महात्मा गांधी जयन्ती के पूर्व दिवस पर कवि सम्मेलन का आयोजन

भाषा एवं संस्कृति विभाग कार्यालय बिलासपुर द्वारा संस्कृति भवन बिलासपुर के बैठक कक्ष में महात्मा गांधी जयन्ती के पूर्व दिवस पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ज़िला भाषा अधिकारी नीलम चन्देल ने की जबकि मंच का संचालन कविता सिसोदिया ने किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ साहित्यकारों द्वारा मां सरस्वती का दीप प्रज्जवलति कर किया गया। प्रकाश चन्द शर्मा द्वारा मां सरस्वती की वन्दना प्रस्तुत की। उसके उपरान्त नरैणु राम हितैषी ने 'गांधी की सीख' एक व्यंग्य रचना प्रस्तुत की। रविन्द्र भटटा ने 'महात्मा गांधी के बारे में पत्र वाचन किया। प्रदीप गुप्ता की पंक्तियां थी- कपटी लाल का करिश्मा देखो, खुद मैट्रिक की परीक्षा पास नही कर पाए, परन्तु न जाने कहां से एम0ए0पी0एच0डी की डिग्री उडा लाए। हुसैन अली ने 'जिस सत्य का मैं दावा करता हूं वह पर्वतों से भी पुराना है । डॉ0 लेखराम शर्मा ने ‘‘ गान्धी जी के जीवन पर शोधपत्र पढ़ा जिसमें स्वच्छता, सर्वोदय एवं छुआछुत और नशा विरोधी जीवन दर्शन के कारण गांन्धी जी विश्व का मार्गदर्शन करते रहेगे। 'अमर नाथ धीमान ने ‘‘ कल्ली मेरी जान गोद्धा मेरिया निक्का जेया न्याणा, नाले रे नौणा ते ऋषिकेशा जो अज मांह जाणा‘‘। रविन्द्र शर्मा ने ‘‘ बच्चेयांरिया कापी कताबां बी चली गई , स्कूला री वर्दी, जूते जुराबां वी चल गई, रजाईयां भी चली गई, चली गए से मन्जे मजोलू, अम्मां रे बनाईरे खिन्द खन्दोलू, एव की सर्दी हूण कियां टपाणी, चल मुईए जिन्दे नवी दुनिया बसाणी ‘‘। कविता सिसोदिया ने ‘‘ अहिंसा के पूजारी ले सर्वस्व लुटाकर कराया था आजाद वतन, ऐसी महान आत्मा को हमारा कोटि-कोटि नमन‘‘। सुरेन्द्र मिन्हास ने ‘‘ सुभाष जी को सलाम मेरा, वन्दे मातरम बोलू गांधी को, भगत सिंह के धमाकों से कांपे फिरंगी रोक न पाए आंधी को‘‘। शिवपाल गर्ग ने ‘‘ दिल मुझसे अब किसी का दुखाया न जाऐगा। सोनू शर्मा ने ‘‘ सुशील पुण्डीर ने ‘‘ सच मानो जब से तुम गए हो गांधी शास्त्री ये जहां, में इसां कितना बदल गया है, सच बतलाओ गांधी शास्त्री तुम कब आओगे। प्रोमिला भारद्वाज ने ‘‘ सदभावनाएं जब-जब आएं कहीं जाने न दंे,जो - अरूण डोगरा ने ‘‘ कलयुग का रावण है ही भ्रष्टाचार, सोच में डूबे थे सब पर विभीषण या राम बनने को कोई तैयार नहीं। सोनू देवी ने ‘‘स्वच्छता एक वरदान है, जो मनुष्य समझ न पाया है‘‘। प्रकाश चन्द शर्मा ने ‘‘ दिल दिया है जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए‘‘ देश भक्ति गीत सुनाया। इन्द्र सिंह चन्देल ने नवरात्र उत्सव पर रचना प्रस्तुत की पंक्तियां थी-तुम्हारा स्वागत है मां तुम आओ- सिंह की सवार बनकर, रंगों की फुहार बनकर, पुष्पों की बहार बनकर, सुहागन का सिंगार बनकर, तुम्हारा स्वागत है मां तुम आओ। ज़िला भाषा अधिकारी ने सभी साहित्यकारों का इस कार्यक्रम में रचनाएं प्रस्तुत करने के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि महात्मा गांधी जयन्ती पर विभाग के कार्यक्रमों का विवरण प्रस्तुत किया तथा सासथ ही विभागीय परियोजनाओं की जानकारी भी दी। इस अवसर पर इन्द्र सिंहं चन्देल, अमर सिंह, प्यारी देवी, रवि कुमार इत्यादि काफी संख्या में दर्शक शामिल रहे।