कुल्लू के लिए रवाना हुई देवी हिडिंबा, कल रघुनाथ जी की रथयात्रा में होंगी शामिल

कुल्लू दशहरा उत्सव की सदियों पुरानी देव परंपराओं का निर्वहन करने के लिए देवी हिडिंबा बुधवार को कुल्लू के लिए रवाना हो गई हैं। मान्यता है कि देवी के बिना दशहरा उत्सव का आगाज नहीं होता। देवी हिडिंबा का इस उत्सव में विशेष महत्व है।आज सुबह विधिवत पूजा अर्चना के बाद ढुंगरी हिडिंबा मंदिर से देवी की ऐतिहासिक शोभायात्रा शुरू हुई। सैकड़ों हारियान और कारकून रथयात्रा के साथ निकले। दशहरा देवी हिडिंबा के आगमन के बाद ही शुरू होता है। सात दिन तक चलने वाले उत्सव के दौरान देवी कुल्लू स्थित अस्थायी शिविर में रहेंगी।
शाम को माता हिडिंबा रामशीला स्थित हनुमान मंदिर पहुंचेंगी। हनुमान मंदिर मे रात्रि ठहराव के बाद माता वीरवार सुबह रघुनाथ मंदिर को जाएगी। सदियों पुरानी देव परंपरा का निर्वहन करने के बाद दोपहर बाद भगवान रघुनाथ जी की रथयात्रा में भाग लेंगी। पहले दिन देवी हिडिंबा का रथ कुल्लू के अधिष्ठाता भगवान श्री रघुनाथ मंदिर और कुल्लू राजमहल पहुंचेगा। राज परिवार की ओर से यहां अश्व पूजा होगी। सात दिन तक अस्थायी शिविर में रहने के बाद अंतिम दिन लंका दहन के पश्चात ही देवी वापस आएंगी।
हिडिंबा माता के गुर देवी चंद ने बताया कि माता आज रात कुल्लू पहुंचेंगी और सुबह देवी का स्वागत होगा। रामशिला में देवी हिडिंबा को निमंत्रण देने के लिए भगवान रघुनाथ की ओर से छड़ी आएगी। यहां से देवी भगवान रघुनाथ के मंदिर के लिए प्रस्थान करेंगी। देवी हिडिंबा के अलावा ऊझी घाटी से दर्जनों देवी-देवता दशहरा में भाग लेने के लिए आज ही रवाना हुए।