चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग में हिमाचल के दो वैज्ञानिकों का भी रहा योगदान

भारत के चंद्रयान-3 उपग्रह के विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही इतिहास के पन्नों में प्रदेश के कांगड़ा जिले का भी नाम जुड़ गया है। कांगड़ा जिले के रजत अवस्थी पुत्र धनी राम अवस्थी और डॉ. अनुज चौधरी पुत्र अमर सिंह चंद्रयान-3 को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने वाले रॉकेट की कंट्रोलिंग कर इस मिशन का हिस्सा बने हैं। रजत अवस्थी इसरो में 2012 से सेवाएं दे रहे हैं। अवस्थी का जन्म 1989 को सेवानिवृत्त बीडीओ धनी राम अवस्थी के घर में हुआ है। पढ़ने में होशियार रजत की दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई सिद्धपुर के सेक्रेट हार्ट स्कूल में हुई है। 12वीं करने के बाद रजत ने स्पेस साइंस में बीटेक की पढ़ाई की और 2012 में इसरो में सेवाएं देने के लिए चुने गए। वहीं, दो साल की सेवाओं के दौरान 2014 में उन्हें इसरो में टीम एक्सीलेंसी अवार्ड से सम्मानित किया गया है। चंद्रयान-3 मिशन से पहले रजत मंगलयान और चंद्रयान-2 का भी हिस्सा रह चुके हैं। उनके पिता धनीराम अवस्थी ने कहा कि गौरव की बात है कि उनके बेटे ने चंद्रयान मिशन का हिस्सा बनकर प्रदेश के साथ अपने जिले का नाम रोशन किया है।
वहीं, 27 साल के डॉ. अनुज चौधरी की पढ़ाई सरकारी स्कूल में हुई है। पहली से लेकर आठवीं तक अनुज गांव के ही मिडिल स्कूल जंदराह में पढ़े हैं, जबकि नवमी तथा मैट्रिक बाबा बड़ोह में करने के बाद बारहवीं की परीक्षा ग्रीन फील्ड स्कूल नगरोटा बगवां से पास की। बचपन से ही अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनने का सपना लिए अनुज ने मास्टर आफ साइंस की डिग्री स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी से की, जबकि पेनसिलवेनिया विश्वविद्यालय से एमबीए किया। अनुज चौधरी ने अमेरिका में एमआईटी से पीएचडी की है, जहां से अंतरिक्ष शोध की चाहत के चलते उन्होंने यूरोपियन स्पेस एजेंसी में सिलेक्शन के लिए एग्जाम दिया था।
अनुज ने इस एजेंसी में 12वें रैंक के साथ अपनी जगह पक्की की थी। अनुज के पिता दिल्ली में अकाउंटेंट हैं, जबकि उनकी माता सरिता देवी गृहिणी हैं। अपने बेटे की इस उपलब्धि पर उनकी माता ने गर्व महसूस करते हुए बताया है कि देश को गौरव दिलाने वाले इस बड़े अभियान में उनका बेटा भी शामिल रहा है। उन्होंने बताया कि उनके बेटे को बचपन से ही साइंटिस्ट बनने का शौक था। इसे उन्होंने पूरा कर अपने माता-पिता के साथ देश और क्षेत्र का नाम भी रोशन किया है।