'आओ! मिलकर आज, देश को जगाएं हम 21 जून ही नहीं हर रोज योग दिवस मनाए हम' - अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर चंद पंक्तियाँ
आओ! मिलकर आज ,देश को जगाएं हम
21 जून ही नहीं हर रोज योग दिवस मनाए हम
करोड़ों रुपए पास हो, पर भूख नहीं मिट सकती है
खाली पेट कब तक योग करोगे ,कैसे निरोग रहोगे?
सोंधी माटी में फसलें उगाएं हम
तभी यह पेट की आग बुझ सकती हैं
यह बात समझे और समझाएं हम
ये अमीरों के चोंचले है, गरीबों को न बहकाएं हम
खाने को रोटी नहीं, योग से कब तक स्वस्थ रह पाएंगे हम
योग का मतलब जोड़ना है
तो क्यों न आज खेतों से जुड़ जाएं हम
आज हकीकत में योग की शिक्षा पाएं हम
इसमें न कोई खर्चा है न कोई पाखण्ड है
इस योग ज्योति को जगाएं जो अखण्ड है
धरती पर बैठने को, चटाई की जरूरत नहीं है
मिट्टी ही चादर बन जाती है
हो जाता है अनुलोम विलोम खुद ही
जब हमारी कुदाली ऊपर नीचे जाती है
गढ़ देती है इतिहास कुदाली ,फसलें लिखकर आती हैं
सूर्य नमस्कार हो जाता है ,जब टोकरी सिर पर उठाई जाती है
यही है असली योग दिखा दो जमाने में
गहरी लम्बी सांसे लेकर हल चलाने में
आओ! मिलकर आज, खेतों को सजाएंगे
चक्रासन, वज्रासन, पद्मासन; सब हो जाते हैं, फसल कटाई में
फिर क्यों बैठें हम सफेद चटाई में?
है योग फायदेमंद इस बात में कोई शक नहीं है
पर सोंधी माटी पर फसले उगाना किसी योग से कम नहीं है
भान्ति -भान्ति के आसन खुद ही हो जाते हैं
मुझे तो सारे ही किसान ,योगी नजर आते हैं
सूर्य उदय से पहले खेतों में पहुंच जाते हैं
रहते स्वस्थ और निरोग सुन्दर काया पाते हैं
क्रिया भ्रामरी और भस्त्रिका खुद ही हो जाती है
जब खेतों में श्रम सुंदरियां गुनगुनाती हैं
अपने खेतों से मिला शुद्ध अन्न खाएंगे
आओ! ज्ञान और विवेक से खेतों को सजाएंगे
पानी और हवा को दूषित नहीं बनाएंगे
रास्ते में प्लास्टिक फेंक कर गंदगी नहीं फैलाएंगे
आओ मिलकर आज जागरूकता फैलाएंगे
जिएं और जीने दे, यह नारा अपनाएंगे
वेद ,पुराणों और शास्त्रों की शिक्षा को सार्थक बनाएंगे
उदाहरण पेश करेंगे ऐसा, लोग देखते रह जाएंगे
आओ! मिलकर पुरानी परम्परा को दोहराएंगे
हो जाएगा योग खुद ही, खेतों को सजाएंगे
पालक धनिया मेथी से खेतों को महकाएंगे
नकली चादर की जगह हरियाली की चादर बिछाएं
योग का अर्थ मानव को प्रकृति से जोड़ना है
तो आओ! खेतों की मिट्टी से जुड़ जाएं हम
बहाकर अपना खून पसीना फसलों को लहराएं हम
सभी शक्तियों का यह शरीर खजाना है
चलो !फिर से शक्तिशाली बन जाएं हम
आधुनिक उपकरणों से खेतों को सजाएं हम
आओ! मिलकर आज देश को जगाएं हम
21 जून ही नहीं हर रोज योग दिवस मनाएं हम
रचनाकार:-नर्बदा ठाकुर, जिला मण्डी (हि.प्र)
narbadathakur66@gmail.com