राज्यपाल ने प्रतिस्पर्धा के दौर में गुणात्मक शिक्षा पर दिया बल
हमीरपुर : राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि प्रतिस्पर्धात्मक वैश्विक अर्थव्यवस्था के इस दौर में हमें स्नातकों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। इसके लिए विश्वस्तरीय शैक्षणिक प्रबंधन कार्यप्रणाली अपनाना आवश्यक है। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय के मेधावी छात्रों को 269 पदक और डिग्रियां प्रदान की। इसके अलावा उन्होंने विद्यार्थियों को 14 स्वर्ण पदक, 12 रजत पदक और 243 डिग्रियां प्रदान कीं। विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह की बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि उन्हें अपनी शिक्षा देश व समाज के हित के लिए उपयोग करनी चाहिए तथा विज्ञान एवं तकनीक के अपने ज्ञान को समाज में परिवर्तन लाने के लिए उपयोग में लाना चाहिए। उन्होंने नि:शुल्क ऑनलाइन पाठ्यक्रमों तथा सूचना प्रौद्योगिकी से युक्त फोरम व शिक्षण के सामंजस्य पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम में उद्योग से संबंधित विषयों को सम्मिलित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनसांख्यिीकी लाभ तभी प्राप्त हो सकते है जब अधिकांश युवाओं को बेहतर शिक्षा, ज्ञान और कौशल प्रदान किया जाए। इसके लिए विश्वविद्यालयों को आधुनिक तकनीक से युक्त रचनात्मक आधार पर कार्य करने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारी में योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के कम से कम पांच छात्रों को हर दो माह उपरांत गांव जाकर ग्रामीणों को महत्वपूर्ण योजनाओं जैसे स्वच्छता, साक्षरता के बारे में जागरुक करवाना चाहिए। उन्होंने युवाओं को मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और मुद्रा योजना गारंटी जैसी योजनाओं का लाभ उठाने पर बल दिया। उन्होंने युवाओं से नवाचार पर काम करने और उद्यमिता की ओर बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन पर विश्वविद्यालय में अध्ययनपीठ शुरू करने पर अधिकारियों को बधाई दी। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने इस अवसर पर कहा कि शिक्षा का जीवन में विशेष महत्व है। अपनी बुद्धिमता के कारण हम अन्य सभी जीवों से अलग है और ज्ञान से बुद्धिमता और शिक्षा से ज्ञान अर्जित किया जा सकता है। हम शिक्षा के विस्तार पर ध्यान दे रहे है, लेकिन शिक्षा को रोजगारन्मुखी बनाने की आवश्यकता है, इसके लिए कौशल आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वर्तमान युग तकनीक का है और हमें इस पर कार्य करने की आवश्यकता है, इससे रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। सुरेश भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। हिमाचल की स्थापना के समय यहां केवल 10 प्रतिशत साक्षरता दर थी, जो आज अप्रवासी कामगारों को अलग रख 90 प्रतिशत हो गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरकारी क्षेत्र के 139 महाविद्यालय, 14000 विद्यालय कार्य कर रहे है। राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक जागरूकता अभियान चलाए जा रहे है परन्तु नई शिक्षा नीति समय की मांग है, जो तकनीकी विश्वविद्यालयों के लिए प्रभावी सिद्ध होगी। इससे पूर्व, कुलपति प्रो. एस.पी. बन्सल ने राज्यपाल को सम्मानित किया और विश्वविद्यालय की गतिविधियों और उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह सम्भवत: इस क्षेत्र का पांचवां विश्वविद्यालय है जहां योग विषय शुरू किया गया है। साथ ही यह एक मात्र विश्वविद्यालय है, इसने वृक्ष रोपण को डिग्री के साथ जोड़ा है। विश्वविद्यालय ने कौशल बास्केट शुरू किया है और इस केन्द्र के अन्तर्गत 35 पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने आवश्यकता आधारित पाठ्यक्रमों को शुरू करने को प्राथमिकता दी है ताकि डिग्री पूरी करने के पश्चात् विद्यार्थियों को शीघ्र रोजगार मिल सकें। विधायक और गर्वनर बोर्ड के सदस्य नरेन्द्र ठाकुर ने पदक और डिग्रीधारक विद्यार्थियों को बधाई दी। डीन (शैक्षणिक) कलभूषण चन्देल ने कार्यवाही का संचालन किया जबकि रजिस्ट्रार राकेश कुमार शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। विधायक और गवर्नर बोर्ड के सदस्य अरूण कुमार भी इस अवसर पर उपस्थित थे।