किसानों के मसीहा 'भारत रत्न' चौधरी चरण सिंह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में देश की तीन महान शख्सियतों को भारत रत्न देने की घोषणा की है। इनमें से एक हैं स्व. चौधरी चरण सिंह। वे भारत के पांचवें प्रधानमंत्री थे। उन्हें किसानों का मसीहा भी कहा जाता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के अधिकारों और लोकतंत्र के प्रति उनके समर्पण की सराहना करते हुए उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा की। भारतीय राजनीति के एक प्रमुख व्यक्तित्व चरण सिंह ने एक स्थायी विरासत छोड़कर उत्तर प्रदेश में भूमि सुधारों का समर्थन किया। उनका जन्म 23 दिसंबर,1902 को हुआ था और 84 साल की उम्र में 29 मई, 1987 को उनका निधन हो गया था।
चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक केवल साढ़े पांच महीने देश के प्रधानमंत्री रहे। उनका का पैतृक गांव यूपी के जिला हापुड़ में पड़ता था। जन्म के बाद उनका बचपन मेरठ जिले के भूपगढ़ी गांव में गुजरा। करीब 6 साल की उम्र में ये अपने ताऊ के पास आकर रहने लगे थे।
भूपगढ़ी गांव के पास ही जानी खुर्द गांव के सरकारी स्कूल में वे पढ़ने आते थे। जो उनके गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर है। वह पैदल ही गांव से दूसरे बच्चों के साथ पैदल आते थे। वे यहां कक्षा 4 तक ही पढ़ाई की, उसके बाद वह अपने मां-बाप के पास नूरपुर चले गए थे।
अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में शामिल हुए, जेल भी गए
कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 में पूर्ण स्वराज्य उद्घोष से प्रभावित होकर युवा चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया। 1930 में महात्मा गांधी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत नमक कानून तोड़ने का आह्वान किया गया। महात्मा गाधी ने ''डांडी मार्च'' किया। आजादी के दीवाने चरण सिंह ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिंडन नदी पर नमक बनाया। परिणामस्वरूप चरण सिंह को 6 माह की सजा हुई। जेल से वापसी के बाद चरण सिंह ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वयं को पूरी तरह से स्वतंत्रता संग्राम में समर्पित कर दिया। 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी चरण सिंह गिरफ्तार हुए फिर अक्टूबर 1941 में मुक्त किये गये। जिला कारागार में उन्हें बैरक नंबर 9 में रखा गया था। आज इस जिला कारागार का नाम भी चौधरी चरण सिंह के नाम पर ही है।
भारत के सबसे बड़े जाट नेताओं में से एक
चौधरी चरण सिंह को अक्सर भारत के सबसे बड़े जाट नेताओं में से एक माना जाता है। आज, राजनीतिक रूप से शक्तिशाली जाट यूपी, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में फैली लगभग 40 लोकसभा सीटों और लगभग 160 विधानसभा सीटों पर परिणामों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। वह यूपी के अब तक के एकमात्र जाट सीएम हैं। हालांकि, उनका प्रभाव सिर्फ जाट समुदाय तक ही सीमित नहीं था। व्यापक रूप से किसानों के समर्थक के रूप में पहचाने जाने वाले चरण सिंह को उत्तर भारत में कृषक समुदायों को शामिल करते हुए एक नया राजनीतिक वर्ग बनाने का श्रेय दिया जाता है, जिसका प्रभाव आज भी महसूस किया जाता है।