टूटा दाँत लेकर आएं , उसके बाद जमकर मुस्कुराएं
हिमाचल प्रदेश में पहली बार एक ऐसे अहम् प्रोजेक्ट पर काम होने जा रहा है जिससे आपका टूटा हुआ दांत आपके मुंह में दोबारा जुड़कर आपके मुंह की शोभा बढ़ा सकता है। इसे री-इंप्लाटेंशन ऑफ टीथ प्रोजेक्ट का नाम दिया जा रहा है। इंडियन सोसायटी ऑफ ट्रामाटोलॉजी के तहत इस अहम प्रोजेक्ट को बारीकी से हिमाचल में लाया जाएगा। इसके सदस्य राज्य दंत कॉलेज में विशेषज्ञ डा। सीमा हैं। प्रदेश में शुरू की जाने वाली इस योजना के तहत आधार स्तर पर कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जाएगी। इस प्रोजेक्ट की खास बात यह होगी कि इसमें उन दांतों को वापस मसूड़ों में डाला जाएगा, जो किसी भी ट्रामा के कारण निकल गए हों। गौर हो कि हिमाचल में सबसे ज्यादा ऐसे ट्रामा होते हैं जहां पर दांत मसूड़ों से हिल जाते हैं या निकल जाते हैं, जिसमें सड़क दुर्घटनाएं सबसे ज्यादा शामिल हैं।
दंत विशेषज्ञ डा.सीमा ठाकुर कर रही इस प्रोजेक्ट पर काम
अभी आईजीएमसी की दंत विशेषज्ञ डा.सीमा ठाकुर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं। अपने स्तर पर उन्होंने एक वर्ष में करीब दस से पंद्रह घायलों के री-इंप्लांटेशन ऑफ टीथ को सफल करने की कोशिश की है। इसके बाद अब प्रदेश के सभी क्षेत्रों में दंत कालेज के माध्यम से इस योजना को अमलीजामा पहनाने की पहल की जाने वाली है। कुछ चुनिंदा राज्यों में यह इंप्लाटेशन काफी बेहतर तरीके से चल रहा है। अब हिमाचल भी इस इंप्लाटेशन के साथ जुड़ गया है। प्रदेश के दंत चिकित्सक यदि इस योजना को सफल बनाने के लिए प्रयासरत होंगे, तो टूटा दांत आपके मुंह में दोबारा लगाया जा सकता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
हालांकि री-इंप्लांटेशन के लिए टूटे हुए दांत की कुछ शर्तें शामिल रहेंगी। डेंटल कालेज में विशेषज्ञ डा.सीमा की मानें, तो अगर टूट कर दांत गंदा हो गया हो, तो उसे दस सेकेंड के भीतर पानी में धोकर दूध में डालकर नजदीक चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। उक्त चिकित्सक उस दांत को एक तकनीक से मसूडे़ के अंदर डाल देगा। यदि दांत सूखा हुआ, तो इंप्लाटेंशन में दिक्कत हो सकती है। डाक्टर के मुताबिक कम से कम आधे घंटे के भीतर दांत को चिकित्सक तक पहुंचाया जाना चाहिए, तभी उसे घायल के मसूड़े में लगाया जा सकता है। टूटे दांत को नारियल पानी में डालकर भी चिकित्सक के पास तक पहुंचाया जा सकता है। बहुत जल्द प्रदेश में इस अभियान को बारीकी से चलाया जाएगा।