'परमार्थ'- भारती बहल की कलम से
आज किया है परमार्थ उन सबने जिनको कभी समझा नहीं इस दुनिया ने
अचानक हुए (करोना) युद्ध के हमले में
सच्ची वीरता दिखाई इन्होंने
कभी सोचा ना था यह वक्त भी आएगा एक आंधी की तरह सब को बहा ले जाएगा
नमन है ऐसे वीरों को
जिन्होंने बदला तस्वीरों को
स्वजनों से बढ़कर परमार्थ किया अपनी बहादुरी का सच्चा सबूत दिया
मानवता के इतिहास में
साहस का बलिदान दिया
अपने हर कर्म को अंजाम दिया
ना की परवाह अपनी
ना परिवार की
बस आगे बढ़ कर सबका साथ दिया आगामी समय के लिए एक इतिहास दिया
कार्यक्षेत्र कोई भी रहा हो इनका
फिर भी एकता का परिचय दिया
देश के सेनापति का हर एक आदेश मान्य किया
ऐसे योद्धा पहली बार हुए
जो बिना हथियार लड़े
कूद पड़े जंग में जन कल्याण के लिए
धन्यवादी हैं हम ऐसे वीरों के
जो खेल गए खेल तकदीरों के
ऐसी ही महान हस्तियों ने
कार्य किए दानवीरों के
हम सौभाग्यशाली हैं, जो छत्रछाया मिली इन सज्जनों की
वरना हाल सभी जानते हैं, दूर देश के जनमानयों की
मेरे भी हाथ उठे दुआ में
सम्मान मिले इन्हें प्यार मिले
जिनके कारण परमार्थ के फूल खिले
धन्यवाद!
भारती बहल
जिला मंडी
(हि.प्र.)