नेताओं का रहा है वो सही मायनों में अमूल्य है। कांग्रेस पार्टी में आ कर मेरे अंदर नई ऊर्चा का संचार हुआ है। रही बात मुझे स्वीकार करने कि तो मैं कहना चाहूंगी कि जिस तरह एक गृहणी अपने परिवार को एक धागे में मोतियों की तरह पिरोती है, उसी भांति मैं भी अपना दायित्व दिल से निभाऊंगी।
सवाल - आपके समर्थक कहते है कि गंगू राम मुसाफिर के कार्यकाल में यहां विकास नहीं हुआ? आपका क्या मानना है ?
जवाब- विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। मुसाफिर जी ने बहुत कार्य किये है और बहुत से छूट भी गए। जो भी अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है वो विकास को लेकर कुछ न कुछ कार्य जरूर करता है। हम किसी और पर आरोप- प्रत्यारोप करने के बजाए विकास कार्यों पर ध्यान दें तो क्षेत्र की तस्वीर बदल जाये। किन्तु आज अगर सड़कों की हालत देखें तो स्थिति बहुत दयनीय है। मैं आपसे साँझा करना चाहूंगी कि मैंने अपना राजनैतिक सफर जिला परिषद से शुरू किया और मुझे ज्ञान है कि कौन सा काम किस तरह होता है, अपने कार्यकाल में मैंने काफी विकास कार्य करवाए और बजट का सदुपयोग किया। मुझे शर्म आती है कि आज लाखों करोड़ों रूपये जिला परिषद में खड़ा है। जब महिलाये कंधे पर भारी सामान उठा कर कई किलोमीटर पैदल चलती है तब उन्हें देख कर दिल पसीज जाता है। मैं मुख्यमंत्री जी से पूछती हूँ कि प्रस्तावित कार्यों के लिए जो बजट था, वो पैसा कहाँ गया और क्यों विकास कार्य नहीं करवाए गए। मुख्यमंत्री जी से मेरा आग्रह है कि आप उड़नखटोले से न घूम कर अपनी गाड़ी से पच्छाद क्षेत्र में आएं, तो आपको भी पता चले कि न केवल पच्छाद क्षेत्र अपितु पूरे सिरमौर जिला में विकास की दरकार है।
सवाल -वर्तमान विधायक रीना कश्यप के कामकाज को आप किस तरह देखती है?
जवाब- उनके बारे में मैं क्या कहूं, वो मेरी छोटी बहन समान है। वो अभी थोड़ा-थोड़ा कर के सीख रही है, अभी मुझे लगता है वो काम करने और करवाने में सक्षम नहीं है। किसी काम को करवाने के लिए या तो उन्हें फाइल उठा कर दूसरों के पास ले जानी पड़ती है या किसी के साथ जाने का इंतजार करना पड़ता है। वो किसी भी काम करवाने को लेकर दूसरे पर निर्भर है। मुझे लगता है महिला होने के नाते राजनीति में उन्हें सक्षम होना पड़ेगा, आगे बढ़ने के लिए दूसरों की नजर में खटकना भी पड़ेगा। जी हजूरी करने मात्र से ही तो काम नहीं होगा। विधायक होने के नाते उन्होंने ऐसा कौन सा काम कर लिया? ऐसा कौन सा प्रोजेक्ट तैयार किया, कौन सी सड़कें बनाई, महिलाओं के उत्थान के लिए क्या किया ? फिलहाल कोई ऐसी खास उपलब्धि उनके नाम नहीं है। काम करना तो छोड़ों उन्होंने ज्वलंत मुद्दों को लेकर भी कोई बात नहीं की, वो केवल छोटे-मोटे कार्यों का श्रेय ले रही हैं।