कोरोना वायरस को मात देने के लिए राष्ट्र की एकता, व समाजिक दुरी आवश्यक: समाजसेवी जय प्रकाश
एकजुटता ही कोरोना से हमें विजयश्री दिला सकती है- हमारा राष्ट्र विभिन्न विविधताओं के लिए जाना जाता है! हमारी धर्मनिरपेक्षता, हमारी भौगोलिक परिस्थिति, हमारी भाषायी विवधता,भेषभूषा, रहन-सहन, खान-पान आदि विभिन्न भिन्नताएं है लेकिन फिर भी पुरा विश्व हमें विभिन्नता में एकता के लिए जानता है और हमें नालंदा, तक्षशिला और गंगा जैसे पवित्र नदी के लिए आज भी याद करता है। आज पुरा विश्व कोरोना जैसी महामारी के कारण जुझ रहा है! जिससे निपटने के लिए विश्व की विभिन्न महाशक्तियों के भी पसीने छूट गए। और अब मुल प्रशन यह है कि भारत इस खतरे से कैसे निपटेगा। यह चिंता और मन्थन का विषय है सरकार विभिन्न तरह के प्रयास कर रही है लेकिन यह तब तक सम्भव नहीं है जब तक देश की कोटि कोटि जनता इस राष्ट्र पर आए घोर सकंट में अपनी भुमिका का निर्वहन न करें।
इस समय आपसी द्वेष भाव भुल कर हमें कोरोना से निपटने के लिए मेहनत करनी होगी! सरकार के आदेशों का पालन करना है और एक जिम्मेदार नागरिक की तरह सरकार का साथ देना चाहिए! और समाज में कोरोना से बचने के लिए सभी में अलख जगानी चाहिए!स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे लोगों का उत्साहवर्धन करना चाहिए और राष्ट्र सेवा के इस सच्चे यक्ष में अपनी आहुति डालनी चाहिए। यह वही देश है जहाँ अबदुल कलाम जैसे महान लोग राष्ट्रपति और लालबहादुर शास्त्री जैसे लोगों ने प्रधानमंत्री बनकर देश की सेवा की। ज्ञानी जैल सिंह और अटलबिहारी वाजपेयी जी ने राष्ट्र सेवा में अग्रणी भूमिका निभाई। हम सब को जाति, धर्म और आपसी भेदभाव से ऊपर उठकर इस कोरोना रूपी राक्षस से लडना है और मानवीय मूल्यों और मानवता के लिए लडाई लडनी है यही हमारी राष्ट्रीय एकता और कोरोना से बचने के लिए इस यज्ञ में सच्ची आहुति होगी।