कुईकंडा नाग 365 सालों बाद कुल्लू दशहरा उत्सव ने आएंगे, करेंगे 200 KM की दूरी तय

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव 2 अक्टूबर से मनाया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में कुल्लू जिले के सैकड़ों देवी-देवता भी भाग लेंगे। देवी-देवता के हरियानों द्वारा भी दशहरा उत्सव की तैयारी की जा रही है। ऐसे में एक देवता ऐसे भी हैं जो कि 200 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर ढालपुर मैदान पहुंचेंगे। जिला कुल्लू के उपमंडल आनी के नित्थर के आराध्य देवता कुईकंडा नाग 365 सालों बाद इस बार दशहरा उत्सव में शामिल होगें हैं। बीते दिन कुईकंडा नाग तांदी मंदिर में बैठक का आयोजन किया गया। मंदिर कमेटी के कारदार कमलेश रावत और गुर विनोद ठाकुर की अगुवाई में तांदी मंदिर के प्रांगण में बैठक हुई। झाड़े में गुर के माध्यम से देवता के आदेशानुसार इस बार यह फैसला लिया गया कि देवता दशहरा उत्सव में जाएंगे। देवता करीब 200 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। दरअसल नित्थर से कुल्लू बाई रोड ये दूरी 200 किलोमीटर हैं। जबकि देवता जंगलों और गांव से पैदल होते हुए कुल्लू दशहरा उत्सव में पहुंचेगे।
कारदार कमलेश रावत ने बताया कि दशहरा पर्व राजा जगत सिंह ने 1660 में शुरू किया था। उसी समय से 365 देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया जाने लगा और देवताओं की परंपरा का पालन किया जाने लगा। उस समय देवता साहिब कुईकंडा नाग तांदी ने दशहरा उत्सव में शिरकत की थी, लेकिन राजा द्वारा देवता को राजदरबार के प्रौढ़ (प्रवेशद्वार) के नीचे से गुजारने की कोशिश की गई। जबकि देवता किसी की भी चौखट पार नहीं करते हैं। जिसके बाद देवता गुस्सा हो गए और फिर कभी कुल्लू के दशहरा उत्सव में नहीं गए। 365 साल बाद अब देवता के आदेश पर मंदिर कमेटी ने दशहरा उत्सव में जाने का फैसला लिया हैं।
देवता के कारदार कमलेश ने कहा कि सभी की सहमति से यह फैसला लिया गया कि 29 सितंबर को देवता साहिब कुल्लू के लिए रवाना होंगे। देवता की इस यात्रा में क्षेत्र के हर घर से एक सदस्य का आना भी जरूरी तय किया गया है। देवता इस साल कुल्लू दशहरा में सबसे दूर से पहुंचने वाले देवता भी होंगे। तांदी में आयोजित झाड़े के दौरान देवता ने इसको लेकर आदेश दिए हैं।