माता के इस मंदिर में मिलता है सभी को इंसाफ
मां दुर्गा के अनेक रूप है। शांत स्वभाव, करुणामयी अवतार के साथ-साथ माता के कई रौद्र रूप है, जिनका मन्दिर भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थापित है। ऐसा ही एक मंदिर सिथित है हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर में। मां भंगायणी के नाम से विख्यात ये मन्दिर सिरमौर जिला के हरिपुरधार में शिमला की सीमा पर अवस्थित है। यह मंदिर कई दशकों से लाखों श्रद्धालुओं की असीम आस्था व श्रद्धा का केंद्र बिंदु बना हुआ है। भक्त यहां अपनी मनौती पूर्ण होने पर मां के दरबार में पहुंचते है। इस दिव्य शक्ति मां भंगायणी को इन्साफ की देवी भी माना जाता है। कोर्ट-कचहरी में न्याय न मिलने पर पीड़ित व्यक्ति इस माता के मंदिर में आकर इन्साफ की गुहार करते है और लोगों का विश्वास है कि मंदिर में उन्हें निश्चित रूप से न्याय मिल जाएगा। स्थानीय लोगो व भक्तजनो के अनुसार इस सुप्रसिद्ध मंदिर का पौराणिक इतिहास इस क्षेत्र के आराध्य देव शिरगुल महाराज से जुड़ा हुआ है। शिरगुल देव की वीरगाथा के अनुसार जब वह कालांतर में सैकड़ों हाटियों के दल के साथ दिल्ली शहर गए थे, तो उनकी दिव्य शक्ति की लीला के प्रदर्शन से दिल्लीवासी स्तब्ध रह गए थे। उस दौरान तत्कालीन तुर्की शासक को शिरगुल महादेव की आलौकिक शक्ति का पता चला, तो उन्होंने शिरगुल महादेव को गाय के कच्चे चमड़े की बेडि़यों में बांधकर कारावास में डाल दिया था। चमड़े के स्पर्श से शिरगुल देव की शक्ति लुप्त हो गई थी। ऐसे में कारावास से मुक्ति दिलाने हेतु बागड़ देश के राजा गोगापीर ने तुर्की शासक के कारावास में सफाई का कार्य करने वाली माता भंगायणी की मदद से शिरगुल महादेव को कारावास से मुक्त करवाया गया था। तब शिरगुल महादेव व राजा गोगापीर माता भंगायणी को अपनी धर्म बहन बनाकर अपने साथ ले आए तथा हरिपुरधार में एक टीले पर उन्हें स्थान देकर सर्वशक्तिमान होने का वरदान दिया। तभी से यह मंदिर उत्तरी भारत में सिद्धपीठ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।