शिमला : संयुक्त किसान मंच की बैठक में प्रदर्शन की तैयारियों का लिया जायजा

फर्स्ट वर्डिक्ट। शिमला
संयुक्त किसान मंच की बैठक आज शिमला में आयोजित की गई तथा इसमें 5 अगस्त को शिमला में किसानों व बागवानों के संगठनों के आह्वान पर होने वाले प्रदर्शन की तैयारियों को लेकर चर्चा की गई। मंच ने सभी किसानों व बागवानों के संगठनों से आह्वान किया कि इस प्रदर्शन में किसानों व बागवानों की भारी संख्या में भागीदारी कर सरकार के समक्ष अपनी मांगें प्रभावशाली तरीके से रखें जाए तथा सरकार को इन मांगों को मानने के लिए बाध्य किया जाए। सभी संगठनों ने 5 अगस्त के सचिवालय के बाहर प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए गांव स्तर की बैठकें करने का निर्णय लिया तथा इसमे ज्यादा से ज्यादा किसानों व बागवानों की भागीदारी सुनिश्चित करने का निर्णय लिया गया। बैठक में सरकार द्वारा 28 जुलाई को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में किसानों व बागवानों के संगठनों के साथ रखी गई, बैठक जिसमें सरकार ने संयुक्त किसान मंच को भी पत्र भेजकर आमंत्रित किया है को लेकर भी चर्चा की गई और निर्णय लिया गया कि संयुक्त किसान मंच इस बैठक में भाग लेगा तथा इससे संबंधित सभी किसानों व बागवानों के संगठनों के प्रतिनिधि इसमे भाग लेंगे और इसके लिए एक मांगपत्र भी सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया। यह मांगपत्र सभी संगठनों से चर्चा कर बनाया गया और बैठक में 20 सूत्रीय मांगपत्र पर भी सहमति बनाई।
यह हैं मुख्य मांगे
सेब व अन्य फलों, फूलों व सब्जियों की पैकेजिंग में इस्तेमाल किए जा रहे कार्टन पर GST समाप्त किया जाए व ट्रे की कीमतों में की गई भारी वृद्धि वापस ली जाए तथा इनकी गुणवत्ता पर भी सरकार नियंत्रण करें।
हिमाचल प्रदेश में भी कश्मीर की तर्ज पर मंडी मध्यस्थता योजना(MIS) पूर्ण रूप से लागू की जाए तथा सेब के लिए मंडी मध्यस्थता योजना (MIS) के तहत A, B व C ग्रेड के सेब के लिए क्रमशः 60 रुपए, 44 रुपए व 24 रुपए प्रति किलो समर्थन मूल्य पर खरीद की जाए।
HPMC व Himfed द्वारा गत वर्षों में बागवानों से लिए गए सेब का बकाया भुगतान तुरंत किया जाए।
सेब पर आयात शुल्क कम से कम 100 प्रतिशत किया जाए तथा इसे मुक्त व्यापार संधि (FTA) से बाहर किया जाए।
प्रदेश की विपणन मंडियों में एपीएमसी कानून को सख्ती से लागू किया जाए। मंडियों में खुली बोली लगाई जाए व किसान से गैर कानूनी रूप से की जा रही मनमानी वसूली, जिसमें मनमाने लेबर चार्ज, छूट, बैंक डीडी व अन्य चार्जिज को तुरंत समाप्त किया जाए।
किसानों से प्रदेश में विभिन्न बैरियरों पर ली जा रही मार्केट फीस वसूली पर तुरंत रोक लगाई जाए। शोघी बैरियर को बंद किया जाए तथा जिन किसानों से इस प्रकार की गैर कानूनी वसूली की गई है, उन्हें इसे वापस किया जाए।
प्रदेश की सभी मंडियों में सेब व अन्य सभी फसले वजन के हिसाब से बेची जाए।
किसानों के आढ़तियों व खरीददारो के पास बकाया पैसों का भुगतान तुरन्त करवाया जाए तथा मंडियों में ए पी एम सी कानून के प्रावधानों के तहत किसानों को जिस दिन उनका उत्पाद बिके उसी दिन उनका भुगतान सुनिश्चित किया जाए। जिन खरीददार व आढ़तियों ने बकाया भुगतान नहीं किया है, उनके विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
खाद, बीज, कीटनाशक, फफूंदीनाशक व अन्य लागत वस्तुओं पर दी जा रही सबसिडी को पुनः बहाल किया जाए और सरकार कृषि व बागवानी विभागों के माध्यम से किसानों व बागवानों को उचित गुणवत्ता वाली लागत वस्तुएं सस्ती दरों पर उपलब्ध करवाए।
कृषि व बागवानी के लिये प्रयोग में आने वाले उपकरणों स्प्रेयर, टिलर, एंटी हेल नेट आदि की वर्षों से लंबित सबसिडी तुरंत प्रदान की जाए।
प्रदेश में भारी ओलावृष्टि व वर्षा, असामयिक बर्फबारी, सूखा व अन्य प्राकृतिक आपदाओं से किसानों व बागवानों को हुए नुकसान का सरकार उचित मुआवजा प्रदान कर राहत प्रदान करें।
किसानों व बागवानों के द्वारा विभिन्न बैंकों व संस्थाओं से लिए गए ऋण की माफी की जाए तथा बैंकों द्वारा जारी वसूली के नोटिस तुरंत प्रभाव से वापस लिए जाए।
प्रदेश में सभी जिलों में आधुनिक सुविधाओं से लैस विपणन मंडियों का विकास व विस्तार किया जाए तथा पुरानी मंडियों के विस्तार व आधुनिकीकरण के लिए योजना बनाकर इनका कार्य समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाए।
प्रदेश में बागवानी विकास के लिए बागवानी बोर्ड का गठन कर इसमें बागवानों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय कर इसे कानूनी रूप से लागू किया जाए।
प्रदेश में धान, गेहूं, मक्की व अन्य फसलों की खरीद के लिए मंडिया स्थापित कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के तहत खरीद करें।
प्रदेश में अदानी व अन्य कंपनियों के CA स्टोर में लिये जाने वाले सेब के दाम तय करने व निगरानी के लिए बागवानी विश्विद्यालय, बागवानी विभाग के विषय विशेषज्ञ व बागवानों की एक कमेटी का तुरंत गठन किया जाए तथा इसके निर्माण के समय शर्तों के अनुसार बागवानो को 25 प्रतिशत सेब रखने के प्रावधान को तुरंत सख्ती से लागू किया जाए।
किसान सहकारी समितियों को स्थानीय स्तर पर CA स्टोर बनाने के लिए सरकार द्वारा 90 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाए।
प्रदेश में सरकार भूमि अधिग्रहण, 2013 कानून(पुनर्स्थापना, पुनर्वास व चार गुणा मुआवजा) को लागू करें।
बढ़ती महंगाई पर रोक लगाई जाए तथा मालभाड़े में की गई वृद्धि वापस ली जाए।
संयुक्त किसान मंच सरकार को करीब एक वर्ष से अधिक समय से अपनी मांगों को लेकर बार बार ज्ञापन दे रहा है, परंतु सरकार ने अभी तक इस पर कोई भी गौर नही किया है, परंतु 11 जुलाई व 20 जुलाई के किसानों व बागवानों के रोहड़ू, ठियोग व प्रदेश के अन्य हिस्सों में आंदोलन के दबाव के चलते सरकार अब बातचीत के लिए तैयार हुई है। सरकार देश व प्रदेश में कृषि व बागवानी के बढ़ते संकट को ध्यान में रखते हुए उपरोक्त मांगों को मानकर किसानों व बागवानों के हितों की रक्षा कर अपना दायित्व निभाए। बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि सरकार इन मांगों पर अमल नहीं करती है, तो संयुक्त किसान मंच सभी किसानों व बागवानों के संगठनों को साथ लेकर अपना आंदोलन तेज करेगा और तब तक जारी रखेगा, जब तक कि सरकार इन सभी मांगों को नहीं मान लेती है।