LAC गलवान पर शहीद हुए जवानों की याद में चन्द पंक्तियाँ नर्बदा ठाकुर की कलम से
ज़िन्दा रहा तो शान से घर आऊंगा।
जिंदा रहा तो शान से घर आऊंगा
मर गया तो इस शरीर को ताबूत में सजाकर घर पहुंचा देना तुम
मेरे तमगे को हृदय पर रखकर मेरी माॅ॑ को बता देना तुम
वह चाँद था तेरा, चमकता रहेगा इतिहास के आसमान पर
अमर हुआ है तेरे कलेजे का टुकड़ा
भारत माँ की आन पर
भाई से कहना जमकर मेहनत करना तू
वतन की रक्षा कर, गद्दारों से बदला लेना तू।
बहन से कहना खो गई है तेरी राखी गलवान के पानी में ,उसे ढूंढ नहीं पाया मैं
गया हूँ ऐसी राह से, जहां से मेरी
वापसी नहीं
इन्तजार था तेरी राखी का
पर पहन नहीं पाया मैं।
पापा से कहना तेरे बुढ़ापे की लाठी बनकर तेरा सहारा न बन पाया में
चाहता था ,वतन की रक्षा कर घर लौट जाऊंगा
माफ करना! घर लौट कर तेरी सेवा नहीं कर पाया मैं
थम जाएगी सागर की गर्जन
पर्वत भी झुक जाएगा
कितना दर्दनाक होगा वह मंजर
मेहंदी लगी होगी हाथों में
पर मंगलसूत्र उतर जाएगा।
मेरी हीर से कहना घर लौट कर तेरे सपने सजा न सका
महकाना चाहता था तेरे अरमानों की बगिया, पर लौट के घर आ न सका!
दोस्तों से कहना अब क्रिकेट के लिए विकेट मत सजाना तुम
मैं आऊंगा अन्तिम बार ,श्मशान
तक साथ निभाना तुम!
रचनाकार-नर्बदा देवी ठाकुर