हिमाचल में आपदा राहत राशि कहां खर्च की गई, इसको लेकर सरकार ने सभी उपायुक्तों से रिपोर्ट तलब की है। कई जगह राहत राशि का सही उपयोग नहीं होने की शिकायतें मिलने पर राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है। जिस काम के लिए राशि जारी की गई है, क्या मौके पर काम हुआ है या नहीं? इसकी रिपोर्ट सरकार ने डीसी से मांगी है। हाल ही में सचिवालय में डीसी और एसपी के साथ बैठक में भी राशि के दुरुपयोग का मामला उठा था। इस पर मुख्यमंत्री ने डीसी से रिपोर्ट तलब कर दी। राशि उन लोगों को दी गई, जिनके आपदा में घर ढह गए थे। कइयों की जमीन बाढ़ के चलते बह गई। सरकार आर्थिक तंगी के बावजूद हिमाचल में भारी बरसात से प्रभावित लोगों के लिए 4,500 कराेड़ रुपये का आपदा राहत पैकेज लाई थी। इसमें 3,500 करोड़ रुपये सरकार ने अपने संसाधनों से खर्च किया, जबकि 1,000 करोड़ मनरेगा के तहत व्यय किया गया। सरकार ने पूरी तरह से क्षतिग्रस्त 3,500 मकानों के निर्माण के लिए सात-सात लाख की मदद करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही घर बनाने के लिए सीमेंट भी सरकारी रेट (280 रुपये प्रति बैग) पर दिया। आवास निर्माण के दौरान बिजली-पानी का खर्चा भी सरकार ने उठाया। कच्चे-पक्के मकानों को नुकसान पहुंचने पर आर्थिक मदद 15 से 25 गुणा बढ़ाई गई। हिमाचल में 16 हजार से अधिक घर आपदा से पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। विधानसभा मानसून सत्र में भी इस मसले पर तीन दिन तक बहस हुई। प्रदेश में राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और केंद्र से हिमाचल को विशेष राहत पैकेज की मांग का प्रस्ताव रखा गया। मगर भाजपा ने प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया। प्राकृतिक आपदा के चलते हिमाचल सरकार ने अपने स्तर पर 4,500 करोड़ का राहत पैकेज घोषित किया था। राहत राशि प्रभावितों को दी गई है। इसका सही तरीके से इस्तेमाल किया है या नहीं, उपायुक्तों से रिपोर्ट मांगी गई है।
बजाज कैप्टिल इंशोयरेंस ब्रॉकिंग लिमिटेड ऊना द्वारा लिपिक में 15 पद तथा सेल्ज़ और मार्किटिंग में 15 पद नियमित आधार पर भरे जाएंगे। इन पदों के साक्षात्कार 16 नवम्बर को प्रातः 10 बजे जिला रोजगार कार्यालय ऊना में लिया जाएगा। जिला रोजगार अधिकारी अक्षय शर्मा ने बताया कि इन पदों के लिए शैक्षणिक योग्यता 12वीं और किसी भी स्ट्रीम में स्नातक होना अनिवार्य है। इसके अलावा आयु सीमा 18 से 25 वर्ष और वेतन 12 हज़ार रूपये प्रतिमाह निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि योग्य व इच्छुक अभ्यर्थी अपने योग्यता प्रमाण पत्र, जन्म तिथि, रोजगार कार्यालय का पंजीकरण कार्ड, आधार कार्ड नम्बर, दो पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ व मूल प्रमाण पत्रों सहित साक्षात्कार में उपस्थित हो सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए 97369-12969 मोबाइल नम्बर पर सम्पर्क किया जा सकता है।
हिमाचल प्रदेश में फ़िलहाल मौसम शुष्क चल रहा है। हालांकि पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर में सक्रिय हो चुका है, जिसका प्रभाव आज देर रात तक लाहौल- स्पीति, चंबा कांगड़ा के ऊंचाई वालके क्षेत्रों में बारिश होने की संभावना देखने को मिल सकता है और अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हो सकती है। वहीं इस अवसर पर मौसम विभाग के निर्देशक कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि वैसे तो कुछ दिनों तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिल रहे थे परंतु अब जिस तरह से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हुआ है जिसके चलते आने वाले दिनों में कुछ एक जिलों में तीन डिग्री तक गिर सकते हैं । वहीं उन्होंने कहा कि 14 नवंबर और 15 नवंबर को उतरी भारत में एक और पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है, जिसके चलते चंबा , कांगड़ा ,लाहौल-स्पीति में एक बार फिरसे एक बार हल्की फुल्की बारिश और अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी होने की संभावना होने के आसार बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि धुंध की बात की है तो वह भाखड़ा बांध के आसपास का क्षेत्र बिलासपुर में पिछले चार पांच दिनों से सुबह और शाम के समय घने कोरे की संभावना बनी हुई है, जिसके चलते विजिबिलिटी बहुत ही कम बनी हुई है।
हिमाचल प्रदेश में ग्रामीणों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए अब नई पंचायतों के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस संबंध में सरकार ने सभी जिलों के उपायुक्तों से प्रस्ताव मांगे हैं। यदि नई पंचायतें बनती हैं, तो कई पंचायतों की सीमाएं भी बदलेंगी और उनका पुनर्सीमांकन भी किया जाएगा। आने वाले दिसंबर में पंचायत चुनाव प्रस्तावित हैं, और इसकी तैयारियाँ पहले से ही शुरू हो चुकी हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में भी पंचायत चुनाव से पहले 412 नई पंचायतें बनाई गई थीं। अब सवाल उठता है कि नई पंचायतों के गठन की मांग क्यों की जा रही है। इसके कई कारण हैं, जैसे जनसंख्या में वृद्धि, प्रशासनिक और विकासात्मक जरूरतें, जब किसी क्षेत्र की जनसंख्या बढ़ती है, तो उस पर पंचायतों का दबाव भी बढ़ता है। ऐसे में नए क्षेत्रों को कवर करने के लिए अधिक पंचायतों का गठन किया जाता है। साथ ही, दूर-दराज के क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन, शिक्षा, सड़क, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का विस्तार भी नई पंचायतों के गठन की प्रमुख वजह है। इसलिए, अब नई ग्राम पंचायतों के गठन के लिए उपायुक्तों से प्रस्ताव मांगे गए हैं। यदि नियमानुसार नई पंचायतों का गठन आवश्यक हुआ, तो इसे लागू किया जाएगा।
** रोबोटिक और ड्रोन का दिया जा रहा प्रशिक्षण शिमला: हिमाचल को देश का कौशल हब बनाने की दिशा में राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है। ऐसे में युवाओं का कौशल उन्नयन कर उद्योगों की मांग के अनुसार उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी कड़ी में राजकीय हाइड्रो इंजीनियरिंग महाविद्यालय बंदला में डिग्री कोर्स कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग के तहत एआई और डाटा साइंस, राजकीय बहुतकनीकी संस्थान रोहड़ू में कंप्यूटर इंजीनियरिंग व आईओटी डिप्लोमा कोर्स और राजकीय बहुतकनीकी संस्थान चम्बा में मैकाट्रोनिक्स डिप्लोमा कोर्स जैसे नए पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। न्यू एज पाठ्यक्रमों के शुरू होने से प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के मार्ग खुल रहे हैं। प्रदेश सरकार का लक्ष्य कौशल विकास और तकनीकी शिक्षा में नए आयाम स्थापित कर युवाओं को रोजगार प्रदाता बनाना है। नई तकनीक के क्षेत्र में ज्ञान के साथ-साथ प्रशिक्षण की भी अहम भूमिका है। प्रशिक्षुओं को बेहतर तकनीकी ज्ञान देने को राजकीय बहुतकनीकी संस्थानों के 38 विद्यार्थियों और राजकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालयों और बहुतकनीकी संस्थानों के 20 प्रशिक्षकों को आईआईटी मंडी में रोबोटिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भी युवाओं को नए अवसर प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है। इस दिशा में राजकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालयों के 20 प्रशिक्षकों को आईआईटी रोपड़ और दिल्ली में सेमीकंडक्टर इको-सिस्टम का प्रशिक्षण दिया गया है। प्रदेश सरकार राज्य में सेमीकंडक्टर उद्योग स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है। सरकार की इस नई पहल का उद्देश्य युवाओं के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा करना और प्रदेश में प्रोद्यौगिकी के विकास को बढ़ावा देना है। बहुतकनीकी एवं इंजीनियरिंग के 10 संकाय सदस्यों और 6 विद्यार्थियों को भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान ऊना में मशीन लर्निंग से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान किया गया। हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील राज्य है, इसको देखते हुए युवाओं को ड्रोन प्रौद्योगिकी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ड्रोन प्रौद्योगिकी आपदा प्रतिक्रिया प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रदेश के 11 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में युवाओं को ड्रोन से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके तहत 128 प्रशिक्षणार्थी प्रशिक्षण ले रहे हैं। सरकार के यह प्रयास हिमाचल को आईटी हब के रूप में स्थापित करने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। वहीं, छात्रों को गुणवत्तापूर्ण व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के लिए व्यापक स्तर पर सुधार किए जा रहे हैं। वर्तमान में प्रदेश मेें 363 तकनीकी शिक्षा एवं औद्योगिक शिक्षा संस्थान कार्यरत हैं। युवाओं को बेहतर प्लेसमेंट के अवसर प्रदान करने के लिए रोजगार मेलों व कैम्पस इंटरव्यू का आयोजन भी निरंतर करवाया जाता है। सुक्खू सरकार के कार्यकाल के दौरान सरकारी अभियान्त्रिकी महाविद्यालयों, राजकीय फार्मेसी महाविद्यालय, बहुतकनीकी एवं औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के करीब 5,731 प्रशिक्षणार्थियों को विभिन्न कैंपस इंटरव्यू के माध्यम से रोजगार उपलब्ध करवाए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में वन भूमि पर किए अवैध अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिए हैं। उच्च न्यायालय ने राजस्व विभाग और वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि विवादित जमीन की नाप-नपाई 6 दिसंबर 2024 से पहले की जाए। सरकारी और वन भूमि पर अगर किसी भी तरह का अवैध अतिक्रमण पाया गया तो उसे हटाया जाए और वहां पर स्थायी बाउंड्री लगाई जाए। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की अदालत ने आदेश की अनुपालना रिपोर्ट 13 दिसंबर को पेश करने को कहा है। याचिकाकर्ता ने सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे को नियमित करने के लिए सरकार के पास एक अर्जी दी थी। याचिकाकर्ता ने माना था कि उसने वन भूमि जमीन पर तीन बीघा और तीन बिस्वा अतिक्रमण किया है। सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा करने के मामले में सरकार ने इस पर हिमाचल प्रदेश सरकारी स्थान अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली अधिनियम 1971 की धारा 4 के तहत कार्रवाई की। सरकार ने कहा कि अतिक्रमण वन विभाग की अधिसूचना 1896 के तहत वन भूमि पर है। इस पर किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं किया जा सकता है। अदालत ने पाया कि केंद्र सरकार के प्रस्ताव के बिना कोई भी वन भूमि नियमित नहीं की जा सकती है। वन भूमि का उपयोग गैर वन भूमि के लिए नहीं किया जा सकता है। अदालत ने अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि वन भूमि पर किसी भी तरह का अवैध ढांचे और अतिक्रमण अगर पाया जाता है तो उसे हटा दिया जाए।
तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी, हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने मुंबई में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, जब मैं महाराष्ट्र कांग्रेस कार्यालय पहुंचा तो पवन खेड़ा ने मुझे समोसा ऑफर किया। फिर मैंने पूछा कि यहां जो राजनीति हो रही है, वह समोसे पर है या विकास पर, महिलाओं के सम्मान पर। सच हमेशा झूठ का सामना करता है, लेकिन अंत में जीत सच की ही होती है। महाराष्ट्र की तरह ही हिमाचल प्रदेश में भी राज्यसभा चुनाव के दौरान 'ऑपरेशन लोटस' चलाया गया।
** कुछ जिलों में कोहरे का यलो अलर्ट हिमाचल में मौसम में आए बदलाव से ठंड बढ़ गई है। अधिकतम तापमान में पांच डिग्री की कमी दर्ज हुई है। शुक्रवार को प्रदेश के किसी भी क्षेत्र में अधिकतम तापमान 30 डिग्री तक भी नहीं पहुंचा। सबसे ज्यादा अधिकतम तापमान जिला सिरमौर के धौलाकुआं में 28.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। मंडी और बिलासपुर जिले के कई क्षेत्रों में शनिवार और रविवार को घना कोहरा पड़ने का येलो अलर्ट जारी हुआ है। अगले एक सप्ताह तक अधिकतम और न्यूनतम तापमान में चार से पांच डिग्री की कमी आने के आसार जताए गए हैं। 10 नवंबर तक प्रदेश में मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान है। 11 नवंबर को मध्य और उच्च पर्वतीय आठ जिलों किन्नौर, लाहौल-स्पीति, शिमला, सोलन, सिरमौर, मंडी, कुल्लू और चंबा में बारिश व बर्फबारी की संभावना है। वीरवार रात को ताबो में न्यूनतम पारा माइनस तीन डिग्री दर्ज हुआ। कल्पा और केलांग में भी रात के तापमान में कमी आई है। शुक्रवार सुबह और शाम सुंदरनगर, मंडी, बिलासपुर और शिमला में भी कोहरा छाया रहा। इससे मौसम में ठंड बढ़ गई है। शुक्रवार को राजधानी शिमला सहित प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में दिन के समय धूप खिली। शाम को मौसम में बदलाव आने से कई क्षेत्र ठंड की चपेट में आए।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बैंक से धोखाधड़ी के मामले में हिमाचल के बद्दी सहित अन्य 10 स्थानों पर दबिश दी है। यह कार्रवाई गुगलानी समूह की विभिन्न कंपनियों मेसर्स सुपर मल्टीकलर प्रिंटर्स प्राइवेट लि.और मेसर्स इन फूड्स प्राइवेट लि. और उनके निदेशक सुनील, सुमन गुगलानी सहित अन्य की ओर से किए दो बैंकों से धोखाधड़ी मामलों में हुई है। इससे बैंकों को 125.40 करोड़ और 53.88 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। ऋण लेने वाली कंपनियां मल्टीकलर ऑफसेट प्रिंटिंग और कंप्यूटर स्टेशनरी के व्यवसाय में लगी हुई थी। मामले की जांच के तहत ईडी ने बद्दी के साथ ही चंडीगढ़, पंचकूला (हरियाणा), मोहाली और अमृतसर (पंजाब), दिल्ली और अहमदाबाद (गुजरात) स्थित 11 परिसरों में तलाशी अभियान चलाया। आरोपियों पर एफआईआर के अनुसार पीएनबी, केनरा बैंक, एसबीआई, आईसीआईसीआई और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को कुल 179.28 करोड़ रुपये का जानबूझकर नुकसान पहुंचाने का आरोप है। धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों ने ऋण लेने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। ईडी की तलाशी में कई नए बैंक खातों का पता चला है। साथ ही 3 लाख रुपए की नकदी, अपराध संकेती दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए हैं।
*बारिश न होने से पौधों के सूखने की आशंका बीते दो माह से बारिश न होने के कारण हिमाचल में सेब के बगीचे सूखे की चपेट में आ गए हैं। पौधों की छाल उखड़ने लगी है, जिससे कैंकर रोग फैलने का खतरा पैदा हो गया है। बारिश नहीं हुई तो सेब के पौधों के सूखने की आशंका है और अगले सीजन में सेब की फसल पर भी इसका असर पड़ सकता है। प्रदेश में सेब की फसल के तुड़ान के बाद करीब दो महीनों से बारिश नहीं हुई है। इस तरह की परिस्थिति प्रदेश में कई वर्षो के बाद बनी है। सेब के पौधों में जो सामान्य वृद्धि देखने को मिलती थी, वह रुक गई है। पेड़ों की छाल में दरारें आनी शुरू हो गई हैं, जिनसे रस बह रहा है। इन परिस्थितियों में कैंकर फैलने का खतरा बढ़ गया है। अगले लंबे समय तक ऐसे हालात बने रहते हैं तो पौधे सूख भी सकते हैं।नमी का स्तर घटने से मिट्टी सख्त हो गई है और लाभकारी जीवाणु निष्क्रिय हो रहे हैं। यह जीवाणु पौधों के पोषण और वृद्धि के लिए जरूरी होते हैं। उद्यान विभाग और नौणी विश्वविद्यालय ने बागवानों को बगीचों की नियमित निगरानी की हिदायत दी है, ताकि बचाव के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकें। विषय विशेषज्ञ उद्यान, तकनीकी विशेषज्ञ सीपीएस डॉ. कुशाल सिंह मेहता ने बताया कि बीते दो महीने से बारिश न होने के कारण पौधों को नुकसान पहुंचना शुरू हो गया है। बागवानों को बगीचों में सिंचाई और मल्चिंग करने और कैंकर से बचाव के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करने का सुझाव दिया गया है। उच्च घनत्व पौधरोपण वाले बगीचों में टपक सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) की सुविधा उपलब्ध है तो नियमित अंतराल पर सिंचाई करें। बगीचों में सूखे घास की मोटी परत का मल्चिंग के तौर पर इस्तेमाल करें, ताकि वाष्पीकरण को रोककर नमी बनी रहे। जिन पौधों की छाल में दरारें आ चुकी हैं और रस बह रहा है, वहां कैंकर रोग से बचाव आवश्यक है। रोग के प्रसार को रोकने के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें। इसके लिए 600 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड को 200 लीटर पानी में घोलकर पौधों पर छिड़काव करें। यह फफूंदनाशी उपाय कैंकर के संक्रमण को रोकने में मदद करेगा और पौधों को स्वस्थ रखेगा।
मंडी: बीती महीने 23 अक्टूबर की रात को एक निजी नर्सिंग संस्थान के होस्टल की चौथी मंजिल से गिरकर नर्सिंग छात्रा अंजना की संदिग्ध मौत हो गई थी, जिसे लेकर उसके परिजनों ने एसपी ऑफिस के बाहर धरना प्रदर्शन कर खूब हंगामा किया। मौके पर मौजूद एएसपी मंडी सागर चंद्र व डीएसपी मंडी सुंदरनगर सहित अन्य पुलिस अधिकारी गुस्साए परिजनों को शांत कराते हुए नजर आए। इस दौरान गुस्साए पजिनों ने एसपी ऑफिस के अंदर घुसने का भी प्रयास किया, जिस पर पुलिस अधिकारियों ने गुस्साए परिजनों का शांत करवाया। इससे पहले परिजनों ने मंडी शहर में आक्रोश रैली निकाली और पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। परिजनों का कहना है कि उनकी बेटी ने आत्महत्या नहीं की है, बल्कि उसकी हत्या की गई है। परिजनों ने पुलिस पर केस को दबाने के आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस इस मामले के तथ्यों को छिपाने का काम कर रही है। मृतक अंजना के पिता भगत राम ने बताया, "जब मैं अपनी बेटी को अस्पताल लेकर गया तो देखा की उसके सिर पर चोटें आई हैं, जबकि हमें बताया गया था कि हमारी बेटी चौथी मंजिल से गिरी है। चौथी मंजिल से गिरने के बाद हमारी बेटी को केवल सिर पर ही क्यों चोटे आई? जबकि शरीर के अन्य अंग बिल्कुल ठीक हैं। वहीं, भगत राम ने कहा कि जिस दिन यह घटना हुई है, वहां पर हॉस्टल के सीसीटीवी कैमरे भी खराब बताए जा रहे हैं, जिससे जाहिर होता है कि इस मामले में पुलिस दबाव में आकर तथ्यों को छिपाने की कोशिश कर रही है। मृतका के परिजन बलदेव ठाकुर ने बताया, "शिकायत करने के बाद भी पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है, जबकि सभी परिजन इस मामले में पुलिस का सहयोग करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। एफआइआर दर्ज करवाने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। पुलिस कह रही है कि उन्हें घटना स्थल पर सबूत नहीं मिले हैं, जबकि हॉस्टल में मौजूद अन्य लड़कियां अगल-अलग ब्यान दे रही हैं। इस मामले में परिजनों ने जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार से उचित कार्रवाई की मांग उठाते हुए उन्हें न्याय दिलाने की गुहार लगाई है। साथ ही परिजनों ने चेताया कि अगर उन्हें जल्द न्याय नहीं मिलता है तो वे सड़कों पर उतरकर उग्र प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। मंडी जिले के सराज क्षेत्र के गुराण गांव की अंजना ठाकुर सुंदरनगर में एक निजी शिक्षण संस्थान और हॉस्टल में अक्टूबर महीने में पहुंची थी। अंजना यहां पोस्ट बेसिक नर्सिंग में प्रथम वर्ष में थी। बीते 23 अक्टूबर की रात को अंजना रहस्यमयी परिस्थितियों में हॉस्टल की चौथी मंजिल से गिर गई। घायल अवस्था में अंजना को नेरचौक मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। जहां से उसे पीजीआई और उसके बाद उसे चंडीगढ़ के मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया, मगर 25 अक्तूबर को इलाज के दौरान अंजना ने दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद परिजन उनकी बेटी की हत्या की आशंका के आरोप लगाते हुए पुलिस से उचित कार्रवाई की मांग कर रहे है। परिजनों का ये भी आरोप है कि पुलिस इस मामले में दबाव में आकर काम कर रही है।
हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य में अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए फॉरेस्ट गार्ड को पे फिक्सेशन स्केल 2022 का लाभ देने के आदेश जारी किए हैं। अदालत ने वर्ष 2022 से पहले अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए गए वन रक्षकों के पक्ष में यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है। वन रक्षकों को यह लाभ वर्ष 2020 से मिलेगा। अदालत ने कहा कि सरकार कर्मचारियों को उनके वित्तीय लाभ देने से वंचित नहीं रख सकती है।न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए अनुबंध पर लगे वर्ष 2021 से पहले कर्मचारियों को पे स्केल का लाभ दिए जाने के आदेश पारित किए हैं। अभी तक धर्मशाला सर्किल को 3 जनवरी 2022 का पे फिक्सेशन का लाभ दिया जा रहा था। अदालत के आदेश के बाद प्रदेश में 2022 से पहले नियुक्त किए गए सभी वन रक्षकों को यह लाभ मिलेगा। बता दें कि राज्य सरकार ने इन वन रक्षकों की नियुक्तियां वर्ष 2019 में अनुबंध के आधार पर की थीं। वर्ष 2021 में इनकी सेवाओं को स्थायी किया गया, लेकिन सरकार ने इन्हें 3 जनवरी 2022 के पे स्केल का लाभ नहीं दिया गया। इसी आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत से मांग की गई थी कि उनकी अनुबंध सेवाओं को स्थायी नियुक्ति के लिए गिना जाए और उन्हें 2022 के पे स्केल का लाभ दिया जाए। सरकार की ओर से कहा गया था कि 2022 का लाभ केवल स्थायी कर्मचारियों को ही दिया जाएगा। हिमाचल सरकार ने जिला न्यायाधीशों के वर्ग में कुल पदों की संख्या काडर ग्रेड पे के साथ 25 से बढ़ाकर 35 फीसदी कर दी है। इसके साथ ही जिन जिला न्यायाधीशों को सेवाएं करते 5 वर्ष हो चुके हैं, उन्हें चयन ग्रेड पे प्रदान किया जाएगा। हाईकोर्ट की ओर से जिला न्यायाधीशों के वर्ग से योग्यता व वरिष्ठता के आधार पर इस ग्रेड में नियुक्त करने के लिए चुने जाएंगे, उन्हें चयन ग्रेड में रखा गया है। उन्हें चयन ग्रेड जिला न्यायाधीश कहा जाएगा। जिला न्यायाधीशों के कुल पदों की संख्या 10 से बढ़ाकर 15 फीसदी की गई है। अधिसूचना के मुताबिक जिन जिला न्यायाधीशों की सेवाएं तीन साल से ज्यादा होंगी, उन्हें उच्च न्यायालय की ओर से योग्यता व वरिष्ठता के आधार पर वेतनमान दिया जाएगा और इन्हें सुपर टाइम स्केल जिला न्यायाधीश कहा जाएगा। हिमाचल प्रदेश न्यायिक अधिकारी वेतन, भत्ते और सेवा की शर्तें अधिनियम 2004 के नियम 3 की उपधारा (4) में संशोधन किया गया है।
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों के अधिकार को लेकर महत्त्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए कहा है कि अवैध संबंधों अथवा अमान्य वैवाहिक संबंधों से पैदा हुए बच्चों का पंजीकरण करने से इनकार करना गैरकानूनी है। कोर्ट ने नाबालिग बच्चों की ओर से दायर याचिका को स्वीकारते हुए कहा कि याचिकाकर्ता जीवित प्राणी हैं। इस तथ्य को कानून में स्वीकार किया जाना चाहिए। इसलिए उनके नाम संबंधित पंचायत के रिकार्ड में दर्ज किए जाने चाहिए। न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं के नाम पंचायत रिकार्ड में दर्ज करना हिंदू विवाह अधिनियम की धारा-16 के प्रावधानों के अनुरूप होगा, जिसमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून को ध्यान में रखा गया है। कोर्ट ने प्रतिवादियों की आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि चूंकि याचिकाकर्ताओं के माता-पिता के बीच विवाह विशेष विवाह अधिनियम की धारा-4 के प्रावधानों के मद्देनजर पंजीकृत नहीं किया जा सकता है और इस आधार पर याचिकाकर्ताओं के नाम पंचायत रिकार्ड में दर्ज नहीं किए जा सकते हैं। स्पष्ट रूप से गलत धारणा है और हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 16 (1) के महत्त्व का उल्लंघन करता है। मामले के अनुसार तीन नाबालिग बच्चों, जिनकी उम्र क्रमश: 12, नौ और पांच वर्ष है, ने अपनी मातृ प्राकृतिक अभिभावक के माध्यम से याचिका दायर कर प्रतिवादियों को पंचायत रिकार्ड यानी जन्म रजिस्टर और परिवार रजिस्टर में उनके नाम दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की थी।
कंपनी ने आठ महीने में तीन करोड़ से अधिक गोलियां बना डालीं। कंपनी के पास इन्हें बनाने का लाइसेंस है, लेकिन इन दवाओं की कहां-कहां खपत की गई, इसमें बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। मामले के तार यूपी, बिहार और महाराष्ट्र तक जुड़े हुए हैं। एंटी नारकोटिक टास्क फोर्स यूपी, बिहार में दबिश देकर किंगपिन की तलाश कर रही है। इतना ही नहीं, फार्मा कंपनी पर टैक्स चोरी का भी गंभीर आरोप है, जिस दवा के एक डिब्बे की कीमत करीब 4200 रुपये है, उसकी कीमत 225 रुपये दिखाई गई। इसे राज्य सरकार को सीधे तौर पर करोड़ों की चपत लगाई है। मामला सामने आने के बाद थाना सीआईडी शिमला में मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश अमल में लाई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक यह कार्रवाई हाल ही में ड्रग कंट्रोल विभाग और एंटी नारकोटिक टास्क फोर्स की ओर से की गई जांच के बाद हुई है। इसमें बड़ी मात्रा में ट्रामाडोल और अन्य नियंत्रित पदार्थों से युक्त दवाइयां अवैध तरीके से बेची जा रही थीं। मेसर्स मेडिक्रॉस लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड की ओर से संचालित इस फार्मास्युटिकल इकाई ने मेडिडोल एसआर, ट्रोहमा-100, प्रोक्सिमो-स्पास और अन्य साइकोट्रोपिक दवाओं का उत्पादन किया था। इकाई के खिलाफ यह जांच इसलिए शुरू की गई, क्योंकि सूत्रों ने बताया था कि यह दवाइयां बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं, जो मादक पदार्थों के दुरुपयोग का कारण बन सकती हैं। 28-29 सितंबर को ड्रग कंट्रोलर के निरीक्षण और एंटी नारकोटिक टास्क फोर्स की टीम के साथ इस फार्मा यूनिट का दौरा किया गया, जहां पाया गया कि इकाई में उत्पादित दवाइयां विभिन्न राज्यों में थोक विक्रेताओं को बिना उचित रसीदों और रिकॉर्ड के बेची जा रही थीं। कुछ विक्रेताओं के दस्तावेज भी संदिग्ध पाए गए । इन दवाओं को अन्य राज्यों में भी आपूर्ति की जा रही थी। विशेष रूप से, ऊना स्थित एक फार्मास्युटिकल्स को मेडिडोल-एसआर टैबलेट और अन्य दवाइयां भेजी गई थीं, जहां ड्रग इंस्पेक्टर ने एक छापे में अवैध रूप से स्टॉक कंट्रोल्ड ड्रग्स जब्त कीं। फार्मास्युटिकल्स के मालिक और अन्य आरोपी इस अवैध कारोबार में शामिल पाए गए, जिनके पास बिक्री और आपूर्ति से संबंधित कोई उचित रिकार्ड नहीं था। साइकोट्रॉपिक दवाएं मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकारों के इलाज के लिए उपयोग की जाती हैं।
बिलासपुर/सुनील: वर्ष 2024 की नीट. (यू. जी.) परीक्षा में अपनी सफलता का डंका बजाकर इस बार मिनर्वा शिक्षण व कोचिंग संस्थान, घुमारवीं के कुल 52 होनहार प्रदेश व प्रदेश के बाहर स्थित सरकारी मेडिकल संस्थानों में अपनी-अपनी एम. बी. बी. एस., डॉक्टरी की पढ़ाई करेंगे। मिनर्वा शिक्षण संस्थान से कोचिंग प्राप्त कर साक्षी का चयन बहुप्रतिष्ठित मैडिकल संस्थान, एम्स. बिलासपुर में हुआ है। इसी तरह मिनर्वा शिक्षण व कोचिंग संस्थान घुमारवीं में अपनी मेहनत और लग्न के बूते, कनुप्रिया, नितिन, प्रद्युमन, प्रशम, राहुल, रिया, रिज़वान, संचित, शिवम, सुजल, तमन्ना, तथा उदय का चयन आई. जी. एम. सी., शिमला में हुआ है। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए 6 बच्चों; अनमोल, खुशी, प्रियल, शिवानी, स्वास्तिका तथा युविका का चयन आर. पी. जी. एम. सी., टाण्डा, जिला कांगड़ा में हुआ हैं। 4 बच्चे; दिशा, हार्दिक, केशव तथा शुभम अपनी एम. बी. बी. एस. की पढ़ाई एस. एल. बी. एस. जी. एम. सी., नेर चौक, जिला मण्डी से करेंगे। 10 होनहार आकांक्षा, अनामिका, अरनव, धारणा, दिक्षित, पूजा, रितिका, शीतल, स्वाति तथा रिया का चयन वाई. एस. पी. जी. एम. सी., नाहन, जिला सिरमौर में हुआ है। 6 अभ्यर्थियों आर्यन, अनामिका, रितिका, रिया, शौर्य तथा तेंजिन का चयन आर. के. जी. एम. सी., हमीरपुर में हुआ है। इसी तर्ज पर 11 बच्चों; पलक, आदित्य, अरिशा, जागृति, कामाक्षा, पलक, राशी, स्मृति, शशांक, शिवांकित तथा कलश का चयन जे. एल. एन. जी. एम. सी., चम्बा में हुआ हैं। इसके साथ-साथ दो बच्चों, इशेन का चयन एस. एम. सी., लखिमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश व तनिष्का का चयन जी. एम. सी. उधमपुर, जम्मू व कश्मीर में हुआ है। इस सफलता के अवसर पर मिनर्वा शिक्षण संस्थान के संस्थापक व संयोजक परवेश चन्देल व राकेश चन्देल ने सभी चयनित विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को शुभकामनाएं देते हुए सभी विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए शुभाशिर्वाद प्रदान किया। उन्होने संस्थान में कार्यरत कर्मचारियों का भी अभिवादन किया जो कि दिन-रात बच्चों का भविष्य संवारने में लगे रहते हैं, साथ ही चन्देल बन्धुओं ने मिनर्वा से शिक्षा प्राप्त कर चुके और जो अभी शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थी हैं उनके माता-पिता व अभिभावकों का भी धन्यवाद किया, क्योंकि जिस भी मुकाम पर आज मिनर्वा घुमारवीं है उस में इन सब का और समाज के सभी वर्गों का बहुत बड़ा योगदान है।
हिमाचल में ग्रामीणों के लिए पशुपालन अब और भी फायदेमंद साबित होने जा रहा है। पशुपालकों को अब दूध की बिक्री के अलावा गोबर बेचने से भी इनकम होगी। हिमाचल में साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद किसानों से गोबर खरीदने का वादा किया था। ऐसे में ग्रामीणों की आर्थिक मजबूत करने के लिए अब सुक्खू सरकार किसानों से गोबर खरीदकर अपनी एक और गारंटी को पूरा करने जा रही है। इसके लिए कृषि विभाग ने किसानों से गोबर खरीदने की अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। जानकारी के मुताबिक सरकार नवंबर महीने के अंत तक किसानों से गोबर खरीद की प्रक्रिया को शुरू कर देगी। इसके लिए कृषि विभाग ने दिल्ली की एक कंपनी को शॉर्टलिस्ट कर दिया है। जो किसानों से गोबर ख़रीदेगीं । कृषि विभाग ने गोबर खरीद के लिए कंपनियों से आवेदन मांगे थे, जिसमें से दिल्ली की कंपनी को गोबर खरीद के लिए चुना गया है। हिमाचल में किसानों को अब गोबर बेचने से भी आय प्राप्त होगी। प्रदेश की सुक्खू सरकार किसानों से 3 रुपए प्रति किलो की दर से गोबर खरीदेगी। कृषि विभाग इसकी खाद तैयार कर बागवानों को 12 रुपए किलो के हिसाब से बेचेगी। प्रदेश में लगातार बागवानी क्षेत्र में विस्तार हो रहा है, जिस कारण गोबर की लगातार मांग बढ़ रही है। बता दें कि कंपनी किसानों से 5, 10, 25 और 50 किलो की पैकिंग में गोबर खरीदेगी। इसके लिए कंपनी को चार से पांच रुपए अदा किए जाएंगे। गोबर खाद की बाकायदा टेस्टिंग भी होगी। प्रदेश में अब बारिश होने के बाद बगीचों में तौलिया बनाने का काम शुरू हो जाएगा। इसी तरह से रबी सीजन में गेहूं समेत अन्य फसलों की बिजाई होनी है, जिसके लिए किसानों को गोबर से बनी खाद की जरूरत होगी। जो कि कंपनी द्वारा पूरी की जाएगी।
** कंपनियों से करोड़ों रुपये अग्रिम मिलेंगे हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के होटलों में कमरों की बुकिंग निजी कंपनी करेगी और इसके एवज में निगम को करोड़ों रुपये एडवांस देगी। पर्यटन विकास निगम निदेशक मंडल की बैठक में बुकिंग का काम निजी कंपनी को सौंपने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। बैठक की अध्यक्षता निगम के चेयरमैन रघुवीर सिंह बाली ने की। बैठक के बाद बाली ने कहा कि प्रदेश के इतिहास में पहली बार निजी होटल समूहों से स्पर्धा के लिए कमरों की बुकिंग निजी ऑनलाइन कंपनी को सौंपने का फैसला लिया है। निगम को करोड़ों रुपये अग्रिम मिलेंगे, जिससे होटलों का जीर्णोद्धार किया जाएगा। होटलों और रेस्टोरेंट के लिए जरूरी सामान की खरीद पर सालाना 30 करोड़ खर्च होते हैं। सेंट्रल बाइंग यूनिट के जरिये केंद्रीकृत तरीके से कंपनियों के साथ मोलभाव कर छूट ली जाएगी, इससे सालाना 5 करोड़ बचेंगे। घाटे में चल रहे निगम के रेस्टोरेंट्स का संचालन निजी हाथों में सौंपा जाएगा, लेकिन मालिकाना हक पर्यटन निगम का ही रहेगा। निदेशक मंडल ने कुल्लू और मनाली के चार होटलों को पूरी तरह नए तरीके से बनाने का फैसला लिया है। मनाली क्लब हाउस में आइस स्केटिंग रिंक भी बनेगा। निदेशक मंडल के सदस्यों के अलावा प्रबंध निदेशक डाॅ. राजीव कुमार और महाप्रबंधक अनिल तनेजा माैजूद रहे। आरएस बाली ने कहा कि पर्यटन निगम कर्मी उनके परिवार के सदस्य हैं। कर्मचारियों के हित में ही ग्रेच्युटी 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख की गई है। पेंशन 3500 से बढ़ाकर 9000 की गई है। इतना ही नहीं ,कर्मचारी की मौत पर एक्स ग्रेशिया ग्रांट भी 75,000 से बढ़ाकर 1.50 लाख रुपये की गई है। मुख्यमंत्री से अनुमति लेकर सेवानिवृत वरिष्ठ आईएएस अधिकारी तरुण श्रीधर से मैंने निगम के हित में सुझाव देने का आग्रह किया था। प्रोजेक्टों में सलाहकारों पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं लेकिन तरुण श्रीधर बिना कोई पैसा लिए पर्यटन निगम की वित्तीय स्थिति सुधारने के सुझाव देंगे। श्रीधर के अनुभव से निगम को जरूर लाभ होगा। निदेशक मंडल ने आउटसोर्स पर तकनीकी स्टाफ की भर्ती का फैसला लिया है। इससे जहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, वहीं होटल सुविधाओं की गुणवत्ता सुधरेगी। किचन में फूड कंट्रोलर, एफएंडबी मैनेजर, हाउस कीपिंग मैनेजर पदों पर तकनीकी स्टाफ के अलावा शेफ भी भर्ती होंगे।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि नए अस्पताल खोलने के बजाय 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों का डॉक्टर घर पर उपचार करेंगे। इसके लिए हिमाचल सरकार योजना तैयार कर रही है। आगामी बजट में योजना के लिए प्रावधान तय होंगे, ताकि बुजुर्गों को घर पर ही निशुल्क उपचार मिल सके। सीएम ने डोर स्टेप उपचार नाम की इस योजना की घोषणा हमीरपुर जिले के नादौन की पुतड़ियाल पंचायत में सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम में की। कार्यक्रम के दौरान पुतड़ियाल में स्वास्थ्य उपकेंद्र खोलने की मांग लोगों ने की तो सीएम ने डोर स्टेप योजना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जनता के लिए कांग्रेस सरकार गारंटियों से बढ़कर योजनाएं ला रही है। प्रदेश आत्मनिर्भर बन रहा है। राज्यसभा चुनाव के दौरान पार्टी में हुई राजनीतिक हलचल का जिक्र करते सीएम ने कहा कि जनता के हितों के लिए उन्हें पार्टी में आंतरिक विरोध भी सहना पड़े तो पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि जयराम सरकार ने 5 साल में कौड़ियों के भाव हिमाचल के हित बेचे हैं। सरकार ने केंद्र से 20 हजार करोड़ रुपये लेने हैं। बीबीएमबी से 4,500 करोड़ लेने हैं। कर्मियों के एनपीएस का 9,000 करोड़ केंद्र के पास है। भाजपा सरकार ने अनावश्यक 900 संस्थान खोले, लेकिन शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र की दुर्गति कर दी। सीएम ने कहा कि देहरा को पर्यटन की दृष्टि से भी संवारने के लिए 100 करोड़ का प्रोजेक्ट जल्द ही यहां शुरू किया जाएगा। पौंग झील में सालभर पानी रहता है। इसलिए वहां पर शिकारा, हाउस बोट, जैटी और क्रूज चलाए जाएंगे। इससे पर्यटन कारोबार बढ़ेगा। सुक्खू ने भविष्य में उनके चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि पूरा प्रदेश मेरा घर है और मैं कहीं से भी चुनाव लड़ सकता हूं। अभी मेरा गृह क्षेत्र नादौन है। देहरा में मेरी धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर का मायका है। इसलिए उन्होंने यहां से चुनाव लड़ा। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं उनकी जगह चुनाव लड़ूंगा। मुख्यमंत्री सुक्खू ने मंगलवार को देहरा में मुख्यमंत्री कार्यालय का लोकार्पण किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि लोगों को अब अपने कार्य करवाने के लिए शिमला नहीं जाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यहां के लोगों का विकास सरकार की प्राथमिकता है।
हाईकोर्ट ने राज्य में दवाइयों की गुणवत्ता मापने के लिए सरकार को क्यूआर कोड की व्यवस्था करने के आदेश दिए हैं। कोड से उत्पादन तिथि, एक्सपायरी डेट, जिस यूनिट में बनी उसका ब्योरा, बैच संख्या और जिस कंपोनेंट से बनाई गई उसकी जानकारी और कितने समय तक इसका उपयोग किया जाएगा, इसका पता चलेगा। उपभोक्ताओं को भी दवाइयों की जानकारी मिलेगी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने राज्य और केंद्र सरकार को दवा की गुणवत्ता से संबंधित, निर्माता कंपनियों और लाइसेंस जारी करने के बारे में कड़े नियम बनाने को कहा है। कोर्ट रूम में दवाइयों के बार कोड को जांचा गया, जिससे पता चला कि बार कोड पर सारी जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। महाधिवक्ता अनूप रतन ने बताया कि कोर्ट के आदेशों से जुड़ी जानकारियों की सरकार बुधवार को अधिसूचना जारी करेगी। सरकार की ओर से डिप्टी ड्रग कंट्रोलर ने अदालत में स्टेटस रिपोर्ट दायर की। कोर्ट ने पूछा कि दवा निरीक्षण के लिए कितने अधिकारी हैं। ड्रग कंट्रोलर ने कहा कि 39 ड्रग इंस्पेक्टर, 6 सहायक इंस्पेक्टर, एक दवा नियंत्रक है। 5 पद खाली हैं। कोर्ट ने सरकार को कहा कि पूर्णकालिक ड्रग कंट्रोलर नियुक्त करने पर विचार करे, जिससे प्रदेश में बन रहीं दवाइयों की गुणवत्ता बढ़ाई जाए। कोर्ट ने सरकार को तीन सप्ताह में रिपोर्ट पेश करे। अदालत ने कहा कि सरकार दवा निर्माता कंपनियों और टेस्टिंग लैब के लाइसेंस देने के मापदंड बताए। सरकार को रजिस्टर तैयार करने के आदेश दिए, जिससे संबंधित अधिकारी की जवाबदेही सुनिश्चित हो। अभी दवाइयों की सैंपलिंग और टेस्टिंग दो तरह से होती है। पहला इन हाउस निर्माता कंपनी और दूसरी टेस्टिंग सरकार की ओर से मंजूर लैब से होती है। लैब से मंजूरी पर दवाइयां मार्केट में बेची जाती हैं। बाजार में आने के बाद सैंपल फेल पाए गए हैं। अदालत ने इसे दुरुस्त करने को कड़े नियम बनाने के आदेश दिए, ताकि लोगों के जीवन से खिलवाड़ न हो।
सोमवार को हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के अंबेडकर चौक पर वोकेशनल टीचर्स ने प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन हिमाचल प्रदेश वोकेशनल टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले हुआ। वहीं, वोकेशनल टीचर्स के धरने पर शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने भी प्रतिक्रिया दी है। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि पिछले महीने ही अक्टूबर की बात है और उस वक्त इनका प्रतिनिधिमंडल मेरे पास आया था और उनकी मुख्य मांग थी कि हमारी सैलरी में बढ़ोतरी की जाए और उस बात को देखते हुए हमने लगभग 2000 के आसपास की इसमें बढ़ोतरी की थी और एरिया से संबंधित भी, क्योंकि वर्तमान में 17 हमारी कंपनी है, जिनके माध्यम से लगभग कोई दो ढाई हजार हमारे वोकेशनल ट्रेनर्स पूरे हिमाचल प्रदेश में लगे हैं। वो 17 में से 16 कंपनियों ने अपना एरियर समय पर दे दिया था। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा एक कंपनी जो मुझे बताया गया है उसने मैं समझता हूं वो समय पर अपना एरियर नहीं दिया है और उससे संबंधित हमारे विभाग ने समग्र शिक्षा के डायरेक्टर ने उनके एक्सप्लेनेशन कॉल भी कर दी है और भविष्य में मैं समझता हूं अगर इसी तरह से उनका रोल रहेगा, इस तरह की नकारात्मक सोच के साथ वो कंपनी कार्य करेगी तो निश्चित रूप में आने वाले समय में उस कंपनी को डिबार किया जाएगा। मेरा सभी वोकेशनल ट्रेनर्स से यही आग्रह है कि आप इस हड़ताल को इमीडिएट इसको कॉल ऑफ करें और अपने अपने स्कूलों में जाकर मैं समझता हूं जो इस पद पर आपको लगाया गया है वहां पर अपनी सेवाएं प्रदान करें।
प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के अंतर्गत ऊना जिले के एक गांव को मॉडल सोलर गांव के रूप में विकसित किया जाएगा। इस योजना के तहत गांव में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने और बिजली की जरूरतों को स्वच्छ ऊर्जा से पूरा करने के लिए एक करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। जिला स्तर पर योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए गठित समन्वय समिति (डीएलसीसी) के अध्यक्ष और उपायुक्त जतिन लाल ने यह जानकारी दी। उपायुक्त जतिन लाल ने बताया कि प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के अंतर्गत चयनित गांव को सौर ऊर्जा पर आधारित एक आदर्श गांव के रूप में विकसित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीणों को सस्ती और स्वच्छ बिजली प्रदान करना है। साथ ही, गांव में उत्पन्न अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में भेजकर आर्थिक लाभ प्राप्त करने का अवसर भी मिलेगा। योजना के तहत जिले में 2 हजार की आबादी वाले गाँवों में से एक गाँव का चयन करने की शर्त है। 2011 की जनगणना के मुताबिक जिले में ऐसे 32 गांव हैं जिनकी जनसंख्या 2000 से अधिक है। ऐसे में योजना को व्यापक बनाने के लिए इसमें ग्राम पंचायतों को शामिल करने का उच्च स्तर पर आग्रह किया गया है। उपायुक्त ने बताया कि मॉडल सौर गांव में सामुदायिक सौर संयंत्र, रूफटॉप सोलर प्लांट, सोलर पंपिंग सिस्टम, घरों में सोलर लाइट्स और गांव में स्ट्रीट लाइट्स लगाने जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। इसे लेकर सोमवार सांय हुई बैठक में योजना की प्रगति और जिले में इसके कार्यान्वयन की रणनीति पर चर्चा की गई। उपायुक्त ने बताया कि प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के अंतर्गत घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को उनके छतों पर 3 किलोवाट तक की क्षमता वाले ग्रिड-कनेक्टेड सोलर पावर प्लांट पर सब्सिडी मिलेगी। 2 किलोवाट तक की क्षमता पर प्रति किलोवाट 33,000 रुपये और अतिरिक्त 1 किलोवाट पर 19,800 रुपये की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। इस योजना के तहत घर में उत्पादित सौर ऊर्जा का उपयोग घर की बिजली की जरूरतों को पूरा करने में किया जा सकेगा। सौर संयंत्र से उत्पादित अतिरिक्त बिजली को भी ग्रिड में भेजने का विकल्प उपलब्ध रहेगा, जिससे गांव के निवासियों को और अधिक लाभ प्राप्त हो सकेगा। बैठक में सहायक आयुक्त वरिंदर शर्मा, हिम ऊर्जा के परियोजना निदेशक और डीएलसीसी के सदस्य सचिव सोहन लाल सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।
हिमाचल प्रदेश में बारिश नहीं होने की वजह से सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं। अधिकांश क्षेत्रों में किसान गेहूं बोने के लिए सही मौसम का इंतजार कर रहे हैं। प्रदेशभर में अक्टूबर महीने में तो बादल बरसना तो छोड़िए आसमान पर छाए तक नहीं अब नवंबर महीने का शुरूआती दिन भी सूखे की तरह ही बीत रहे हैं। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार 10 नवंबर तक बारिश के आसार नहीं हैं। ऐसे में किसान बारिश की आस में आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। प्रदेश कृषि विभाग के पूर्व अतिरिक्त निदेशक डॉ. एचआर शर्मा ने कहा कि 15 नवंबर तक गेहूं की बिजाई होना जरूरी है।इसके बाद बिजाई करने से फसल प्रभावित होगी। कई क्षेत्रों में अब तक गेहूं की बिजाई कर ली जाती थी। किसान आसमान पर नजरें टिकाए हैं कि जब बारिश होगी तो बुवाई करेंगे। उल्लेखनीय है कि गेहूं हिमाचल प्रदेश की प्रमुख रबी की फसल है। राज्य में करीब 85 फीसदी क्षेत्र में खेती वर्षा पर ही निर्भर रहती है। उधर, रविवार को सोलन में अधिकतम तापमान 29.0 और धर्मशाला में 27.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। धर्मशाला में इससे पहले सात नवंबर को 2022 को 27.4 और सोलन का एक नवंबर 2022 को 28.7 डिग्री पारा रहा था। वहीं, रविवार को प्रदेश भर में अधिकतम तापमान में यह औसत बढ़ोतरी 4.1 डिग्री सेल्सियस रही। उधर, रविवार को शिमला का अधिकतम तापमान 23.2, सुंदरनगर का 29.6, भुंतर का 30.0, ऊना का 32.6 और हमीरपुर का 35.5 डिग्री सेल्सियस रहा।अक्तूबर में बारिश न होने से इस बार किसान रबी की फसल नहीं लगा पाए हैं। केवल सिंचित क्षेत्र के किसान ही गेहूं की बिजाई कर पाए हैं। मटर और चने के लिए पहले ही समय निकल गया है। गेहूं के लिए भी नवंबर के पहला सप्ताह सबसे उपयोगी माना जाता है। अभी तक खेत सूखे होने से किसान बिजाई नहीं कर पाए हैं। जिन किसानों की खेत में पानी की सुविधा है वे ही गेहूं बिजाई का कार्य कर पाएंगे। नालागढ़ क्षेत्र में 6 हजार हेक्टेयर जमीन पर गेहूं की खेती की जाती है। विभाग के पास जो बीज हैं वे अगेती किस्म का है। अगर समय पर बीज नहीं लगाया तो पैदावार कम हो सकती है। खेत सूखे होने से किसान अभी तक मटर भी नहीं लगा पाए हैं। कृषि विभाग के विषयवाद विशेषज्ञ डॉ. संदीप गौतम ने बताया कि उनके पास अभी गेहूं की लेट वैरायटी नहीं है। जो बीज उपलब्ध है वह नवंबर के शुरू में ही लग जाना चाहिए। तभी इसके अच्छे परिणाम आएंगे।
** आईटीसी लिमिटेड फूड्स डिवीजन कपूरथला लेगी कैंपस साक्षात्कार औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) जोगेंद्रनगर स्थित डोहग में 12 नवंबर को आईटीसी लिमिटेड फूड्स डिवीज़न कपूरथला पंजाब दो वर्षीय आईटीआई धारक प्रशिक्षुओं का कैंपस साक्षात्कार लेने जा रही है। साक्षात्कार प्रात: 10 बजे से आईटीआई परिसर डोहग में लिया जाएगा। आईटीआई प्रधानाचार्य इं. नवीन कुमारी ने बताया कि कैंपस साक्षात्कार में विभिन्न ट्रेड्स में आईटीआई पास युवा व युवतियां भाग ले सकते हैं जिनमें इलेक्ट्रीशियन, फिटर, मशीनिस्ट,वायरमैन,इलेक्ट्रॉनिक्स,मोटर मैकेनिक व्हीकलस और महिला उम्मीदवारों के लिए केवल कोपा ट्रेड शामिल है। इस साक्षात्कार के लिए आयु सीमा 18 से 25 वर्ष (जिनका जन्म 1 अप्रैल 1999 से 3 अगस्त 2005 के बीच हो) रखी है तथा आईटीआई उत्तीर्ण वर्ष 2017 से 2024 तक होना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि चयनित उम्मीदवारों को कंपनी द्वारा ग्यारह हज़ार छः सौ रूपये मासिक वजीफा और आठ सौ रूपये उपस्थिति प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। इसके साथ कपूरथला शहर से कंपनी तक आने व जाने की सुविधा, शिफ्ट के दौरान सब्सिडाइज खाना व चाय, बिना किसी शुल्क के दो जोड़ी वर्दी, हाइजिन यूनिफार्म और सुरक्षा जूते भी कंपनी की ओर से प्रदान किए जाएंगे। कंपनी की नीति के अनुसार आकस्मिक अवकाश व चिकित्सा अवकाश भी चयनित उम्मीदवार को को दिए जाएंगे। साथ ही वार्षिक पूर्व नियोजन और नियमित स्वास्थ्य जांच निशुल्क होगी। उन्होने बताया कि कैंपस साक्षात्कार में भाग लेने के इच्छुक युवा 12 नवम्बर को प्रात: 10 बजे आईटीआई में सभी मूल दस्तावेजों व प्रमाणपत्रों जिसमें अपना बायोडाटा, पासपोर्ट साइज फोटो, शैक्षणिक दस्तावेज व एनटीसी प्रमाण पत्र साथ में लाना सुनिश्चित करें। इस बारे अधिक जानकारी के लिए राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में संपर्क कर सकते हैं।
प्रदेश सरकार के सामाजिक सरोकार के दायित्वों का निर्वहन कर रहे हिमाचल पथ परिवहन निगम ने महिलाओं को भैया दूज पर नि:शुल्क यात्रा की व्यवस्था की थी। निगम ने 78.64 लाख का अनुदान इसके लिए छोड़ा है। यानी सरकार ने इस दिन जो मुफ्त यात्रा सुविधा महिलाओं को दी है, वो एचआरटीसी ने छिड़ी। इसमें 63.39 लाख का अनुदान केवल महिलाओं की यात्रा का है, बाकी 15.25 लाख अन्य श्रेणियों की नि:शुल्क यात्रा का है। निगम ने जीरो टिकट की व्यवस्था की थी। यानी महिलाओं को टिकट तो दिया गया , लेकिन उनसे पैसे नहीं लिए गए। यानी यदि निगम इनका टिकट के पैसे लेता तो 63.39 लाख की अतिरिक्त कमाई हो सकती है। हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम रोजाना 50 लाख का अनुदान रियायती सफर पर देता है। यह पहल न केवल सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देती है। प्रबंध निदेशक रोहन चंद ठाकुर ने इसकी पुष्टि की है।
हिमाचल प्रदेश सरकार की प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना सिरमौर जिला के उन किसानों के लिए संजीवनी बन गई है, जो किसान अभी भी पारंपरिक मक्की व गेहूं की फसलों पर आधारित अपनी आजीविका का गुजर बसर कर रहे थे। मात्र छह साल की अवधि में प्रदेश सरकार की प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना किसानों के लिए कमाऊ पुत बन चुकी है। हालत यह है कि अब हिमाचल प्रदेश सरकार ने किसानों से प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाई जा रही मक्की की खरीदारी बाजारों से अधिक दामों पर करनी शुरू कर दी है। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश सरकार ने किसानों द्वारा नेचुरल फार्मिंग के माध्यम से उगाई जा रही मक्की की फसल की खरीदारी 30 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदारी शुरू कर दी है। सरकार की इस प्रोत्साहन योजना से सिरमौर जिला में प्राकृतिक तौर पर मक्की की खेती से जुड़े किसान बेहद खुश है। वर्तमान में हालत यह है कि जिला सिरमौर में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों का आंकड़ा 3450 पहुंच चुका है। सिरमौर जिला में वर्तमान में 2275 हेक्टेयर भूमि पर मक्की की फसल लगाई जाती है, परंतु इनमें से 3450 किस जिला सिरमौर के ऐसे हैं, जो 470 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक तौर तरीके से नेचुरल फार्मिंग के माध्यम से मक्की की पैदावार कर रहे हैं। नेचुरल खेती के प्रोत्साहन से मात्र पांच से छह साल की अवधि के भीतर ही सिरमौर जिला में 208 किसान वर्तमान में ऐसे हैं जिनके पास सरप्लस मक्की की फसल की उपज हुई है। जिला के 208 किसानों के पास वर्तमान में 520 क्विंटल मक्की की फसल सरप्लस है। इस सरप्लस फसल को विभाग प्रदेश सिविल सप्लाई कारपोरेशन के माध्यम से किसानों से खरीद रहा है। अब सरकार मक्की की प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों से जो मक्की की खरीदारी करेगी, उसको पीसकर मक्की का आटा एक किलो व पांच किलो की पैकिंग में बाजारों में बेचा जाएगा। अधिकारियों की माने तो वर्ष 2018 में सरकार द्वारा मक्की की खेती से जुड़े किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना शुरू की गई थी। यह योजना किसानों के लिए संजीवनी बन रही है। विभागीय अधिकारियों की माने तो मक्की के किसानों को आरंभ में मक्की को बेचने के लिए मार्केट की दिक्कत रहती थी, लेकिन प्रदेश सरकार ने मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य 30 प्रति किलो निश्चित कर किसानों की आमदनी का जरिया बढ़ा दिया है। यही कारण है कि अब सिरमौर जिला में भी किसान मक्की की प्राकृतिक खेती से जुड़ रहे है। मक्की की फसल से जुड़े किसानों के लिए सबसे बड़ी खुशी की खबर यह भी है कि जिला सिरमौर का कृषि विभाग किसानों के खेतों से ही 2500 से 2900 प्रति क्विंटल के हिसाब से प्राकृतिक तरीके से उगाई गई मक्की की फसल की खरीदारी कर रही है। यदि किसान स्वयं अपनी फसल को विभाग द्वारा चिन्हित बिक्री केद्रों में बेचना चाहते हैं, तो वहां पर 3000 प्रति क्विंटल के हिसाब से मक्की की फसल खरीदी जा रही है। सिरमौर जिला के नाहन व पांवटा साहिब में खरीद केंद्र बनाए हैं। इन दो मक्की खरीद केंद्रों में अभी तक सिविल सप्लाई कारपोरेशन के माध्यम से 201.66 क्विंटल मक्की की खरीदारी की जा चुकी है। सिरमौर के आत्मा प्रोजेक्ट के परियोजना निदेशक डा. साहब सिंह ने बताया कि प्रदेश सरकार की प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना किसानों के लिए कारगर बन रही है। सिरमौर जिला में 3450 किसान मक्की की प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं, जो 470 हेक्टेयर भूमि में मक्की की नेचुरल फार्मिंग कर रहे हैं। जिला सिरमौर के 208 किसानों ने मक्की की सरप्लस उपज पैदा की है, जिनके पास से विभाग 520 क्विंटल मक्की की फसल खरीद रहा है।
स्कूल में तबेला या तबेले में सरकारी स्कूल...यह सवाल जनजातीय क्षेत्र भरमौर के राजकीय उच्च विद्यालय सिंयुर स्कूल में जाने पर अपने आप ही जहन में आ जाता है। गाय-भैंसों के रंभाने की आवाज के बीच 50 छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूल भवन की मांग को लेकर स्थानीय ग्रामीण और अभिभावक सरकारी सिस्टम के सामने 35 साल से बीन बजा रहे हैं। लेकिन आज तक किसी के कान पर जूं नहीं रेंगी। यूं ही हिमाचल शिक्षा के स्तर में शीर्ष तीन से 21वें स्थान पर नहीं फिसला...इसके कई कारण हैं। शिक्षकों की कमी और ग्रामीण स्तर स्कूल भवनों का अभाव भी एक कारण है। इसका सबूत भरमाैर का राजकीय उच्च विद्यालय सिंयुर है। सिंयुर स्कूल में कक्षा के बाहर मवेशी बंधे रहते हैं और अंदर बच्चे पढ़ाई करते हैं। सोमवार को जब भरमौर विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. जनकराज सिंयुर पंचायत का दौरा करने पहुंचे तो इसी दौरान उच्च पाठशाला में पढ़ने वाले बच्चों से मिलने के लिए वहां गए। जब उन्होंने पाठशाला के बरामदे में बंधे हुए मवेशियों को देखा तो अपने कार्यकर्ताओं से इस बारे में पूछा। तब उन्होंने बताया कि यह स्कूल 35 साल से ऐसे ही चल रहा है। इस स्कूल की किसी ने सुध नहीं ली। उधर, विधायक डॉक्टर जनकराज ने बताया कि वह पाठशाला की इस हालत का मुद्दा विधानसभा में उठाएंगे। साथ ही मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के सम्मुख भी इस समस्या को उठाएंगे। उन्होंने कहा कि मौजूदा कांग्रेस की सरकार स्कूलों को बंद करने का कार्य कर रही है। ऐसे में जनजातीय क्षेत्र की पाठशालाओं की हालत में सुधार करने में सरकार का कोई ध्यान नहीं है, लेकिन वह इस मुद्दे को चंबा से लेकर शिमला तक उठाएंगे। भरमौर विधानसभा क्षेत्र से पिछले 35 साल में राज्य मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और विधायक रहे, लेकिन आज तक किसी ने भी इस पाठशाला को अपना भवन दिलाने की जहमत नहीं उठाई। सिंयुर उच्च पाठशाला निजी भवन में चल रही है। वहां पर मवेशियों को बांधे जाने की उन्हें जानकारी नहीं है। इस बाबत जानकारी जुटाकर उचित कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने जांच के आदेश दिए हैं।
** दिवाली पर एक्स्ट्रा चीनी भी नहीं मिली, सरकार को अप्रूवल के लिए भेजी फाइल प्रदेश के राशन डिपुओं में उपभोक्ताओं को आवश्यक वस्तुएं नहीं मिल रही हैं। राशन डिपुओं में सरसों का तेल और दालें नहीं मिल रही हैं। बताया जा रहा है कि राशन डिपुओं में मिलने वाले सरसों के तेल और दालों के टेंडर न होने के कारण सप्लाई प्रभावित हुई है। गौर हो कि राशन डिपुओं में सरसों का तेल और दाले न मिलने से लोगों को दुकानों से महंगे दाम पर राशन लेना पड़ रहा है। प्रदेश के राशन डिपुओं में दाल चना और माह की दाल नहीं मिल रही है। इसके अलावा कई जगहों पर सरसों का तेल भी नहीं मिल रहा है। दूसरी ओर राशन डिपुओं में उपभोक्ताओं को दिवाली पर मिलने वाली अतिरिक्त चीनी का कोटा भी उपोभक्ताओं को नहीं मिला है। गौर हो कि हिमाचल प्रदेश में करीब साढ़े 19 लाख राशनकार्ड उपभोक्ता हैं। प्रदेश सरकार की ओर से प्रति राशनकार्ड उपभोक्ताओं को सबसिडी पर तीन दालें (मलका, माश, दाल चना), दो लीटर तेल (रिफाइंड और सरसों), 500 ग्राम प्रति व्यक्ति चीनी और एक किलो नमक दिया जा रहा है। इसके अलावा आटा और चावल केंद्र सरकार सबसिडी पर उपलब्ध करवा रही है। इस बार दिवाली के त्योहार पर प्रदेश के राशन कार्ड उपभोक्ताओं को प्रति परिवार के हिसाब से 500 ग्राम अतिरिक्त चीनी नहीं मिली है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राशन डिपुओं में मिलने वाले सरसों के तेल और दालों के टेंडर न होने के कारण सप्लाई पिछले महीने से दालों सहित अन्य सामान की सप्लाई नहीं आई है। राशन डिपुओं में उपभोक्ताओं को पूरा राशन न मिलने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में लोगों को बाजार में महंगे दामों पर राशन लेना पड़ रहा है। वहीं जानकारी के अनुसार फाइल प्रदेश सरकार से अप्रूवल के लिए भेजी गई है। इसके बाद भी टेंडर होने की संभावना है। अप्रूवल मिलने के बाद ही प्रदेश के राशन डिपुओं में खाद्य वस्तुओं की सप्लाई शुरू हो जाएगी। बहरहाल प्रदेश भर के राशन डिपुओं में मिलने वाले सरसों के तेल और दालों के टेंडर न होने के कारण सप्लाई प्रभावित हुई है।
हिमाचल प्रदेश में नवंबर माह के सर्द मौसम में भी अब गर्मी का एहसास हो रहा है। इस सीजन में सूर्य की बढ़ती तपिश के कारण नवंबर माह में अधिकतम तापमान के रिकाॅर्ड टूट गये है। प्रदेश में जहां अक्टूबर माह में सुखा रहा वहीं नवंबर माह का आगाज भी शुष्क मौसम के साथ हुआ।मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक शोभित कटियार ने कहा कि हिमाचल में अगले दस दिनों तक माैसम साफ रहने के आसार हैं। उन्होंने कहा कि 12 नवंबर को प्रदेश के चंबा,कांगड़ा व लाहौल स्पीति के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी की संभावना है। 8 नवंबर के बाद अधिकतम व न्यूनतम तापमानों में गिरावट आने की संभावना है, लेकिन बावजूद इसके तापमान फिर भी सामान्य से अधिक बने रहेंगे। बद्धत्व तापमानों का कारण पश्चिमी विक्षोभ का न आना व मौसम शुष्क बने रहना है।
शिमला में रविवार को लोअर बाजार स्थित सब्जी मंडी में प्याज 80 रुपये प्रति किलो तक बिका। दिवाली के बाद प्याज की कीमतों में अचानक हुई वृद्धि ने उपभोक्ताओं और विक्रेताओं दोनों को हैरान कर दिया है। लोअर बाज़ार सब्जी मंडी में तीन दिनों में प्याज के दामों में 20 रुपये किलो की बढ़ोतरी हुई है। तीन दिन पहले प्याज 60 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा था। सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि दिवाली के चलते देशभर में सब्जी मंडियां दो से तीन दिन तक बंद रहती हैं। इसके चलते शिमला में प्याज की कम खेप पहुंची है। मांग के अनुसार कम फसल पहुंचने के चलते दामों में बढ़ोतरी हो गई है। हालांकि टमाटर के दाम अब घटना शुरू हो गए हैं। नासिक से टमाटर की नई फसल पहुंचना शुरू हो गई है। रविवार को टमाटर 50 रुपये प्रतिकिलो तक बिका है। आने वाले दिनों में टमाटर के दामों में और ज्यादा गिरावट आने की उम्मीद है। लोअर बाजार सब्जी मंडी एसोसिएशन के प्रधान विश्वेश्वर नाथ ने बताया कि रविवार को मंडी में 100 से 200 बोरी प्याज ही पहुंचा। बाकी दिनों में 500 से 600 बोरी प्याज प्रतिदिन पहुंचता है।आने वाले दिनों में आवक बढ़ने के साथ ही इसके दाम कम हो जाएंगे।
** हिमाचल की हर पंचायत को मिलेगा ई-रिक्शा, घर-घर से उठाएगा कचरा ** ई-रिक्शा पर सूखा और गीला कचरा अलग-अलग इकट्ठा करने के लिए बनेंगे केबिन हिमाचल सरकार प्रदेश की सभी 3,615 पंचायतों को ई-रिक्शा देने की तैयारी कर रही है। यह ई-रिक्शा घर-घर से कचरा उठाएगा। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण चरण-1 के तहत निचले इलाकों की 80 पंचायतों के लिए ई-रिक्शा खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सरकार ने खरीद का जिम्मा इलेक्ट्रॅानिक विकास निगम को सौंपा है। खरीद के मानक परिवहन विभाग के सहयोग से तय किए गए हैं। घरों से इकट्ठा होने वाले कचरे से कंपोस्ट खाद तैयार की जाएगी। पंचायतें इस खाद को बेचकर कमाई करेंगी और यह पैसा विकास कार्यों पर भी खर्च किया जाएगा। हिमाचल को हरित राज्य बनाने के उद्देश्य से सरकार ने पंचायतों के लिए ई-रिक्शा खरीदने का निर्णय लिया है। राज्य में पंचायतों की अलग-अलग भौगोलिक स्थिति के मद्देनजर पंचायती राज विभाग ने परिवहन विभाग के सहयोग से ई-रिक्शा खरीद को लेकर मानक और तकनीकी विशिष्टताएं तय की हैं। पंचायत स्तर पर ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र बनाने की भी योजना है। ई-रिक्शा पर सूखा और गीला कचरा अलग-अलग इकट्ठा करने के लिए केबिन बनेंगे। पंचायतीराज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र पर कचरे की छंटनी कर उससे कंपोस्ट खाद बनाई जाएगी। छंटनी के बाद निकले लोहा, धातू, कांच, प्लास्टिक आदि और कंपोस्ट खाद बेचकर मिलने वाली धनराशि को पंचायत के बैंक खाते में जमा किया जाएगा और योजना के तहत काम पर रखे जाने वाले सहयोगियों को मानदेय दिया जाएगा।
**अमेरिका में हुआ अंडर-19 विश्व चैंपियनशिप कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश की वंशिका गोस्वामी ने कोलोराडो अमेरिका में यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप अंडर-19 में स्वर्ण पदक जीता। महिलाओं की 80 किलोग्राम वर्ग में जर्मनी की विक्टोरिया गेट को वंशिका ने महज 1 मिनट 37 सेकेंड में हरा दिया। वंशिका गोस्वामी ने यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है। 25 अक्टूबर से 5 नवंबर तक अमेरिका के कोलोराडो में आयोजित इस प्रतियोगिता में वंशिका ने अपने शानदार प्रदर्शन से यह सफलता हासिल की है। वंशिका गोस्वामी ने बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के स्टार-3 रेफरी कैलाश शर्मा के मार्गदर्शन में मुक्केबाजी का प्रशिक्षण शुरू किया था। वंशिका की प्रारंभिक शिक्षा शिवालिक स्कूल ज्वालाजी से हुई हैं। 12वीं क्लास में उन्होंने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला समलोटी (नगरोटा बगवां) से पढ़ाई की। वहां कोच कैलाश शर्मा के मार्गदर्शन में वंशिका ने बॉक्सिंग का प्रशिक्षण शुरू किया और स्कूल गेम्स में स्टेट चैंपियन बनीं। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय खेलों में भी रजत पदक जीतकर अपनी काबिलियत का परिचय दिया। 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद कोच कैलाश शर्मा ने वंशिका को एडवांस ट्रेनिंग के लिए बाहर जाने की सलाह दी। इसके बाद वंशिका ने हरियाणा की एक निजी अकादमी से कोचिंग ली और साईं रोहतक में उसका चयन हुआ। वंशिका ने सांई रोहतक में मुख्य कोच अमनप्रीत के मार्गदर्शन में अपनी खेल प्रतिभा को निखारा। वर्तमान में वंशिका पंडित सुशील रतन राजकीय महाविद्यालय में बीए प्रथम वर्ष की पढ़ाई करने के साथ-साथ बॉक्सिंग का प्रशिक्षण भी प्राप्त कर रही हैं। वंशिका की इस कामयाबी पर सीएम सुक्खू ने भी बधाई दी है। वंशिका गोस्वामी जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी से संबंध रखती हैं। वंशिका गोस्वामी ज्वालाजी के तहत पड़ने वाली दरंग पंचायत की निवासी है। उनके पिता शशि गोस्वामी पुलिस में सेवारत हैं और दादा दीपराज गोस्वामी भी पुलिस विभाग से रिटायर हुए हैं। उनका परिवार हमेशा से ही खेलकूद व अन्य सामाजिक गतिविधियों में शामिल रहा है। बता दें कि अमेरिका में हुई इस यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारत के मुक्केबाजों ने 17 पदक जीतकर शानदार प्रदर्शन किया।
शिमला: हिमाचल प्रदेश में लगातार पारा गिर रहा है। प्रदेश में न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे जा चुका है। हालांकि प्रदेश में अधिकतम तापमान मौजूदा समय में सामान्य से 4 से 6 डिग्री अधिक चल रहा है। अभी आने वाले दिनों में मौसम साफ रहने का पुर्वानुमान है। रात में तापमान शून्य के आस-पास पहुंच गया है। सुबह शाम लोगों को ठंड का एहसास हो रहा है। पिछले 24 घंटे में राज्य का मौसम शुष्क रहा है। पिछले 24 घंटे में राज्य के अधिकतम और न्यूनतम तापमान में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है। औसत न्यूनतम तापमान सामान्य रहा. अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहा है। सबसे अधिक न्यूनतम तापमान -2.8 डिग्री सेल्सियस ताबो में दर्ज किया गया। सबसे अधिक तापमान ऊना में 33.4 डिग्री सेल्सियस रहा। हिमाचल में नवंबर महीने में भी गर्मी का एहसास हो रहा है। अक्सर हिमाचल में अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में ठंड का आगमन हो जाता है, लेकिन इस बार नवंबर में भी कई स्थानों का अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक या इसके आस-पास है। मौसम विभाग के मुताबिक प्रदेश में 9 नवंबर तक बारिश की कोई संभावना नहीं है। ऐसे में दिन के समय तापमान सामान्य ही रहेगा। सुबह-शाम लोगों को ठंड का एहसास होगा। पहली नवंबर को तापमान में रिकॉर्ड उछाल दर्ज हुआ था। शुक्रवार को कल्पा में 40, चंबा 14, शिमला 8 और कांगड़ा, सोलन व मनाली में 4 साल बाद नवंबर में सबसे अधिक तापमान रहा। कल्पा में शुक्रवार को तापमान 23.6 डिग्री रिकार्ड हुआ था। 1984 में कल्पा में अधिकतम तापमान 24.5 रिकॉर्ड रहा था। शुक्रवार को चंबा में 2010 के बाद 30 डिग्री और शिमला में 2016 के बाद 22 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान दर्ज किया गया था। वहीं, हिमाचल प्रदेश में 123 सालों में तीसरी बार अक्टूबर महीना सबसे सूखा रहा। इस साल अक्टूबर महीने में 97 प्रतिशत कम बारिश दर्ज हुई है। मौसम विभाग शिमला के मुताबिक प्रदेश में सामान्य 25.1 मिमी बारिश के मुकाबले 0.7 मिमी बारिश हुई है। ऐसे में बारिश कम होने के चलते अक्टूबर महीने में प्रदेशभर में सूखा छाया रहा। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर के महीने में हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन, सिरमौर, कुल्लू और चंबा में 100 प्रतिशत कम बारिश हुई, यानी की यहां पर बारिश हुई ही नहीं है। इसके अलावा अक्टूबर महीने में लाहौल-स्पीति में 99 प्रतिशत, किन्नौर में 98 प्रतिशत, कांगड़ा में 94 प्रतिशत, मंडी में 83 प्रतिशत और ऊना में 54 प्रतिशत कम बारिश हुई है। मौसम विभाग शिमला के मुताबिक अधिकांश दिनों में कम बारिश के साथ हिमाचल प्रदेश में 1901 के बाद से अक्टूबर के महीने में तीसरी सबसे कम बारिश दर्ज हुई है। अक्टूबर के महीने में सबसे अधिक बारिश 1955 में 413.5 मिमी दर्ज की गई थी।
** पर्यटक शिमला में खुल कर ले रहे राहत की सांस शिमला: देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण से हवा बहुत जहरीली हो गई है, जिससे लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दिल्ली की इस जहरीली हवा से राहत पाने के लिए लोग अब पहाड़ों का रुख कर रहे हैं। दिल्ली के मुकाबले हिमाचल प्रदेश में एयर क्वालिटी बहुत बेहतर है। एक तरफ जहां दिल्ली समेत अन्य शहरों में हवा बेहद खराब हो चुकी है, लेकिन हिमाचल में इसका असर ज्यादा देखने को नहीं मिला है। हिमाचल के शहरों में वायु गुणवत्ता काफी बेहतर है। ऐसे में दिल्ली सहित मैलानी क्षेत्र से काफी संख्या में पर्यटक शिमला पहुंच रहे हैं। शिमला में पर्यटकों का जमावड़ा लगा हुआ है. यहां पर आकर पर्यटक सुहावने मौसम का लुत्फ उठा रहे हैं। शिमला में मौसम बिल्कुल साफ बना हुआ है। पर्यटकों के आने से शिमला शहर में होटल पैक है। काफी समय के बाद शिमला में होटल में ऑक्युपेंसी भी 70 फीसदी तक पहुंच गई है। शिमला पहुंचे पर्यटकों का कहना है कि दिवाली के बाद दिल्ली में प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ गया है। लोगों ने काफी ज्यादा पटाखे जलाए हैं, जिससे दिल्ली की हवा काफी प्रदूषित हो गई है। वहां पर सांस लेने में भी दिक्कत आ रही है, जिसके चलते वो कुछ दिन शिमला में रहने का प्लान बनाकर आए हैं और यहां पर मौसम काफी सुहावना बना हुआ है। दिल्ली में अभी भी तापमान काफी ज्यादा है, लेकिन शिमला में मौसम काफी अच्छा बना हुआ है। सुबह शाम यहां पर काफी ठंड भी है। बाहरी राज्यों से काफी तादात में पर्यटक इन दिनों शिमला पहुंच रहे हैं। खासकर पर्यटक कालका से शिमला ट्रेन में पहुंच रहे हैं। शिमला में आने वाली सभी ट्रेनें पूरी तरह से पैक होकर शिमला पहुंच रही है। वहीं, ट्रेनों में एडवांस बुकिंग चल रही है।
हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सोमवार से वोकेशनल शिक्षा ठप हो जाएगी। वेतन एरियर नहीं मिलने पर सभी 2400 व्यावसायिक शिक्षक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं। वह मांगें पूरी होने तक सामूहिक हड़ताल पर रहेंगे। वोकेशनल शिक्षक संघ के अध्यक्ष अश्वनी डटवालिया और शिमला के अध्यक्ष धीरज शर्मा ने बताया कि कंपनियों के तुगलकी फरमानों से व्यावसायिक शिक्षक परेशान हैं। कंपनियां सरकार के आदेशों को भी दरकिनार कर रही हैं। सरकार ने कंपनियों को आदेश जारी किए थे कि 20 अक्तूबर तक व्यावसायिक शिक्षकों का एरियर जारी कर दिया जाना चाहिए। उसके बावजूद भी अभी दो कंपनियों ने एरियर जारी नहीं किया है। उन्होंने कहा कि ये कंपनियां मनमाने ढंग से वेतन प्रदान करती हैं, इसकी कोई समय अवधि भी तय नहीं है। इसके विरोधस्वरूप शिक्षकों ने चार नवंबर से हड़ताल करने का फैसला लिया है। वोकेशल शिक्षक संघ के पदािधकारियों ने वेतन देने के नाम पर निजी कंपनियों पर करोड़ों रुपये हड़पने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने दिवाली से पहले ही पूरे प्रदेश के कर्मचारियों का वेतन 28 अक्तूबर को जारी करने के आदेश जारी किए। लेकिन निजी कंपनियाें ने मनमानी करते हुए किसी भी व्यावसायिक शिक्षक को वेतन प्रदान नहीं किया है। कंपनियां सरकार के आदेशों की अवहेलना कर रही है। इन्हीं कारणों से वोकेशनल शिक्षकों में रोष है।
भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक भाई दूज का त्योहार आज, 3 नवंबर रविवार को मनाया जा रहा है। भाई दूज पर बहनों द्वारा अपने भाई को तिलक लगाया जाएगा। मान्यता हैं कि इससे जहां भाई की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती तो वहीं भाई भी अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है। इस त्योहार को भाई-बहन के प्यार के पर्व के रूप में मनाया जाता है, लेकिन भाई दूज के दिन भाई और बहन को कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। कुल्लू के आचार्य विजय कुमार ने बताया, "भाई दूज का त्योहार एक पवित्र त्योहार है। इसलिए नियमों के अनुसार ही इस त्योहार को मनाना चाहिए." आचार्य विजय कुमार ने बताया कि भाई दूज भाई और बहन को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। भाई दूज पर तिलक के समय भाई का मुंह उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। तिलक करते समय बहन का मुंह उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। बहन अपने भाई को लकड़ी की या चावल की चौकी बनाकर तिलक करें। बहन तिलक करने से पहले भाई के सिर पर फूल, पान, सुपारी, और पैसा रखें और भाई की कलाई पर मौली बांधे। इस दिन भाई को तिलक करने से पहले बहनें खाना न खाएं। भाई दूज के दिन भाई-बहन आपस में लड़ाई-झगड़ा न करें। इस दिन भाई और बहन सात्विक भोजन ही करें। भाई दूज पर मांसाहार बिल्कुल भी नहीं खाएं। भाई दूज पर भाई को भोजन कराने के बाद बहनें खाना खाएं। बहनों को भाई दूज के दिन भाई को उपहार देना चाहिए। भाई दूज पर भाई-बहन काले रंग के कपड़े न पहनें। इस दिन भाई-बहन पीले, लाल, गुलाब, हरे रंग के कपड़े पहन सकते हैं। आचार्य विजय कुमार का कहना है कि भाई दूज एक पवित्र त्योहार है। ये भाई-बहन के पवित्र रिश्ते के पर्व है। ये त्योहार भाई और बहन के बीच अटूट प्यार को दर्शाता है। इसलिए इस पवित्र पर्व को मनाने के लिए भाई और बहन दोनों को ही इन खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।
भाई दूज का त्यौहार हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की दूसरी तारीख को मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक भाई दूज हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती है। ऐसे में इस साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनके हाथ पर मौली बांधती हैं। इसके साथ ही बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए भी कामना करती हैं। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भाई दूज के दिन पर जो भाई अपनी बहन से तिलक लगवाता है उसकी कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है। आचार्य रमेश कुमार का कहना है कि, 'भाई दूज का त्योहार 3 नवंबर को मनाया जाएगा और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 2 नवंबर को रात 8:22 मिनट पर होगी और इस तिथि का समापन 3 नवंबर को रात 11:06 पर होगा। भाई को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:10 मिनट से लेकर दोपहर 3:22 तक रहेगा। ऐसे में 2 घंटे 12 मिनट का मुहूर्त तिलक लगाने के लिए काफी शुभ है। आचार्य रमेश कुमार ने कहा कि, 'बहनों को अपने भाई के तिलक और आरती के लिए थाली तैयार करनी चाहिए। तिलक से पहले चावल के मिश्रण से एक चौकी बनानी चाहिए और उस चौकी पर भाई को बैठाकर शुभ मुहूर्त में उसका तिलक करना चाहिए। तिलक के बाद बहन अपने भाई को सुपारी, पान, बताशे फूल आदि देकर उसकी आरती उतारे। तिलक और आरती होने के बाद भाई भी अपनी बहन को उपहार दे और उसकी रक्षा का वचन दे। आचार्य रमेश कुमार शर्मा का कहना है कि, 'भाई दूज को लेकर पौराणिक मान्यता के अनुसार यमुना ने अपने भाई यमराज की लंबी उम्र के लिए व्रत किया था और यमराज ने भी इसी दिन अपनी बहन को दर्शन दिए थे। शास्त्रों के अनुसार यमुना अपने भाई से मिलने के लिए काफी व्याकुल थी और द्वितीय तिथि के दिन ही यमराज अपनी बहन से मिलने आए थे। इसलिए यमुना ने अपने भाई की बहुत आव भगत की थी। वहीं, यमराज ने भी प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि अगर इस दिन कोई भी भाई-बहन एक साथ यमुना नदी में स्नान करेंगे, तो उन्हें मुक्ति प्राप्त होगी। इसके अलावा यमुना ने अपने भाई से वचन लिया था कि आज के दिन हर भाई को अपनी बहन के घर जाना चाहिए. भाई दूज पर यमराज को प्रसन्न करने के लिए बहनों के द्वारा व्रत भी रखा जाता है। वहीं इसी दिन यमराज के साथ-साथ चित्रगुप्त की भी उपासना की जाती है।
हिमाचल प्रदेश में 123 सालों में तीसरी बार अक्टूबर महीना सबसे सूखा रहा। इस साल अक्टूबर महीने में 97 प्रतिशत कम बारिश दर्ज हुई है। मौसम विभाग शिमला के मुताबिक प्रदेश में सामान्य 25.1 मिमी बारिश के मुकाबले 0.7 मिमी बारिश हुई है। ऐसे में बारिश कम होने के चलते अक्टूबर महीने में प्रदेशभर में सूखा छाया रहा। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर के महीने में हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन, सिरमौर, कुल्लू और चंबा में 100 प्रतिशत कम बारिश हुई, यानी की यहां पर बारिश हुई ही नहीं है। इसके अलावा अक्टूबर महीने में लाहौल-स्पीति में 99 प्रतिशत, किन्नौर में 98 प्रतिशत, कांगड़ा में 94 प्रतिशत, मंडी में 83 प्रतिशत और ऊना में 54 प्रतिशत कम बारिश हुई है। मौसम विभाग शिमला के मुताबिक अधिकांश दिनों में कम बारिश के साथ हिमाचल प्रदेश में 1901 के बाद से अक्टूबर के महीने में तीसरी सबसे कम बारिश दर्ज हुई है। अक्टूबर के महीने में सबसे अधिक बारिश 1955 में 413.5 मिमी दर्ज की गई थी। इस बीच, लाहौल-स्पीति के कोकसर में 9 और 10 अक्टूबर को हल्की बर्फबारी हुई। 6 अक्टूबर को प्रदेश के कुछ इलाकों में अच्छी बारिश होने के अलावा ज्यादातर दिनों में प्रदेशभर में मौसम शुष्क रहा। वहीं, मौसम विभाग शिमला ने प्रदेश में अगले सात दिनों तक शुष्क मौसम की भविष्यवाणी की है। यानी की अगले 7 दिनों तक प्रदेश में बारिश नहीं होगी और आसमान साफ रहेगा, जिससे की अधिकतम तापमान में भी वृद्धि हो सकती है।
**अक्तूबर माह में दर्ज की 12 फीसदी की वृद्धि ** दिवाली पर हुआ सात हजार करोड़ का कारोबार देवभूमि हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष के त्योहारों में खरीदारी को लेकर खूब धनवर्षा हुई है। महापर्व दिवाली के दिन राज्य में लगभग सात हजार करोड़ रुपये कारोबार का अनुमान है, जिससे व्यापारी वर्ग अपनी लागत पर मुनाफा होने से खुशी का अनुभव कर रहे हैं। दिवाली पर व्यापार में आए उछाल का मुख्य कारण राज्य सरकार की ओर से कर्मचारियों को पहले आया वेतन भी बना है। सरकार ने इस बार कर्मचारियों को वेतन 28 और पेंशन 30 अक्तूबर तक बैंक खाते में डाल दी थी। इसके चलते लोगों ने भी दिवाली को खुशी खुशी मनाते हुए बाजार में जमकर खरीदारी की। हिमाचल प्रदेश एक पर्यटन से जुड़ा राज्य है और यहां का अधिकतर व्यापार पर्यटकों की आमद से जुड़ा है, लेकिन त्योहारी पर्व में औद्योगिक हब होने के साथ जिला सोलन बद्दी-बरोटीवाला और ऊना जिला, बड़ा जिला होने के चलते कांगड़ा और राजधानी शिमला अच्छे कारोबार का हब बने हैं। अन्य जिलों में भी दिवाली की रात अच्छे व्यापार की सौगात दुकानदारों को मिली है। बाजार में लोगों ने खरीदारी कर खूब धन वर्षा की। हिमाचल प्रदेश व्यापार मंडल के प्रदेशाध्यक्ष सोमेश शर्मा ने बताया कि दिवाली दो दिन की असमंजस को लेकर इस बार लोगों की खरीदारी दो भागों में विभाजित रही। दिवाली पर्व पर लगभग सात हजार करोड़ रुपये के कारोबार का अनुमान है। हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) ने 30 अक्तूबर को रिकार्ड 2.92 करोड़ कमाई की है। दिवाली के दिन भी निगम ने 2.72 करोड़ रुपये कमाए। सामान्य दिनों में रोजाना एचआरटीसी औसतन 2.3 करोड़ कमाई करता है। 30 अक्तूबर को निगम ने सामान्य के मुकाबले करीब 90 लाख और दिवाली के दिन 31 अक्तूबर को 70 लाख रुपये अधिक कमाई की है। दिवाली पर एचआरटीसी ने यात्रियों की सुविधा के लिए करीब 200 अतिरिक्त बसों का संचालन किया। पूरे अक्तूबर में एचआरटीसी ने कुल 76.53 करोड़ आय अर्जित की है जो बीते साल से 12 फीसदी अधिक है। बीते साल अक्तूबर में निगम ने 68.49 करोड़ कमाए थे। इस वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में एचआरटीसी ने 519 करोड़ कमाई की है जबकि बीते वर्ष पहले सात महीनों में 456 करोड़ आय हुई थी। बीते साल के मुकाबले इस साल पहले सात महीनों में करीब 63 करोड़ अधिक कमाई की है। निगम की कमाई कोविड पूर्व की स्थिति से भी बेहतर है। वित्त वर्ष 2019-20 के पहले 7 महीनों में निगम ने 503 करोड़ कमाए थे, इस साल 16 लाख अधिक कमाई की है। एचआरटीसी के प्रबंध निदेशक रोहनचंद ठाकुर ने बताया कि कर्मचारियों की मेहनत से निगम की वित्तीय स्थिति में सुधार हो रहा है। बीते एक साल में निगम की कमाई करीब 14 फीसदी बढ़ी है। दिवाली पर 30 और 31 अक्तूबर को दो दिन में ही निगम ने 5.64 करोड़ रुपये कमाए हैं।
हिमाचल प्रदेश मत्स्य विभाग ने शुक्रवार को राज्य में 600 किलोमीटर तक फैली प्रमुख नदियों और उनकी सहायक नदियों में ट्राउट मछली पकड़ने पर चार महीने का प्रतिबंध लगा दिया। प्रदेश में ट्राउट के लिए अनुकूल ठंडे क्षेत्रों की नदियों और उनके सहायक नदी नालों में 1 नवंबर से 28 फरवरी 2025 तक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध रहेगा। हालांकि सरकारी ट्राउट मछली फार्म और निजी फार्मों/रेसवेज से ट्राउट मछली की बिक्री पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। प्रतिबंध केवल ट्राउट जलाशयों, नदियों/नालों में खेल मछली पकड़ने पर लागू होगा। इन चार माह में इन जलाशयों में ट्राउट मछली प्रजनन अच्छे से हो इसके लिए प्रतिबंध लगाया गया है। इनमें शिमला जिले में गांव महला से गांव हाटकोटी तक पब्बर नदी, ब्यास नदी और इसकी सहायक नदियां, कुल्लू में सरवरी नाला जलधारा सहित इसके स्रोत से सरवरी नाला के साथ इसके संगम तक, कुल्लू में पार्वती, गडसा नदियां, इनकी सहायक नदियां, कुल्लू में सैंज नदी व इसकी सहायक नदियां, कुल्लू, मंडी जिले में ब्यास नदी के साथ इसके संगम के ऊपर तीर्थन नदी व इसकी सहायक नदियां शामिल हैं। बरोट में संतुलित जलाशय, पोषित जलमार्गों सहित मंडी, कांगड़ा जिले में ऊहल नदी और इसकी सहायक नदियां, चंबा में चाकोली पुल के नालों पर सम्पूर्ण भंडाल नाला, इसके सहायक नाले, किन्नौर में सतलुज नदी में बास्पा नदी, भाबा नाले और चिस्सो धाराएं इस प्रतिबंध क्षेत्र में शामिल हैं। कांगड़ा में मैंझा पुल के नालों पर न्यूगल नाला और इसके सहायक नाले, टिक्कर डोली में सस्पेंशन पुल के नाले पर बनेर खड्ड का दस किलोमीटर का विस्तार क्षेत्र, कुल्लू जिले में सतलुज नदी प्रणाली में कुर्पण धारा और इसकी सहायक धाराओं के क्षेत्र पर भी अधिसूचना लागू होगी।उधर, ठंडे जल क्षेत्रों में तैनात मत्स्य विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।
हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के बद्दी शहर में दिवाली की रात एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बेहद खराब हो गया। बद्दी का AQI लेवल 316 माइक्रो ग्राम पहुंच गया। बद्दी में इस साल की हवा का यह सबसे दूषित स्तर है। दिवाली के बाद शुक्रवार को दिल्ली से हिमाचल प्रदेश तक हवा की सेहत बेहद खराब रही। दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट का प्रतिबंध भी बेअसर रहा। दिल्ली में 362 एक्यूआई के साथ हवा बहुत खराब श्रेणी में रही। यह बीते तीन वर्षों में दिल्ली के लिए सबसे प्रदूषित दिवाली थी। यही नहीं, दिल्ली शुक्रवार को विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष पर रही। हिमाचल के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी, बरोटीवाला व नालागढ़ से लेकर पहाड़ों की रानी शिमला तक प्रदूषण बढ़ गया है।बद्दी में शुक्रवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 296 तक पहुंच गया। यह खतरनाक श्रेणी में आता है। स्वच्छ आबोहवा के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध राजधानी शिमला में भी एएक्यूआई 92 दर्ज किया गया। 27 अक्तूबर को यह 31 था। शुक्रवार को बिलासपुर में एएक्यूआई 189 रहा। प्रदेश के कई क्षेत्रों में एक नवंबर को भी दिवाली मनाई गई। इससे हिमाचल के विभिन्न इलाकों में प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है। हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। इसके आधिकारिक आंकड़े शनिवार तक जारी हो सकते हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दिवाली पर दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 330 दर्ज किया गया, जबकि 2023 में यह 218 और 2022 में 312 था। वहीं, उत्तर प्रदेश के संभल में शुक्रवार को एक्यूआई 318 और मुरादाबाद में 301 दर्ज किया गया। आगरा में भी धुंध छायी रही। दिल्ली के 39 निगरानी स्टेशनों में से 37 केंद्रों ने वायु गुणवत्ता को बहुत खराब श्रेणी में बताया।
हिमाचल के प्लानिंग और स्पेशल एरिया के पहाड़ी क्षेत्रों में अब नेशनल हाईवे से एक मीटर नीचे भवनों का निर्माण होगा। सरकार ने हिमाचल में वैली व्यू को बचाने के लिए यह फैसला लिया है। नियम मैदानी इलाकों में लागू नहीं होंगे। पहाड़ी क्षेत्रों में भी उन जगह पर नियम लागू किया जाएगा, जहां पहाड़ और हर भरे पेड़ होंगे। हिमाचल में देश-विदेश के पर्यटक पहाड़ों और हरी भरी वादियों को निहारने आते हैं, ऐसे में सरकार की ओर से प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं। सड़क के ऊपरी किनारे में नियम लागू नहीं होगा। हिमाचल में 60 प्लानिंग और 36 स्पेशल एरिया हैं। सरकार ने एरिया के अधिकारियों को वैली व्यू की पहचान करके सरकार को रिपोर्ट देने को कहा गया है। दिसंबर तक एरिया नोटिफाई हो जाएंगे। इससे पहले नेशनल हाईवे से डेढ़ मीटर ऊंचे मकान बनाने की अनुमति थी। इससे भी वैली व्यू खराब हो रहा है। इसके चलते अब सरकार ने सड़क से एक मीटर नीचे भवन निर्माण के लिए मंजूरी देने का फैसला किया है। वैली व्यू का प्रावधान सुंदर दृश्यों की सुरक्षा और प्राकृतिक परिदृश्य को बनाए रखने के लिए निर्धारित किया गया है, जो हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य के सौंदर्य और पर्यावरणीय मूल्य में योगदान दे सकता है। हिमाचल में जहां से एनएच गुजरते हैं, वहां नियम लागू होगा। ऐसे एरिया की पहचान की जा रही है।
दिवाली पर्व पर हिमाचल पथ परिवहन निगम(एचआरटीसी) बसों की भारी डिमांड के मद्देनजर एचआरटीसी प्रबंधन ने यात्रियों की सुविधा के लिए ऑन डिमांड अतिरिक्त बसें चलाने का फैसला लिया है। आज यानि 30 अक्तूबर को शिमला, चंडीगढ़ और दिल्ली सहित अन्य बड़े बस अड्डों पर एक रूट पर 40 से अधिक यात्रियों की मांग पर एक स्पेशल बस चलाने का फैसला लिया गया है। यह बसें पूर्व निर्धारित बसों से अतिरिक्त होंगी।दिवाली पर्व के चलते मंगलवार को भी निगम की बसों में भारी भीड़ रही। एचआरटीसी ने विभिन्न रूटों पर करीब 115 अतिरिक्त बसों का संचालन किया। उधर, एचआरटीसी के मंडलीय प्रबंधक यातायात देवासेन नेगी ने बताया कि मंगलवार को करीब 115 अतिरिक्त बसें चलाई गई हैं, बुधवार को 40 से अधिक सवारियों के होने पर ऑन डिमांड स्पेशल बसें चलाई जा रहीं। किसी भी सूरत में दिवाली पर यात्रियों को बसों की किल्लत पेश नहीं आने दी जाएगी। हिमाचल पथ परिवहन निगम दिवाली पर 31 अक्तूबर को शाम 5:00 बजे के बाद स्थानीय बसें संचालित नहीं की करेगा। शाम 5: 00 बजे के बाद प्रस्थान करने वाली बस सेवाओं को इस प्रकार चलाया जाएगा कि अंतिम बस शाम पांच बजे प्रस्थान करे। वहीं, लंबी दूरी की अधिकतर बस सेवाओं को एक साथ जोड़ा जा सकता है। इन लंबे रूटों की सेवाओं को 31 अक्तूबर को इस तरह से चलाया जाएगा कि जनता को सुविधा मिल सके और यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि बसें खाली न चलें। दिल्ली, चंडीगढ़, हरिद्वार और शिमला के लिए कम से कम एक रात्रि सेवा मंडल प्रबंधक यह सुनिश्चित करेंगे कि महत्वपूर्ण स्थानों से दिल्ली, चंडीगढ़, हरिद्वार और शिमला के लिए कम से कम एक रात्रि सेवा उपलब्ध हो। 31 अक्टूबर की शाम से 1 नवंबर की सुबह तक सीमित/संक्षिप्त परिचालन को तत्काल बहाल किया जाएगा। इस संबंध में एचआरटीसी के महाप्रबंधक पंकज सिंघल की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश में 4 दिसंबर को निजी और सरकारी स्कूलों में परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण सर्वे होगा। इसके लिए जिला स्तर पर मास्टर ट्रेनर तैयार कर दिए हैं। इसमें प्रदेश भर के सभी डाइट प्रधानाचार्य और उपनिदेशक गुणवत्ता नियंत्रण को शामिल किया गया। संबंधित मास्टर ट्रेनर को लिए एससीईआरटी सोलन में सोमवार को कार्यशाला हुई। इसमें प्रदेश भर से 52 मास्टर ट्रेनर ने भाग लिया। कार्यशाला का शुभारंभ एससीईआरटी प्रिसिंपल हेमंत कुमार ने किया। परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण सर्वे की प्रदेश समन्वयक सुनिता कुमारी ने बताया कि कार्यशाला में एनसीईआरटी से डॉ. गुलफाम ने प्रदेश भर से आए डाइट प्रधानाचार्य और उपनिदेशक गुणवत्ता नियंत्रण को सर्वे के संबंध में प्रशिक्षण दिया। यह मास्टर ट्रेनर अपने जिलों में जिला की एक टीम गठित करेंगे। जिसमें जेबीटी और बीएड प्रशिक्षुओं को भी निरीक्षण के लिए शामिल किया जाएगा। इस निरीक्षण से पहले संबंधित प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। यह फील्ड टीमें चयनित स्कूलों में जाकर एनसीईआरटी और परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण सर्वे की ओर से जारी पाठ्य सामग्री के संबंध में गणित और भाषा विषय का सर्वे करेगी। इस परीक्षा के परिणाम के आधार पर परख उसे अपनी शिक्षा नीतियों में शामिल करेंगी। राष्ट्र स्तर पर एनसीईआरटी और प्रदेश स्तर पर इसे एससीईआरटी की ओर से समन्वयक किया जा रहा है। जबकि जिला स्तर पर इसे डाइट, शिक्षा उपनिदेशक को शामिल किया गया है। जबकि खंड स्तर पर इसकी निगरानी खंड शिक्षा अधिकारी भी करेंगे।
हिमाचल बागवानी विभाग में बागवानी विकास परियोजना के तहत कार्यरत 500 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों का रोजगार छिनने की कगार पर पहुंच गया है। विश्व बैंक की 1134 करोड़ से वित्त पोषित परियोजना-2016 में सूबे के विभिन्न जिलों से सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, ड्राफ्ट्समैन, सर्वेयर, फैसिलिटेटर, तकनीकी फैसलिटेटर, फार्म प्रबंधक, सहायक फार्म प्रबंधक, प्रबंधन सहायक लेखाकार और अन्य कर्मचारी कार्यरत हैं। इनका करार 31 अक्तूबर को समाप्त हो जाएगा। ऐसे में 500 से अधिक कर्मचारी आठ साल की सेवाओं के बाद बेरोजगार हो जाएंगे। इन कर्मचारियों की नियुुक्ति बागवानी विकास सोसायटी के तहत हुई थी। हिमाचल बागवानी विकास परियोजना कर्मचारी संघ के सदस्य कार्तिक, पंकज, अनिल, कमल, विनीत शर्मा, विनोद, अमित ने कहा कि संघ लगातार प्रदेश सरकार और विभाग से विश्व बैंक की वित्त पोषित परियोजना में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों के स्थायी रोजगार के लिए नीति बनाने की मांग कर रहा है। बागवानी विकास परियोजना का करार समाप्त होने से कार्यरत 260 अनुबंध आधार, 230 आउटसोर्स और 22 से अधिक पुनर्नियुक्ति पर सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों का रोजगार छिन जाएगा। उन्होंने सरकार और विभाग से स्थायी नीति बनाने की मांग करते हुए रोजगार को सुरक्षित करने की मांग उठाई है। इस संबंध में बागवानी विकास परियोजना के परियोजना निदेशक सुदेश कुमार मोख्टा ने कहा कि विश्व बैंक की ओर से 1134 करोड़ से वित्त पोषित बागवानी विकास परियोजना-2016 के सभी कार्य पूर्ण हो गए हैं। अब इसके लिए कोई बजट नहीं आएगा। कहा कि 31 अक्तूबर को बागवानी विकास परियोजना का करार समाप्त हो जाएगा।
हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद के प्रतिनिधियों की बैठक हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला के सचिव डॉ. (मेजर) विशाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई। बैठक में परिषद की ओर से शिक्षा एवं गुणवत्ता पर विभिन्न विषयों पर सार्थक चर्चा हुई। संस्कृत शिक्षक परिषद के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. मनोज शैल ने बताया कि परिषद ने 21 सूत्रीय मांगपत्र शिक्षा बोर्ड को दिया था। इसमें एक-एक विषय पर विमर्श के साथ चर्चा की गई। कक्षा छठी से संस्कृत की नवीन पुस्तक को नए सत्र से शुरू करने पर सचिव ने कहा कि एनसीईआरटी की ओर से निर्मित नवीन पाठ्यपुस्तक कक्षा छठी से वर्ष 2026 से आरंभ की जाएगी। बोर्ड सचिव ने बताया कि कक्षा छठी के लिए कुछ विषयों की पुस्तकें तैयार कर ली गई हैं, जबकि कुछ पुस्तकें तैयार हो रही हैं। इन पुस्तकों को 2026 से ही पढ़ाया जाएगा। कक्षा छठी से आठवीं तक संस्कृत व्याकरण की पुस्तक लगाने के लिए शिक्षा बोर्ड सचिव ने स्वीकृति प्रदान की। उन्होंने कहा कि यद्यपि एनसीईआरटी की तरफ से पुस्तक निर्धारित नहीं है लेकिन विद्यार्थियों को इसकी आवश्यकता है। इसको देखते हुए बोर्ड इसे अपने स्तर पर तैयार करेगा। इसके लिए सचिव ने परिषद को जल्द प्रारूप बनाकर भेजने को कहा। परिषद ने आग्रह किया कि विभिन्न कक्षाओं में प्रश्नपत्रों में अनुवाद के कुछ व्यवहारिक वाक्य शामिल किए जाएं ताकि छात्र भाषा के व्यवहारिक पक्ष में भी निपुण बन सकें। इसके लिए भी सचिव ने स्वीकृति प्रदान की। परिषद ने सचिव से पुस्तकों की पाठन शैली के प्रशिक्षण के संदर्भ में पाठ्यक्रम विभाजन एवं प्रश्नपत्र निर्माण पर शिक्षकों का प्रशिक्षण करवाने का प्रस्ताव रखा। इस पर भी सचिव ने सभी शिक्षकों का ऑनलाइन प्रशिक्षण भी करवाने की स्वीकृति प्रदान की। परिषद ने प्रस्ताव रखा कि कक्षा 11वीं व 12वीं के पाठ्यक्रम विभाजन व उसमें व्याकरण का समरूप समायोजन किया जाना भी आवश्यक है। इसकी स्वीकृति भी बोर्ड सचिव ने प्रदान की। बैठक में परिषद ने मांग रखी कि कक्षा छठी से अष्टमी तक हिन्दी व्याकरण की एक पुस्तक है। लेकिन उसमें कक्षानुसार पाठ्यक्रम विभाजन नहीं है। इसे देखते हुए आवश्यक संशोधन कर कक्षानुसार छठी, सातवीं, आठवीं के लिए अलग-अगल निर्धारण किया जाए। जैसा कि अंग्रेजी के व्याकरण की पुस्तक में निर्धारित है। इसके साथ कक्षा नाैवीं व 10वीं तक हिंदी व्याकरण की एक पुस्तक है। लेकिन उसमें कक्षानुसार पाठ्यक्रम विभाजन नहीं है। इसमें भी आवश्यक संशोधन कर कक्षानुसार अलग-अलग निर्धारण किया जाए। इस पर भी सचिव ने स्वीकृति प्रदान की। परिषद ने कहा कि कक्षा छठी से आठवीं तक हिमाचल की लोक संस्कृति और योग पुस्तक में बहुत संशोधन की आवश्यकता है। इसमें दी गई सामग्री में हिमाचल के इतिहास एवं संस्कृति की वास्तविकता अनुसार जानकारी को समायोजित किया जाना आवश्यक है। शीर्षक के अनुसार विषयों का सही समावेश तथा उचित अभ्यास कार्य जोड़ने की आवश्यकता है। इसके साथ योग विषय को उसमें दिए गए मंत्रों को शुद्ध रूप से जोड़ने तथा उनके वास्तविक अर्थ तथा भाव को समायोजित करने की आवश्यकता है। इस विषय पर भी सचिव ने स्वीकृति प्रदान की और यथाशीघ्र आवश्यक संशोधन बोर्ड को देने के लिए कहा। बैठक में परिषद ने प्रस्ताव रखा कि कक्षा नाैवीं व दसवीं के प्रश्नपत्र में आवश्यक संशोधन किया जाए। प्रश्नपत्र में पाठ्य-पुस्तकों को भी महत्त्व दिया जाए। क्योंकि प्रश्नपत्र में पाठ्यपुस्तक से समावेश कम हो रहा है। न्यूनतम 40 प्रतिशत पाठ्यपुस्तक से 40 प्रतिशत व्याकरण भाग एवं 20 प्रतिशत अपठित भाग का समावेश प्रश्नपत्र में हो। इस पर भी सचिव ने समीक्षा करने के बाद निर्णय लेने का आश्वासन दिया। पाठ्यपुस्तकों में द्रष्टव्य अशुद्धियों के संदर्भ में बोर्ड सचिव ने बताया कि यह कार्य एनसीईआरटी के अधिकार क्षेत्र में है। एक बार उनकी वेबसाइट पर प्राप्त पुस्तक को देखें। यदि वहां भी अशुद्धि है तब इस विषय में उनसे बात की जाएगी। यदि बोर्ड स्तर पर ही अशुद्धि है तब उसे ठीक कर लिया जाएगा। बैठक में अकादमी अधिकारी शालिनी, सहायक सचिव, अनुभाग अधिकारी एवं अन्य अधिकारियों के साथ परिषद् के महासचिव डॉ. अमित शर्मा, उपाध्यक्ष राकेश शर्मा, आईटी सचिव डॉ. विवेक शर्मा, कांगड़ा के अध्यक्ष डॉ. अमनदीप शर्मा, मंडी अध्यक्ष लोकपाल, बिलासपुर के महासचिव डॉ. जितेंद्र कुमार सहित 15 प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
हिमाचल प्रदेश के बाजारों में धनतेरस पर खरीदारी के लिए लोग उमड़ पड़े हैं। राजधानी शिमला सहित अन्य बाजारों में लोगों की भीड़ है। कुल्लू के ढालपुर मैदान में सजी अस्थायी मार्केट में धनतेरस के मौके पर मंगलवार को खरीदारी के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। बाजार में लोगों ने गर्म कपड़ों के साथ अन्य सामान की खरीदारी की। इस बार अस्थायी बाजार के व्यापारियों को 7 नवंबर तक के व्यापार करने के लिए समय दिया गया है, ऐसे में व्यापारियों को बेहतर कारोबार होने की उम्मीद है। दुकानदार रवि ने कहा कि आधा स्टॉक बचने के चलते अब सामान भी सस्ता कर दिया गया है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार धनतेरस पर खरीदारी बेहद शुभ होने वाली है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि मंगलवार को धनतेरस के रूप में मनाई जाएगी। धन त्रयोदश के दिन प्रदोष काल यानि सूर्य अस्त और रात्रि की संधि के समय त्रिपुष्कर योग बन रहा है। ऐसे में प्रदोष काल शाम 6:38 बजे से 8:24 बजे तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी और कुबेर का पूजन करने से शुभ फल मिलेगा। धनतेरस पर बर्तन, सोना, चांदी, वाहन, तांबे के बर्तन की खरीदारी करना शुभ रहेगा। खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त सुबह 10:32 से दोपहर 1:30 बजे तक रहेगा। दोपहर 2:51 से शाम 4:14 बजे तक रहेगा राहुकाल। राहुकाल के बाद खरीदारी करना शुभ है। त्रयोदशी तिथि बुधवार दोपहर 1:14 बजे तक रहने पर खरीदारी की जा सकती है।
हिमाचल प्रदेश में विंटर सीजन के लिए सैलानियों की आवभगत की तैयारियां शुरू हो गई हैं। समर सीजन के बाद होटल कारोबार को पटरी पर लाने के लिए राज्य पर्यटन विकास निगम ने अपने होटलों में ठहरने पर 10 से 40 फीसदी तक डिस्काउंट देने का फैसला लिया है। इसमें काजा के स्पीति, सुंदरनगर के सुकेत और शिमला के विल्ली पार्क होटल को छोड़कर निगम के सभी होटलों में यह सुविधा दी गई है। पर्यटकों के लिए होटलों में यह छूट 1 नवंबर से 20 दिसंबर तक रहेगी। अक्तूबर में निगम के होटलों में ऑक्यूपेंसी 25 फीसदी से बढ़कर 35 फीसदी तक हो गई है। पर्यटन निगम ने प्रदेश के करीब 53 होटलों में छूट देने का फैसला लिया है। शिमला, मनाली, धर्मशाला, डलहौजी, कसौली और चंबा सहित प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में स्थित निगम के होटलों में छूट की सुविधा मिलेगी। कमरों की बुकिंग करवाने के लिए सैलानियों को पर्यटन निगम की वेबसाइट पर सभी होटलों की रेट लिस्ट के साथ जानकारी मिलेगी। निगम ने इस बाबत वेबसाइट को अपडेट कर दिया है। उधर, निगम के महाप्रबंधक अनिल तनेजा ने बताया कि पर्यटकों को 20 दिसंबर तक कमरों की बुकिंग पर 10 से 40 फीसदी छूट दी जा रही है। 11 से 15 नवंबर तक लवी और रेणुका मेले के दौरान होटल बुशैहर रिजेंसी और रेणुकाजी होटल में कोई छूट नहीं दी जाएगी। उन्होंने बताया कि कसौली के रोस कॉमन, होटल नूरपुर, चिंदी के होटल ममलेश्वर, नगर में होटल कुंजम, कुल्लू के सिल्वरमून, नारकंडा के होटल हाटू, डलहौजी के मणिमहेश और गीतांजलि, नालदेहरा के गोल्फ ग्लेड होटल, मनाली के होटल हडिंबा कॉटेज और फागू के एप्पल ब्लॉसम में 30 फीसदी और मनाली के होटल लॉग हट्स में 40 फीसदी तक की छूट दी गई है। इसके अलावा शिमला में होलीडे होम में 25 फीसदी की छूट दी गई है।पर्यटन निगम के होटल हमीर, रोहड़ू के चांशल, चंबा के होटल इरावती, चिंतपूर्णी हाइटस, होटल बघाल, होटल ज्वालाजी, स्वारघाट के हिल टॉप, रामपुर के बुशैहर रिजेंसी, धर्मशाला के कुणाल, होटल शिवालिक, पांवटा साहिब के होटल यमुना, पालमपुर के द न्यूगल होटल, पोंग बांध में कैपिंग स्थल, होटल चंपक, खड़ापत्थर में होटल गिरीगंगा, पालमपुर में होटल टी-बड, चामुंडाजी में यात्री निवास, कसौली में होटल रोमन, धर्मशाला में होटल धौलाधार और कश्मीर हाउस, सराहन में होटल श्रीखंड, जोगिंदरनगर में होटल उहल, खज्जियार के होटल देवधर, बरोग में होटल पाइनवुड, शिमला में होटल पीटरहॉफ, होटल रेणुकाजी, मैक्डोलगंज में होटल क्लब हाउस, राजगढ़ टूरिस्ट इन, भरमौर के होटल गौरीकुंड, केलांग के होटल चंद्रभागा, क्यारीघाट के मेघदूत, चायल के होटल पैलेस, मनाली के होटल रोहतांग मनालसू और कल्पा के किन्नर कैलाश में 20 फीसदी और मैक्लोडगंज में होटल भागसू में 10 फीसदी की छूट दी गई है।
प्रारंभिक शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों की अनुबंध सेवाओं को मान्यता देने का निर्णय लिया गया है। प्रारंभिक शिक्षा विभाग में कार्यरत याचिकाकर्ता जेबीटी, टीजीटी और सीएंडवी शिक्षकों द्वारा दी गईं अनुबंध सेवाओं को उनके नियमितीकरण के बाद वरिष्ठता और परिणामी लाभों के उद्देश्य में गिना जाएगा। सोमवार को इस बाबत अतिरिक्त सचिव शिक्षा ने निदेशालय को पत्र जारी किया है। शिक्षकों को वरिष्ठता मिलने के बाद वित्तीय लाभ देने को लेकर वित्त विभाग की ओर से अलग से निर्देश जारी किए जाएंगे। ताज मोहम्मद एवं अन्य बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य के मामले में उच्च न्यायालय के निर्णय के कार्यान्वयन के संबंध में शिक्षा विभाग ने महत्वपूर्ण फैसला लिया है। राज्य सरकार ने वरिष्ठता और नियमितीकरण पर अन्य लाभों के उद्देश्य से प्रारंभिक शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों की संविदा सेवाओं को मान्यता देने का निर्णय लिया है। यह निर्णय जेबीटी, टीजीटी और सीएंडवी सहित शिक्षकों की विभिन्न श्रेणियों के लिए हुआ है। हालांकि, खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) के परिणाम के साथ-साथ उपलब्ध किसी भी अन्य कानूनी उपाय पर भी यह निर्णय निर्भर करेगा। इसके अलावा याचिकाकर्ताओं के लिए कोई भी मौद्रिक लाभ हिमाचल प्रदेश वित्त विभाग के निर्देशों की ओर से शासित होगा, जो समान स्थिति वाले कर्मियों के लिए मौजूदा नियमों के साथ संगतता सुनिश्चित करता है।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने जून-जुलाई में करवाई गई स्नातकोत्तर कोर्स में 16 पीजी कोर्स के परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए है। विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. श्याम लाल कौशल ने बताया कि घोषित किए गए परिणाम में एमएससी केमिस्ट्री फिजिक्स, बॉटनी, जियोलॉजी, ईवीएस, एमएससी भूगोल, बायो टेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, के दूसरे और चौथे सेमेस्टर के परिणाम घोषित किए है। इसके अलावा एमसीए दूसरे सेमेस्टर, एमएससी मैथ के दूसरे और चौथे सेमेस्टर, एमए हिंदी और संस्कृत दूसरे सेमेस्टर, एमबीए दूसरे सेमेस्टर, एमटीटीएम के दूसरे और चौथे सेमेस्टर, एमबीए आरडी के दूसरे और बैचलर डिग्री बीएचएम के दूसरे और चौथे सेमेस्टर के परिणाम घोषित किए है। परिणाम ऑनलाइन अपलोड कर दिए गए है। इसे छात्र अपने लॉग इन आईडी के माध्यम से देख और डाउनलोड कर सकते हैं। इसके अलावा इन डिग्री कोर्स के पहले और तीसरे सेमेस्टर की री अपीयर परीक्षा के परिणाम भी घोषित किए गए हैं। हिमाचल प्रदेश विवि ने बीएफए डिग्री के ऑड सेमेस्टर की परीक्षा के शेड्यूल को जारी कर दिया है। ये परीक्षाएं 6 नवंबर से शुरू होंगी, जो 2 दिसंबर तक संचालित की जाएगी। विवि के परीक्षा नियंत्रक ने इन पहले, तीसरे, पांचवें, सातवें सेमेस्टर की परीक्षा का विस्तृत शेड्यूल जारी कर विवि की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। छात्र इसे वहां देख सकते है। विश्वविद्यालय के दूरवर्ती शिक्षण संस्थान इक्डोल/ सेंटर फॉर डिस्टेंस एंड ऑनलाइन एजूकेशन ने बीएड जुलाई-2024 के बैच के ऑनलाइन और ऑफलाइन पर्सनल कांटेक्ट प्रोग्राम का शेड्यूल जारी कर दिया है। इसे छात्रों की सुविधा के लिए विवि की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। इसमें कोआर्डिनेटर के नाम सहित पीसीपी का ब्यौरा जारी किया गया है।
** शिक्षा विभाग तैयार कर रहा प्रस्ताव हिमाचल प्रदेश के दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों के स्कूलों में अब सरकार सेवानिवृत्त शिक्षकों की सेवा लेगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के निर्देश पर शिक्षा विभाग प्रस्ताव बनाने में जुट गया है। सेवानिवृत्त शिक्षकों की नियुक्ति, वेतन, सेवा अवधि को लेकर अधिकारी मंथन कर रहे हैं। दूरदराज स्कूलों में जाने से नियमित शिक्षक गुरेज करते हैं। इस कारण इन क्षेत्रों के अधिकांश स्कूलों में शिक्षकों के काफी पद रिक्त चल रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई शिक्षकों की कमी के चलते प्रभावित न हो, इसके लिए सरकार सेवानिवृत्त शिक्षकों को फिर से स्कूलों में पढ़ाने का अवसर देने जा रही है। सूत्रों के अनुसार सेवानिवृत्त शिक्षकों को अनुबंध के तौर पर नियुक्ति दी जाएगी। अनुबंध कब तक रहेगा, इन्हें वेतन कितना मिलेगा, इसको लेकर विधि, कार्मिक और वित्त विभाग के साथ चर्चा चल रही है। नए सत्र से सेवानिवृत्त शिक्षकों को नियुक्तियां दी जा सकती है। नवंबर में शिक्षा विभाग इस बाबत प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजेगा। विभाग के अधिकारियों के अनुसार दूरदराज क्षेत्रों में नियुक्तियों के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे जा सकते हैं। स्थानीय सेवानिवृत्त शिक्षकों को नियुक्तियों में प्राथमिकता दी जाएगी। विषय विशेष के शिक्षक अगर अन्य क्षेत्रों में भी सेवाएं देने को तैयार होंंगे, तो उन्हें ऐसे स्कूलों में भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने बीते दिनों डोडरा क्वार के प्रवास में अधिकारियों को प्रस्ताव बनाने को कहा है। हिमाचल में स्कूलों को गोद लेने वाली योजना के तहत सेवानिवृत्त शिक्षक अभी भी इच्छा अनुसार बिना वेतन सेवाएं दे सकते हैं। योजना में विभाग ने यह विशेष प्रावधान किया है। सरकारी स्कूलों में सुधार लाने को स्कूल एडॉप्शन कार्यक्रम तैयार किया गया है। इसके तहत सभी मंत्री, विधायक, सांसद और अफसर सरकारी स्कूल गोद लेंगे। गोद लेने वालों को मेंटर बनाकर स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं जुटाने और गुणात्मक शिक्षा के लिए भी सहयोग करना होगा। श्रेणी-1 व 2 के राजपत्रित अधिकारी जैसे उपायुक्त, एसपी, वन मंडलाधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, उपमंडलाधिकारी, खंड विकास अधिकारी, खंड चिकित्सा अधिकारी व पुलिस उपाधीक्षकों को कम से कम एक स्कूल गोद लेकर उसका संरक्षक बनने को कहा गया है।